उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में दरोगा सूर्यनाथ पासवान पर रिश्वत लेने और आरोपी पर झूठे केस में धारा लगाने का आरोप, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद मचा हड़कंप।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश सरकार भले ही “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर जोर दे रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कहीं जुदा नज़र आती है। दरअसल, कुशीनगर जिले के खड्डा थाना क्षेत्र में तैनात एक दरोगा ने वर्दी की गरिमा को तार-तार कर दिया है। आरोपी दरोगा सूर्यनाथ पासवान पर रिश्वत लेने, झूठा मुकदमा दर्ज करने और फिर उसे दबाने की कोशिश का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
मामले की शुरुआत तुर्कहा गांव से हुई, जहां कुछ दिन पहले एक युवक और युवती के भागने की घटना सामने आई थी। हालांकि, परिजनों के दबाव और समझाइश के बाद दोनों 24 घंटे के भीतर घर लौट आए। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी जैसे ही पुलिस को मिली, मौके पर पहुंचकर दोनों को हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ के कुछ घंटों बाद पुलिस ने युवती को छोड़ दिया, किन्तु युवक को छोड़ने के लिए दरोगा ने परिजनों से डेढ़ लाख रुपये की मांग की।
जब तत्काल राशि की व्यवस्था नहीं हो पाई, तो दरोगा ने युवक को चार दिनों तक थाने में बैठाए रखा और फिर जेल भेज दिया। परिजन किसी तरह 83,800 रुपये का इंतजाम कर पाए, जो दरोगा को दिए गए। इसके बावजूद, न तो युवक को छोड़ा गया और न ही कोई राहत मिली। बल्कि, उसे जेल भेज दिया गया।
इस घटना से आहत परिजनों ने इसकी शिकायत थानाध्यक्ष से की। मामला गंभीर होता देख दरोगा सूर्यनाथ पासवान खुद पीड़ित के घर पहुंचा और रिश्वत की रकम के बदले मुकदमे में “धारा कम करने” की बात कहने लगा। यह पूरा संवाद कैमरे में कैद हो गया और अब वही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
विडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि दरोगा न सिर्फ़ रिश्वत लेने की बात स्वीकार कर रहा है, बल्कि यह भी कहता है कि उसने धारा बदल दी है और पैसे खर्च हो चुके हैं। हालांकि, वह कुछ पैसे वापस करने की बात भी करता है।
इस घटना ने न सिर्फ़ पुलिस विभाग की छवि धूमिल की है, बल्कि आमजन का भरोसा भी हिलाकर रख दिया है। अब सवाल यह उठता है कि सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त नीति के बावजूद क्या ऐसे रिश्वतखोर पुलिसकर्मियों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी?
कुशीनगर का यह मामला प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस महकमे की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े करता है। जनता अब इस बात की प्रतीक्षा कर रही है कि उच्चाधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या इस भ्रष्टाचार के दलदल से वर्दी को बाहर निकाल पाएंगे।