ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद देशभर में देशभक्ति की लहर, कुशीनगर में 17 नवजात बेटियों को दिया गया ‘सिंदूर’ नाम, माताओं ने दिखाई वीर सैनिकों के प्रति अनूठी श्रद्धांजलि।
संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
जब भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया, तब न केवल सरहदें गरज रही थीं, बल्कि देश के नागरिकों का खून भी जोश से उबल रहा था। खासकर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में देशभक्ति का ऐसा ज्वार देखा गया, जो भावनाओं की नई परिभाषा बन गया।
देशभक्ति की अनूठी मिसाल: बेटियों का नाम ‘सिंदूर’
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद, कुशीनगर जिले में 7 मई से 9 मई के बीच जन्मी 17 नवजात बेटियों को ‘सिंदूर’ नाम दिया गया। यह नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि उन माताओं की राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बन गया है, जो खुद सरहद पर नहीं जा सकतीं, पर अपनी संतान को देश के नाम कर सकती हैं।
भावनाओं में डूबी प्रेरक कहानियाँ:
पडरौना नगर के मदन गुप्ता ने अपनी नतिनी का नाम सिंदूर रखा और उसे भारत के वीर जवानों के नाम समर्पित किया। उन्होंने कहा, “यह नाम केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि देश के प्रति हमारे समर्पण का जीवंत उदाहरण है।”
उनकी बहू काजल ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले में जिन महिलाओं का सिंदूर मिटा, उनके दर्द और भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई को देखते हुए उन्होंने यह नाम अपनी बेटी को दिया।
खनवार बकलोलही गांव की नेहा ने भी 9 मई को जन्मी बेटी का नाम सिंदूर रखा। उनके अनुसार, “हमारे सैनिकों की वीरता ने हमें यह नाम देने की प्रेरणा दी।”
भठही बाबू गांव के व्यास मुनि की पत्नी ने भी इसी सोच के साथ बेटी का नाम सिंदूर रखा ताकि वह भविष्य में देश सेवा की प्रेरणा बने।
सिंदूर बना भावना, संदेश और श्रद्धांजलि
खड्डा तहसील की अर्चना और प्रियंका ने भी अपनी नवजात बेटियों को ‘सिंदूर’ नाम देकर, वीर सैनिकों की कुर्बानी को सम्मान दिया। उनका कहना है कि सिंदूर अब केवल एक सजावट का प्रतीक नहीं, बल्कि भारत माता के लिए आस्था और समर्पण की भावना है।
प्रशासन और चिकित्सा जगत की प्रतिक्रिया
कुशीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.के. शाही ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने देश में देशभक्ति की जो लहर पैदा की है, वह ऐतिहासिक है। नवजात बच्चियों को यह नाम देकर लोगों ने आने वाली पीढ़ियों को एक संदेश दिया है।”
कुशीनगर में जिस तरह माताओं ने अपनी बेटियों को ‘सिंदूर’ नाम देकर वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी, वह केवल एक खबर नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह पहल दिखाती है कि युद्ध केवल मैदान में नहीं, भावनाओं और सोच में भी लड़ा जाता है। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को केवल एक सैन्य जीत नहीं दी, बल्कि हर नागरिक के दिल में देशभक्ति की लौ और प्रज्वलित कर दी।