दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बागपत। जिले में सैकड़ों लोग 700 बेसहारा गोवंशियों को गोद लेकर पाल रहे हैैं। तीज-त्योहार पर उनका पूजन करते हैं। इस सकारात्मक पहल से उम्मीद की नई किरण जागी है।
राजेश्वरी उन लोगों के लिए सबक हैं, जो दूध देना बंद करने पर गोमाता को बेसहारा छोड़ देते हैं। उन्होंने तीन बेसहारा गाय गोद ले रखी हैं। इस पुण्य को कमाने वाली वह अकेली नहीं हैं।
सिंगोली तगा गांव निवासी किसान परिवार की राजेश्वरी को बेसहारा गोवंशियों की दुर्दशा ने झकझोरकर रख दिया। एक साल पहले उन्होंने पशुपालन विभाग से बेहद कमजोर हो चुकी तीन बेसहारा गाय गोद लीं और पालने लगीं। कुछ दिनों में तीनों गायों की सेहत सुधर गई। दो गाय दूध दे रही हैं। वह बताती हैं-अब दूध खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। गो सेवा करने से मिल रहे आत्मिक संतोष को वह शब्दों में बयां नहीं कर सकतीं।
खट्टा प्रहलादपुर गांव की ममता ने दो साल पहले बेहद कमजोर बेसहारा गाय गोद लेकर उसकी सेवा शुरू की। समय से चारा-पानी मिला तो गाय स्वस्थ हो गई। एक साल पहले इस गाय ने बछिया को जन्म दिया। दूध से हजारों रुपये प्रतिमाह बचत हुई। अब यह गाय दूध नहीं देती लेकिन वह जीवनभर इस गाय की सेवा करेंगी। एक साल से बेसहारा गोवंशी को गोद लेकर सेवा करने वाले डौला के सुरेश कहते हैं-कितना शर्मनाक है कि लोग दूध देना बंद करने पर गोमाता को बेसहारा छोड़ देते हैं।
बागपत जिले में 558 व्यक्ति पशुपालन विभाग से 700 बेसहारा गोवंशी गोद लेकर उनकी सेवा कर रहे हैैं। पशुपालन विभाग गोद दिए गए प्रति गोवंशी प्रतिदिन 30 रुपये की आर्थिक सहायता देता है। निबाली के गौतम धामा, अब्दुलपुर मेवला के राज, नेहा समेत 33 लोगों ने यह मदद ठुकरा दी। उनका कहना है, सेवा ही करनी है तो पूरा खर्च स्वयं वहन करेंगे। बेसहारा गोवंशियों के गोद लेने से पशुपालन विभाग का भी बोझ हल्का हो गया है। 24 गो आश्रय स्थलों में 3261 बेसहारा गोवंशी हैं।
Author: samachar
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