Explore

Search
Close this search box.

Search

15 January 2025 4:29 pm

लेटेस्ट न्यूज़

नवरात्रि विशेष ; ज्वाला देवी की ज्वाला का रहस्य, इसलिए नहीं बुझती है यह दिव्य ज्वाला

46 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

51 शक्ति पीठ में से एक मां ज्वाली देवी से जुड़ा रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया। मान्यता है कि यहां लगातार मां ज्वाली की ज्योत जलती रहती है। बिना घी तेल के यह ज्योत जलती है। तो आइए जानते हैं ज्वाली देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यताएं क्या कहती हैं।

मां ज्वाला देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर भी शिव और शक्ति से जुड़ा है। जब भगवान विष्णु ने अपनी चक्र से देवी सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया। जो अंग जहां पर गिरा वहीं पर शक्तिपीठ बन गया। मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। इसलिए इसे ज्वाला जी के नाम से जाना जाता है। इसे जोता वाली और नगरकोट के नाम से भी जाना जाता है।

ज्वाला देवी का मंदिर में सदियों से जल रही है ज्योति

ज्वाला देवी मंदिर में सदियों से बिना तेल बाती के प्राकृतिक रूप से नौ ज्वालाएं जल रही हैं। नौ ज्वालाओं में प्रमुख ज्वाला जो चांदी के जाला के बीच में हैं उसे महालाकी कहते हैं। बाकी आठ, अन्नपूर्णा, चण्डी, हिंगलाज, विध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, और अंजी देवी ज्वाला मंदिर में निवास करती हैं।

ज्वाला देवी मंदिर की धार्मिक मान्यता

ज्वालादेवी मंदिर से संबंधित एक धार्मिक कथा के अनुसार, भक्त गोरखनाथ यहां माता की आराधना किया करते थे। वह माता के परम भक्त थे और पूरी सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी उपासना करते थे। एक बार गोरखनाथ को भूख लगी और उसने माता से कहा कि आप आग जलाकर पानी गर्म करें, मैं भिक्षा मांगकर लाता हूं। माता ने आग जला ली। बहुत समय बीत गया लेकिन, गोरखनाथ भिक्षा लेने नहीं पहुंचे। कहा जाता है कि तभी से माता अग्नि जलाकर गोरखनाथ की प्रतीक्षा कर रही हैं। ऐसी मान्यता है कि सतयुग आने पर ही गोरखनाथ लौटकर आएंगे। तब तक यह ज्वाला इसी तरह जलती रहेगी।

मंदिर के पास ही गोरख डिब्बी

ज्वाला देवी शक्तिपीठ के पास माता ज्वाला के अलावा एक अन्य चमत्कार कुंड हैं जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। यहां कुंड के पास आकर आपको ऐसा लगेगा की कुंड की पानी बहुत गरम खौलता हुआ है। लेकिन, जब आप पानी का स्पर्श करेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा की कुंड का पानी ठंडा है।

अकबर ने भी की थी ज्वाला बुझाने की कोशिश

एक अन्य कथा के अनुसार, मुगल बादशाह अकबर ने ज्वाला देवी की शक्तिपीठ में लगातार जल रही ज्वाला को बुझाने का प्रयास किया था। लेकिन, वह कामयाब नहीं हो सका। उसने अपनी पूरी सेना बुलाकर ज्वाला की आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन, कामयाब नहीं हुआ। जब अकबर को ज्वाला देवी की शक्ति का आभास हुआ तो उसने मां ज्वाला से क्षमा मांगते हुए देवी को सोने का क्षत्र चढ़ाया।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़