Explore

Search
Close this search box.

Search

24 February 2025 3:46 am

लेटेस्ट न्यूज़

अदावत की सालों पुरानी कहानी, वरुण से कितने खफा हैं राहुल गांधी

44 पाठकों ने अब तक पढा

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

भाजपा सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) के ट्वीट को पढ़कर और अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़ा करते देख ऐसी चर्चा होने लगी है कि क्या वह कांग्रेस में जाएंगे? राहुल गांधी ने आज अपने चचेरे भाई वरुण गांधी से रिश्तों और उनकी पार्टी में एंट्री को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर खुलकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि लड़ाई विचारधाराओं की है। राहुल ने बताया, ‘सालों पहले मैंने फिरोज (वरुण) से कहा कि… उसने मुझसे कहा कि RSS देश में बहुत अच्छा काम कर रहा है। मैंने कहा, देखिए आप अपने परिवार की हिस्ट्री को थोड़ा पढ़िए और आप समझिए क्योंकि जो आपने मुझसे बोला है, अगर आपने अपने परिवार की विचारधारा समझी तो आप मुझसे ये कभी नहीं बोल सकते।’ इतना बोलकर राहुल कुछ सेकेंड के लिए खामोश हो गए और फिर बोले, ‘लेकिन कोई नफरत जैसी बात नहीं है।’ राहुल ने कहा कि वरुण गांधी ने एक समय शायद आज भी उस विचारधारा को अपनाया और अपना बनाया तो मैं उस बात को स्वीकार नहीं कर सकता।

वरुण से मैं गले मिल सकता हूं लेकिन…

राहुल ने आगे कहा कि इतना जरूर है कि मैं प्यार से मिल सकता हूं, गले लग सकता हूं मगर उस विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। असंभव है मेरे लिए। जब से राहुल ने ये बातें कहीं हैं सोशल मीडिया पर राहुल गांधी और वरुण गांधी की चर्चा होने लगी है। दोनों भाई एक ही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। दोनों नेता अपनी दादी इंदिरा गांधी की गोद में खेले हैं तो ऐसा क्या हुआ कि दोनों कभी साथ नहीं दिखते और वरुण गांधी भाजपा में हैं जबकि उनकी पारिवारिक पार्टी कांग्रेस है?

वरुण गांधी कुछ दिनों पहले कह चुके हैं कि उन्हें न तो कांग्रेस से दिक्कत है, न पंडित नेहरू से। ऐसे में चर्चा तेज होती चली गई कि शायद वह भाजपा से रिश्ता तोड़ने वाले हैं। आपको याद होगा कि राहुल और वरुण दोनों भले ही अलग-अलग पार्टियों में हों, पर दोनों भाइयों ने एक साथ साल 2004 में राजनीति में कदम रखा था। वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद हैं जबकि उनकी मां सुल्तानपुर से लोकसभा सदस्य हैं। मां-बेटे भाजपा में हैं जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं। अगर राहुल और वरुण के संबंधों की बात की जाए तो तल्खी की वजह ये दोनों बिल्कुल भी नहीं हैं। बताते हैं कि वरुण की मां मेनका गांधी और सोनिया गांधी में कभी नहीं जमी। अदावत की इसी कहानी में छिपी है गांधी परिवार के बिखरने की वो सबसे बड़ी वजह।

बात इमर्जेंसी के बाद की है। तब इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर थीं। संजय गांधी की पत्नी मेनका मैगजीन निकाला करती थीं। वह अपनी सास के सपोर्ट में डटकर खड़ी थीं लेकिन इंदिरा को सोनिया ज्यादा पसंद आ रही थीं। थोड़ा मनमुटाव उसी समय शुरू हो गया था। आम घरों की तरह सास-बहू में दूरियां बढ़ रही थीं। 1980 में एक प्लेन हादसे में संजय गांधी की मृत्यु हो गई। इसके बाद टकराव बढ़ता चला गया। दो साल में स्थिति ऐसी बन गई कि मेनका गांधी ने अपना ससुराल छोड़ दिया। एक्सपर्ट बताते हैं कि गांधी परिवार के भीतर भी सत्ता या कहें कि वर्चस्व की लड़ाई पैदा हो गई थी।

मेनका नहीं बनीं संजय की उत्तराधिकारी और..

बताते हैं कि संजय गांधी के सामने एक बार मेनका किसी बात को लेकर इतनी नाराज हुईं कि अंगूठी निकालकर फेंक दी। इंदिरा को यह अच्छा नहीं लगा। आगे सोनिया गांधी अपनी सास इंदिरा के ज्यादा करीब आ गईं। 1980 में इंदिरा फिर पीएम बनीं। उस समय मेनका गांधी गर्भवती थीं। लेकिन उसी साल प्लेन क्रैश में संजय की मौत हो गई। संजय की मौत के लिए इंदिरा कभी खुद को जिम्मेदार मानतीं, कभी मेनका गांधी को। संजय के बाद मेनका खुद को उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देख रही थीं लेकिन बात नहीं बनी। मेनका राजनीति में आना चाहती थीं लेकिन सोनिया ने विरोध किया। इंदिरा के एक फैसले ने मेनका की नाराजगी बढ़ा दी। इंदिरा ने मेनका की बजाय राजीव गांधी को अमेठी का टिकट दे दिया। बाद में मेनका ने कहा भी था कि संजय की मौत के बाद पूरे परिवार का रवैया बदल गया था।

आखिरकार हुआ यूं कि 25 साल की उम्र में मेनका ने 1982 में पीएम आवास छोड़ दिया। उन्हें इस बात से धक्का पहुंचा कि संजय की विरासत राजीव को सौंप दी गई। आगे के वर्षों में मेनका ने भाजपा जॉइन की और फिर वरुण गांधी के रास्ते भी अलग ही रहे। हाल में एक बार फिर ये चर्चा चल पड़ी है कि क्या 40 साल बाद गांधी परिवार एक बार फिर एक होगा। हालांकि मेनका गांधी ने इस पर कुछ भी नहीं कहा है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़