विरेन्द्र हरखानी की रिपोर्ट
6 जनवरी 2022 को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तलावड़ा , तहसील गंगापुर सिटी , जिला सवाई माधोपुर , राजस्थान में वाणिज्य संकाय के लेक्चरर विमल कुमार गुप्ता ने अपनी ही स्कूल छात्रा के साथ स्कूल परिसर में चलती ड्यूटी के दोरान छेड़ छाड़ की घटना की जिस पर छात्रा के पिता ने उसके खिलाफ एक पुलिस रिपोर्ट 8 जनवरी 2022 को पुलिस थाना गंगापुर सिटी ( सदर ) में पोक्सो व एससी एसटी एक्ट में दर्ज करवाई ।
पुलिस ने कोर्ट में छात्रा के 164 के बयान भी करवाए परंतु बावजूद इसके पुलिस ने मुलजिम विमल कुमार गुप्ता को स्थानीय निवासी होने पर भी 30 जनवरी 2022 तक गिरफ्तार नही किया । जिसके परिणाम स्वरूप छात्रा के निराश मजबूर बाप ने 31 जनवरी 2022 को मुलजिम विमल कुमार के साथ 500 रुपए के स्टांप पर एक समझौता किया जिसमे उसने लिखा कि उसने वह रिपोर्ट गलत फहमी में दर्ज करा दी थी और अब वह इस केस में मुल्जिम विमल कुमार गुलता के खिलाफ कोई कारवाई नही चाहता ।
इस समझौते को आधार बनाकर मुलजिम विमल कुमार गुप्ता ने 2 फरवरी 2022 को राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में एक याचिका दायर की जिसमे मांग की गई कि चूंकि उसके खिलाफ दर्ज पुलिस रिपोर्ट झूठी थी अतः उसे रद्द कर दिया जाए । 2 फरवरी को दायर इस याचिका का फैसला हाई कोर्ट ने 4 फरवरी 2022 को यह कहकर कर दिया कि चूंकि मुलजिम विमल कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर झूठी थी लिहाजा उसे रद्द किया जाता है ।
हाई कोर्ट जयपुर का यह आदेश तलावड़ा गांव वालो को पसंद नही आया , उन्हे लगा कि ऐसे अध्यापकों को सजा मिलनी चाहिए क्योंकि आज इस अध्यापक ने यह घटना इस लड़की के साथ की है , कल को यह अध्यापक इस तरह की घटना किसी अन्य लड़की के साथ भी कर सकता है । इन परिस्थितियों में तलावड़ा गांव निवासी रामजीलाल बैरवा और जगदीश प्रसाद गुर्जर ने हाई कोर्ट के उक्त आदेश को अपने एडवोकेट चेतन बैरवा के द्वारा जन हित याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जहां एडवोकेट चेतन बैरवा के तर्कों से सहमति प्रकट करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित व जस्टिस जे. बी. पारदीवाला की बेंच ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव व राजस्थान सरकार के पुलिस महानिदेशक से याचिका का जवाब पेश करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुल्जिम विमल कुमार गुप्ता व शिकायत कर्ता छात्रा के पिता को भी तलब किया है ।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."