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पीपल के साथ ‘ठाकुर जी’ ने लिए सात फेरे, अनोखी शादी के हजारों लोग बने गवाह

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आनंद शर्मा की रिपोर्ट 

टोंक : राजस्थान के टोंक में 5 जून को ‘पर्यावरण दिवस’ पर एक अनूठा विवाह समारोह आयोजित हुआ। जिसके माध्यम से लोगों को पेड़ों को बचाने का संदेश दिया गया। यह अनूठा विवाह पीपल और शालिग्राम जी (भगवान विष्णु) के बीच हुआ। इस अनूठे विवाह को देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस विवाह कार्यक्रम में आमतौर पर शादी समारोह में निभाई जाने वाली सभी रस्में पूरी की गई। इस दौरान चार गांवों के ठाकुर जी मंदिर से शालिग्राम जी ने चार पीपल के पेड़ों के साथ पाणिग्रहण किया। यह अनूठा विवाह पीपलू उपखंड के नाथड़ी में स्थित जिंद बाबा के स्थल पर आयोजित हुआ। जिसको देखने के लिए करीब 5 हजार से अधिक लोग पहुंचे और इसके साक्षी बने।

पीपल के पेड़ों के साथ हुए इस अनोखे विवाह में 4 गांवों से ठाकुर जी के अलग-अलग मंदिरों से शालिग्राम जी बरात लेकर पहुंचे। इस दौरान हजारों बाराती ठाकुर जी की बारात में झूमते नाते गाते हुए पहुंचे। यहां दूल्हे के रूप में पहुंचे शालिग्राम जी का विवाह आयोजकों ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान काशीपुरा, देवपुरा, कुरेड़ी, कल्याणपुरा खोखर का झोपड़ा के ठाकुर जी मंदिरों श्री शालिग्राम जी को दूल्हे के रूप में सजाकर बेवाण (पालकी) के जरिए निकासी निकाली गई। इसके बाद ये बारातें विवाह स्थल पर पहुंची। जहां वधू पीपल पक्ष के लोगों और ग्रामीणों ने बारात पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।

हजारों लोगों की मौजूदगी में परिणय सूत्र में बंधे भगवान

कार्यक्रम में आम शादी समारोह की तरह सभी तरह की रस्में निभाई गई। इस दौरान बारात के पहुंचने पर विवाह स्थल पर अगवानी भी की गई। कार्यक्रम में वर पक्ष के लोगों को भेंट आदि उपहार दिए गए। इसके बाद विधिवत मंत्रोच्चार के साथ शालिग्राम जी का पीपल के पेड़ों से पारंपरिक विधि से विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान ठाकुर जी के जयकारों के बीच भगवान पीपल के पेड़ों के साथ परिणय सूत्र में बंधे। लोगों ने जयकारे लगाते हुए बैंड बाजों के बीच जमकर नृत्य किया। इस दौरान लोगों ने विवाह के मौके पर पेड़ों को बचाने का व्रत भी लिया।

विद्वान पंडितों की मौजूदगी में हुए सात फेरे

इस दौरान पंडित चंद्र मोहन आदि समेत विद्वान लोगों की मौजूदगी में विधि विधान से वैदिक मंत्रोचार के बीच पीपल के पेड़ और ठाकुर जी के विवाह की रस्म पूरी की गई। इससे पहले ठाकुर जी ने बाकायदा तोरण की रस्म भी पूरी की। इसके बाद विद्वान पंडितों की मौजूदगी में ठाकुर जी ने अग्नि को साक्षी मानकर पीपल के पेड़ों के साथ सात फेरे खाए। पंडित कैलाश चंद्र त्रिपाठी, रामचरण शास्त्री, घनश्याम शर्मा ने बताया कि पीपल का विवाह बड़ा पुण्य देने वाला है। पीपल को अविवाहित रखना अशुभ माना जाता है। विवाह के दौरान पंडितों के मंत्र उच्चारण से सारा वातावरण धार्मिक हो गया।

इस विवाह से पहले आयोजकों द्वारा रस्में पूरी की गई। इस दौरान बकायदा ठाकुर जी के विवाह का शुभ मुहूर्त निकाला गया। इसके बाद गणेश जी को विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ निमंत्रण पत्र दिया गया। इसके बाद पीपलू कस्बे के काशीपुरा, देवपुरा, कुरेडी, कल्याणपुरा खोखर का झोपड़ा के ठाकुर जी मंदिर में विवाह के लिए न्योता भेजा गया। इसके अलावा भी आयोजन स्थल पर विभिन्न मांगलिक कार्यक्रम और रस्म भी पूरी की गई। ठाकुर जी और पीपल के इस अनूठे विवाह को लेकर लोगों में काफी चर्चाएं हो रही है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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