परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली, जहांगीरपुरी हिंसा मामले में स्थलीय निरीक्षण कर लौटी ग्रुप आफ इंटेलेक्चुअल्स एंड एकेडमिक्स (जीआइए) की फैक्ट फाइंडिग टीम ने घटनास्थल क्षेत्र को टाइम बम की तरह बताया है। उसके मुताबिक यहां बांग्लादेशियों की अवैध बसावट से तेजी से भौगोलिक व जनसांख्यिकीय परिदृश्य बदल रहा है। इससे कई इलाके में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। यहीं नहीं, सरकारी जमीनों पर कब्जा व अवैध मदरसों के संचालन के साथ कई अवैध धंधे चल रहे हैं, जिससे काला धन बढ़ रहा है।
फैक्ट फाइडिंग टीम ने सोमवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में जहांगीरपुरी की स्थिति पर तैयार की गई इस रिपोर्ट की जानकारी दी, जिसे अब गृह मंत्रलय को सौंपा जाएगा। इस अवसर पर कई पीड़ितों ने घटनाक्रम की जानकारी भी दी। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता और जीआइए की संयोजक मोनिका अरोड़ा के साथ ही इस रिपोर्ट को उद्यमी मोनिका अग्रवाल, डीयू की असिस्टेंट प्रोफेसर दिव्यांशा शर्मा, श्रृति मिश्र व डा. सोनाली चितालकर ने तैयार किया है। इसे तैयार करने के लिए ये लोग 17 अप्रैल को हिंसाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचे थे और दोनों पक्षों के लोगों से बात करके यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
शोभायात्रा में शामिल संघ के स्वयंसेवक उमाशंकर ने कहा कि शोभायात्रा की स्थानीय थाने से मंजूरी ली गई थी। यह हर साल निकाली जाती है, कोई नई बात नहीं थी। उन्होंने कहा कि हमले कर रहे लोग कह रहे थे कि कोई बच कर नहीं जाने पाए। उनकी गर्दन पर तलवार से वार किया गया, लेकिन वह रूद्राक्ष की माला पहने होने की वजह से बच गए। एक अन्य पीड़ित सुरेश ने कहा कि वे लोग शांतिपूर्वक जा रहे थे।
हिंसा की कोई आशंका भी नहीं थी। इसलिए बच्चों को भी साथ लेकर गए थे। वह खुद भतीजे के साथ हिंसा के बीच फंस गए और किसी तरह बचते हुए शोभायात्र में शामिल भगवान हनुमान के रथ को वहां से हटाकर ले गए, ताकि हालात गंभीर न हो जाए। मामले में पीड़ितों को भी फंसाने का आरोप लगाते हुए दुर्गा ने बताया कि उसके पति और तीन बेटों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। यह कहते-कहते वह रोने लगीं।
हिंसा से पहले मुस्लिम महिलाओं को भड़काया गया
रिपोर्ट में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। समिति के सदस्यों ने बताया कि पूछताछ के दौरान मुस्लिम महिलाओं और किशोरियों का कहना था कि उनका पवित्र रमजान का महीना चल रहा है। इसमें हनुमान जन्मोत्सव की शोभायात्रा कैसे निकाली जा सकती है।
ऐसे जवाबों से पता चलता है कि किशोरियों और महिलाओं का किस तरह भड़काकर हिंसाके लिए तैयार किया गया था। मोनिका अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली में दो वर्ष पहले हुए दंगों के दौरान भी यही तरीका अपनाया गया था। ¨हिंसा के एक दिन पहले ही बोतलें, पत्थर, ज्वलनशील पदार्थ व हथियार मस्जिदों व आसपास की घरों की छत पर जमा किए गए।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."