दुर्गा प्रसाद शुक्ला और नौशाद अली की रिपोर्ट
कुशीनगर : 2566 वीं त्रिविधि पावनी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी के बाद निर्वाण स्थली कुशीनगर पहुंचकर माथा टेकेंगे।
ऐसा देश की आजादी के बाद पहली बार है कि जब कोई प्रधानमंत्री जन्मस्थली से लेकर निर्वाण स्थली तक इस महत्वपूर्ण तिथि को पहुंच रहे हैं। लुंबिनी से लौटने के बाद प्रधानमंत्री कुशीनगर में कुल तीस मिनट बिताएंगे। उसके बाद विशेष विमान से वापसी की उड़ान भरेंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन से भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन चर्चा में है। जिले में बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। जगह-जगह प्रकाशोत्सव किया जाता है।
प्रधानमंत्री अपने विशेष विमान से दिल्ली से सुबह 8 बजे चलकर 9.20 बजे कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से 9.25 बजे पर प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर फ्लीट से लुंबिनी के लिए रवाना होंगे। वहां विभिन्न कार्यक्रमों के भाग लेने के बाद उनका हेलीकॉप्टर फ्लीट फिर वापस शाम के चार बजकर पांच मिनट पर कुशीनगर एयरपोर्ट पर उतरेगा। यहां से प्रधानमंत्री 4.10 बजे पर सड़क मार्ग से 14 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर पहुंचेंगे।
4.20 बजे से 4.30 बजे तक, कुल 10 मिनट में प्रधानमंत्री पूजा अर्चन करेंगे। बुद्ध की प्रतिमा पर चीवर चढाएंगे। ध्यान करेंगे और बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान व संघदान करेंगे। 4.35 बजे फिर उनका काफिला सड़क मार्ग से होते हुए 10 मिनट के अंदर कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय पहुंच जाएगा। जहां वे अपने विशेष विमान में सवार होकर चार बजकर 50 मिनट पर रवाना हो जाएंगे।
खास आयोजन
बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुशीनगर के सभी बौद्ध विहारों से जुलूस निकलता था। इसकी शुरूआत सन् 1919 में बौद्ध भिक्षु चन्द्रमणि ने की थी। कोरोना काल में यह जुलूस रोक दिया गया था। यह जुलूस कई इलाकों में घूमता था। इसका समापन म्यांमार बुद्ध विहार में होता था। इसके बाद भगवान बुद्ध के उपदेशों को लेकर विस्तार से चर्चा की जाती थी। इस बार पीएम मोदी के आगमन के चलते इस जुलूस को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं। दरअसल, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध के जन्म की बात कही जाती हैं।
इतना ही नही मान्यता यह भी हैं कि इसी तिथि में उन्हें कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध भगवान श्री विष्णु के अंतिम और 9वें अवतार थे। इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। चंद्रगहण के बाद स्नान और दान का महत्व है।
बौद्ध भिक्षु भदंत मोगल्ली तिस्स ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा इस बार 2 दिन यानी 15 और 16 मई दोनों दिन है। ऐसे में दोनों दिन कुशीनगर के मुख्य मन्दिर में बौद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है जो अगले दिन 16 मई को 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। चूंकि 16 तारीख को पूर्णिमा की उदया तिथि है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी।
Author: samachar
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