हरीश चंद्र गुप्ता की रिपोर्ट
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं। उम्मीदवारों का टिकट किस आधार पर मिलेगा इसे लेकर रणनीति बनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर हम आपको एक दिलचस्प किस्सा सुना रहे हैं। कहानी जगदलपुर विधानसभा सीट की है। इस सीट की लेकर सबसे ज्यादा चर्चा 2013 के विधानसभा चुनाव को लेकर होती है। 2013 में राहुल गांधी जगदलपुर पहुंचे थे। यहां उनकी मुलाकात सामु कश्यप से हुई। इस मुलाकात से राहुल गांधी इतने प्रभावित हुए की उन्होंने सामु कश्यप को विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया था।
2018 के विधानसभा चुनाव में सामु कश्यप को नजर अंदाज कर दिया गया। उन्हें पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। सामु ने NBT ऑनलाइन से खास बातचीत में बताया कि इस साल के विधानसभा चुनाव में भी टिकट की उम्मीद है। लेकिन अंतिम फैसला पार्टी के हाई कमान को करना है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं है।
जमावड़ा के रहने वाले हैं सामु
सामु कश्यप जगदलपुर शहर से लगे जमावड़ा गांव में रहने वाले हैं। सामु कश्यप एक आम आदमी हैं। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी 2013 में बस्तर दौरे पर आए थे। वो हमारे गांव जमावड़ा भी आए। यहां आम सभा में राहुल गांधी ने लोगों से पूछा की सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा कौन है। सामु ने कहा कि मैं 12वीं पास हूं। सामु का बेबाक अंदाज देखकर राहुल गांधी खुश हो गए और उसे मिलने के लिए मिलाया।
राहुल गांधी ने सामु से हाथ मिलाया और चर्चा भी की। राहुल गांधी सामु की काम करने की शैली से बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद राहुल गांधी ने 2013 के विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग के एक मात्र सामान्य सीट जगदलपुर से सामु कश्यप को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया। हालांकि सामु अपना चुनाव हार गए। सामु ने बताया कि वे राजनीतिक परिवार से नहीं हैं। आर्थिक रूप से से भी संपन्न नहीं हैं।
नौकरी छोड़ दी थी
2013 के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सामु ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। उसके बाद कांग्रेस की सदस्यता ली। विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पैसे उधार लिए थे। जिसकी भरपाई वो अभी तक नहीं कर पाए हैं। चुनाव में मिली हार के बाद सामु को एआईसीसी के सदस्य के रूप में स्थान दिया गया। 2018 के चुनाव में भी सामु को टिकट मिलने की उम्मीद थी लेकिन इस बार कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया था।
2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी सामु का कद नहीं बढ़ा। सामु आज भी अपने समाज और जनता के अन्य मुद्दों को जनप्रतिनिधि तक पहुंचाते हैं। हाल ही में उन्होंने आरक्षण के लिए भी प्रदर्शन किया था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."