विरेन्द्र हरखानी की रिपोर्ट
नई दिल्ली , सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट चेतन बैरवा ने जातियां बनाने वाले मनु की मूर्ति को राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर से हटाने बाबत , राजस्थान हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को , राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को , राजस्थान सरकार के पुलिस महानिदेशक को तथा भारत सरकार के गृह सचिव को कानूनी नोटिस भेजकर मांग की है कि हाई कोर्ट जयपुर से , जाति बनाने वाले मनु की मूर्ति को नोटिस प्राप्ति के 15 दिन के अंदर अंदर हटायें , वरना इस बाबत वो सुप्रीम कोर्ट में एक जन हित याचिका दायर करेंगे । यह नोटिस एडवोकेट चेतन बैरवा ने ( 1 ) रामजीलाल बैरवा , ग्राम तलावड़ा , तहसील गंगापुर सिटी , जिला सवाई माधोपुर , राजस्थान , ( 2 ) जगदीश प्रसाद गुर्जर , ग्राम – बाढ़ कोटड़ी – तलावड़ा , तहसील गंगापुर सिटी , जिला सवाई माधोपुर , राजस्थान तथा ( 3 ) जितेंद्र कुमार मीणा , ग्राम कैमला , तहसील नादोती , जिला करौली , राजस्थान के सामाजिक सोच रखने वालो की तरफ से भेजा है जिसमे कहा है कि राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ति , भारतीय संविधान की प्रस्तवना जिसमे की सभी के लिए स्वतंत्रता , समानता व न्याय की बात निहित है तथा भारतीय संविधान के आर्टिकल 13 , 14 , 15 , 16 ( 4 ) , 17 , 19 , 21 , 32 व 226 के खिलाफ है , लिहाजा उसे वहां से हटाया जाना चाहिए ।
अपने नोटिस में एडवोकेट बैरवा ने यह भी कहा है कि मनु ने मनु स्मृति के जरिए वर्ण व्यवस्था चलाकर न केवल देश में नफरत फैलाने का काम किया है बल्कि देश को कमजोर करने का काम भी किया है जिसके कारण कालांतर में देश कई भागों में विभाजित हुआ है । यह वर्ण व्यवस्था का ही दुष्परिणाम था जो कि देश अफगानिस्तान , पाकिस्तान , बंगला देश के रूप में विभाजित हुआ । एडवोकेट बैरवा ने अपने नोटिस में यह भी कहा है कि हाई कोर्ट जयपुर में लगी मनु की मूर्ति आज भी राजस्थान और देश के अन्य भागों में जातिगत नफरत फैलाने का संदेश दे रही है । जिसके परिणाम स्वरूप देश के लगभग सभी भागों में अक्सर जातीय झगड़े होते रहते हैं ।
हाल ही में राजस्थान के पाली जिले में जितेंद्र मेघवाल नाम के एक 30 वर्षीय अनु जाति के युवक की हत्या उच्च वर्ण के लोगो ने महज इसलिए कर दी थी क्योंकि वह अपने चेहरे पर मूंछ रखता था । जातीय नफरत का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है । सवाल इस बात का है कि क्या जातीय नफरतों के कारण देश एक जुट रह पाएगा।
एडवोकेट बैरवा ने कहा है कि देश में धर्मांतरण भी जातीय नफरतों के कारण ही होते हैं । बाबा साहब अंबेडकर ने भी जातीय नफरतों के कारण 1956 में हिंदू धर्म त्याग कर बोध धर्म ग्रहण कर लिया था । वर्ण व्यवस्था व जातीय नफरतों के चलते एससी / एसटी / ओबीसी के लोग पूर्व में सामाजिक आर्थिक राजनीतिक रूप से इतने कमजोर हो गए थे कि उन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने के लिए बाबा साहब अंबेडकर को संविधान में आरक्षण का प्रावधान करना पड़ा ताकि वो लोग सरकारी नोकरियों , उच्च शिक्षा व सांसद व विधान सभा में उनकी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी प्राप्त कर सके । वरना और कोई कारण नहीं था जो कि बाबा साहब उनके लिए संविधान में आरक्षण के प्रावधान करते ।
इस नोटिस में एडवोकेट बैरवा ने यह भी बताया कि मनु की विचारधारा न केवल एससी / एसटी / ओबीसी के खिलाफ है बल्कि वह क्षत्रियों , वैश्यों व महिलावों के खिलाफ भी है । क्योंकि मनु ने अपनी पुस्तक ” मनु स्मृति ” के चैप्टर 2 के श्लोक 138 में लिखा है कि सो साल के क्षत्रिय को भी 10 साल के ब्राह्मण के बच्चे को अपने बाप के बराबर मानना चाहिए , क्यों मानना चाहिए ? इसका मनु के पास आज दिन तक कोई जवाब नही है । इसी तरह चैप्टर 8 के श्लोक 417 में मनु लिखता है कि वैश्यों को और शूद्रो को राजकाज के नजदीक नही आने देना चाहिए । चैप्टर 10 के श्लोक 122 में मनु लिखता है कि शुद्रो को यानि कि एससी / एसटी / ओबीसी के लोगो को झूंठा खाना और फटे टूटे वस्त्र ही पहनने को दिए जाने चाहिए । चैप्टर 8 के श्लोक 361 में मनु लिखता है कि नट , चारण , भाट , तो अपनी आजीविका के मध्य नजर अपनी महिलाओ को खुद ही सजा धजा कर पर पुरुषो के पास भेजते हैं । चैप्टर 9 के श्लोक 316 में मनु लिखता है कि ब्राह्मण चाहे मूर्ख हो या विद्वान , केवल वही पूजनीय है अन्य कोई नही । चैप्टर 9 के श्लोक 291 में मनु लिखता है कि सुनार सभी पापियों का शिरोमणि है , यदि वह अन्याय करता है तो राजा को चाहिए कि वह चाकू से उसके टुकड़े टुकड़े करवा दे । स्त्रियों का चरित्र हनन करते हुए मनु ने , मनु स्मृति के चैप्टर 9 के श्लोक 15 में लिखा है कि स्त्रियां स्वभाव से ही पर पुरुषो पर रीझने वाली होती हैं । उन्हे स्वतंत्र नही छोड़ा जाना चाहिए ।
एडवोकेट बैरवा ने कहा कि मनु न केवल एससी / एसटी / ओबीसी के खिलाफ है बल्कि वह क्षत्रिय , वैश्यों व महिलाओ के खिलाफ भी है । मनु सीधा सीधा एससी 16 % , 7 % एसटी और 52 % ओबीसी , कुल मिलाकर 75 % जनसंख्या के खिलाफ है । साथ ही वह क्षत्रिय , वैश्य व महिलावो के खिलाफ भी है । अतः इस तरह के घृहणित विचार रखने वाले मनु की मूर्ति को संविधान विरोधी होने के कारण राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर के प्रांगण से तुरंत हटना चाहिए ।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."