google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
आध्यात्म

यहां होती है सच्ची रामलीला ; यहां रावण का किरदार निभाने वाले की सच में हो जाती है मृत्यु 

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट  

IMG_COM_20230103_1524_36_3381

IMG_COM_20230103_1524_36_3381

IMG_COM_20230125_1248_01_6843

IMG_COM_20230125_1248_01_6843

IMG-20230311-WA0000

IMG-20230311-WA0000

DOC-20230315-WA0001.-1(4465366760430)

DOC-20230315-WA0001.-1(4465366760430)

DOC-20230315-WA0001.-32(4466908217200)

DOC-20230315-WA0001.-32(4466908217200)

देश में इस समय कई जगहों पर रामलीला का मंचन किया जा रहा है। दशहरे वाले दिन रामलीला में रावण वध का मंचन किया जाता है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक रामलीला ऐसी भी है, जिसमें दशहरे वाले दिन रावण नहीं मरता। इस रामलीला को ‘सच्ची रामलीला’ के नाम से भी जाना जाता है। अगर दशहरे के अगले दिन शनिवार पड़ता है तो उस दिन भी रावण वध नहीं होता है। ऐसे में रावण का वध एक और दिन के लिए टाल दिया जाता है। इसके पीछे एक वजह भी है। यह अनोखी रामलीला बीसलपुर में होती है।

इस वजह से दशहरे के दिन नहीं होता रावण वध

उत्तर प्रदेश के बीसलपुर की सच्ची रामलीला में दशहरे के दिन रावण वध इसलिए नहीं होता क्योंकि यहां रामलीला के कार्यक्रम के दौरान रावण का किरदार निभाने वाले गंगा विष्णु उर्फ कल्लू मल, अक्षय कुमार और गणेश कुमार की मृत्यु राम और रावण के युद्ध के दौरान हुई थी। इसके बाद से यहां रावण का वध विजय दशमी के दिन नहीं किया जाता। इस रामलीला की एक और खास बात यह है कि यहां रामलीला मंच पर नहीं, खुले ग्राउंड पर होती है।

राम का तीर लगने से हो गई मौत

साल 1941 में बीसलपुर के रहने वाले गंगा उर्फ कल्लू मल ने पहली बार रामलीला में रावण की भूमिका निभाई थी। रामलीला के मंचन के समय रावण वध के दौरान राम का तीर लगने से कल्लू मल की मौत हो गई थी। इस रामलीला के दौरान इत्तेफाक से ऐसा तीन बार हो चुका है। तीनों बार राम-रावण युद्ध के दौरान रावण का किरदार निभा रहे लोगों की मौत हो गई थी। कल्लू मल की मौत के बाद से रामलीला ग्राउंड में ही दशानन की एक बड़ी मूर्ति लगा दी गई है। इस पर लिखा गया कि राम के तीर से कल्लू मल बने रावण को मोक्ष प्राप्त हुआ है।

राख और अस्थियां तक ले भागे थे लोग

कल्लू मल की मृत्यु के बाद इसी ग्राउंड पर उसका अंतिम संस्कार किया गया था। उसके अंतिम संस्कार में लोगों की भारी भीड़ थी। उनकी चिता जलाने के बाद कल्लू मल की अस्थियां और राख लोग उठाकर भाग गए थे। परिवार के लोगों को कल्लू मल की अस्थियां, राख तक नहीं मिल पाई थी।

46 साल बाद फिर हुआ ऐसा

कल्लू मल की मृत्यु के 46 साल बाद 1987 में दशहरे के दिन रावण वध लीला का मंचन हो रहा था। मैदान दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। डीएम और एसपी भी वहां मौजूद थे। लीला मंचन के दौरान रावण वध के लिए भगवान राम का किरदार निभा रहे पात्र ने रावण का किरदार निभा रहे विष्णु पर बाण चलाया। बाण लगते ही गंगा विष्णु जमीन पर गिर पड़े। काफी देर तक लोग यही समझते रहे कि विष्णु अभिनय कर रहा है। जब काफी देर तक वह नहीं उठा तो उसे डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। तब से ही यह रामलीला सच्ची लीला के नाम से मशहूर हो गई।

Tags

samachar

"ज़िद है दुनिया जीतने की" "हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं"
Back to top button
Close
Close
%d bloggers like this: