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November 6, 2024 7:01 am

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“नासमझ थी मैं पर रस्मों-रिवाज के तले दबती गई, क्यों उम्र से पहले मुझे औरत बना दिया?” बाल विवाह का अंदरुनी सच

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

यूपी के दो जिले श्रावस्ती और ललितपुर, यहां सबसे ज्यादा बाल-वधुएं रहती हैं। श्रावस्ती में हर 2 में से 1 लड़की की शादी 18 से कम उम्र में की जा रही है। ललितपुर में हर 3 में से 1 की। ये बात ‘NFHS यानी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे’ में सामने आई है।

आइए चलते हैं, ललितपुर और श्रावस्ती…

2 महीने हो गए, लेकिन पूजा को अपनी शादी के बारे में नहीं पता

पूजा 9 साल और उनके पति 12 साल के हैं। दोनों ललितपुर में रहते हैं। अभी 2 महीने पहले ही इनकी शादी हुई। पूजा अब तक अपने ससुराल नहीं गई है। शादी के बारे में ज्यादा जानती भी नहीं।

शादी के बाद क्या बदल गया इस सवाल पर वो बस इतना कहती हैं, “अम्मा अब बाहर खेलने नहीं देती। हमको दोस्तों के साथ खेलना अच्छा लगता है। लेकिन अम्मा कहती हैं घर में रहो चौका-बासन (बर्तन) करना सीखो।”

सुचिता की 13 साल में शादी हुई, 15वें साल में पहला बच्चा, 16वें में दूसरा

श्रावस्ती की सुचिता की शादी 2011 में हुई थी। तब वो 13 साल की थीं। 15 साल की उम्र में वो मां बन गईं। 16 साल की उम्र में दूसरा बच्चा हुआ।

वो बताती हैं, “दोनों ही बच्चे ऑपरेशन से हुए थे तो बहुत तकलीफ हुई थी। कई दिनों तक मैं चल नहीं पाती थी। ऊपर से बच्चों को भी अकेले संभालना था। मुझे पढ़ाई करना पसंद था पर घरवालों ने शादी करवा दी। उम्र कम थी तो मैंने भी नए कपड़ों के लिए खुशी से शादी कर ली। बच्चे होने के बाद मेरी पढ़ाई करने की इच्छा भी अधूरी रह गई।”

सविता 9 साल की थीं तब शादी हो गई, रात में पति करीब आता तो सहम जातीं

ये कहानी है सविता की। वो श्रावस्ती में रहती हैं। उनकी उम्र अभी 32 साल है। शादी 9 साल की उम्र में हो गई थी। उस वक्त उनके पति की उम्र 20 साल थी।

वो बताती हैं, “मैं 9 साल की थी जब ससुराल आ गई। यहां मुझसे कोई ठीक से बात भी नहीं करता था। कई दिनों तक बस एक वक्त का खाना देते रहे। रात में जब मेरा पति मेरे करीब आने की कोशिश करता था, तो मैं घबरा कर चिल्लाती थी। जिस पर वो मुझे बहुत पीटता था। मेरे शरीर पर ऐसी कोई जगह नहीं बची थी। जहां चोट के निशान न हों।”

वो आगे कहती हैं, “करीब 4 साल तक तो मैंने ये सब झेला। उसके बाद मैं ससुराल से भाग आई। गांव की एक नानी थीं। उनसे पूरी बात बताई। मायके जाने की हिम्मत नहीं थी। क्योंकि, मां-बाप का नाम खराब होता। नानी ने एक लड़के से मेरी दूसरी शादी करवाई। अब मैं अपने पति के साथ बहुत खुश हूं।”

इसलिए कम उम्र में शादी कर देते’

ललितपुर में बाल विवाह पर काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन की हेड ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “यहां ज्यादातर लोग मजदूरी करते हैं। गरीब हैं। लड़की की उम्र 18 से ज्यादा हो जाती तो 20-22 साल के लड़के ढूंढ़ने पड़ते। इस उम्र के लड़के नौकरी करने लगते हैं। इसलिए लड़की वालों को दहेज ज्यादा देना पड़ता है। इसलिए जान बूझकर लड़कियों की शादी कम उम्र में कर देते हैं।”

हमने श्रावस्ती और ललितपुर के अलग-अलग गांवों में कुशवाहा समाज और सहरिया आदिवासियों के करीब 40 परिवारों से बात की। उनका कहना था हमारे समाज में लड़कियों की शादी 15-16 की उम्र में हो जाती है। लड़की अगर 18 साल से ज्यादा की हो जाए तो उसके लिए समाज में लड़का नहीं मिलता।

परिवार का डर

ललितपुर में लड़कियों की कम उम्र में शादी करने की बड़ी वजह है, परिवार का डर। लोगों ने बताया, “हम मजदूरी करते हैं। सभी लोग कमाने के लिए दिन भर घरों से बाहर रहते हैं। जवान लड़कियां घर पर अकेले रहती हैं। लड़के दारू पीकर अक्सर छेड़छाड़ करते हैं। घरों में घुस आते हैं।”

लोग कहते हैं, “कई बार लड़कियों के साथ बदतमीजी भी हुई है। ऐसे में हमारी बच्चियों के साथ कुछ गलत हो जाए। इससे अच्छा है कम उम्र में ही उनका ब्याह कर दो। ताकि वो अपने ससुराल चली जाएं।” यहां कुछ गलत होने से परिवारों का मतलब था लड़कियों का शादी से पहले मां बन जाना।

श्रावस्ती के सोनबरसा गांव के लोगों ने कहा, “आजकल जमाना बहुत खराब है। हमें अपनी लड़कियों पर तो भरोसा है। आस-पास के लड़कों पर नहीं है। लड़के हमारी छोटी बच्चियों को बहला-फुसला लेते हैं। वो भी उनके प्यार में पड़ जाती हैं।”

वो कहते हैं, “इससे परिवार का नाम खराब होता है। क्यूंकि हमारे समाज में प्रेम विवाह को अच्छा नहीं माना जाता। लड़कियों को मना करो तो या वो लड़कों के साथ भाग जाती हैं या फांसी के फंदे पर लटक जाती हैं। इसलिए अच्छा है सही उम्र में उनका ब्याह करके ससुराल भेज दो।”

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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