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रेत की धार से टपकती कला ने दिया स्वांग कला को नाट्य रुप ; मंत्रमुग्ध हो जाते हैं दर्शक

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गौरी सकलेचा की खास रिपोर्ट

अलवर। शहर ने नाट्य विधा के कई रूप देखे हैं। लाेक गीताें पर आधारित नृत्य से प्रस्तुति, स्वांग, स्वांग से रामलीला का मंच और रामलीला की पारसी शैली से अब आधुनिक नाटक का रूप देखा है। नाट्य विधा से जुड़े कलाकाराें ने फिल्मिस्तान मुंबई तक पहुंच बनाई है। नाट्य विधा से आज भी बहुत से कलाकार जुड़े है। नाटक की इस विधा में रंगमंच पर अभिनय के साथ पर्दे के पीछे रहे कर भी विभिन्न गतिविधियाें से जुड़कर अपना कॅरियर बनाया जा सकता है।

इन विधाओं में प्रकाश व्यवस्था, निर्देशन, मेकअप, ड्रेस डिजाइनिंग, मंच परिकल्पना, नाट्य संगीत, सहित अन्य कई विद्याएं है। जिनके देश में विभिन्न स्थानाें पर प्रशिक्षण के लिए विद्यालय व काॅलेज है। इनमें अभिनय के साथ अन्य गतिविधियाें का प्रशिक्षण दिया जाता है। शहर के कई कलाकार इनमें प्रशिक्षण लेकर आगे बढ़े हैं। नाट्य विद्या में अपना कॅरियर तलाशने वाले इन विद्याओं में कॅरियर बना सकते हैं। बहरोड़ के दिनेश ने ताे अंतरराष्ट्रीय स्तर अपना कॅरियर बनाया है।

राजेंद्र शर्मा
राजेंद्र शर्मा

मुंबई में आईसीए बालाजी संस्थान से जुड़े व कई फिल्माें में सहायक निदेशक रहे अलवर के राजेंद्र शर्मा बताते है कि नाटकाें के साथ फिल्म एवं टीवी की चकाचाैंध में युवक व युवती इनमें अपना कॅरियर तलाशते हैं। इस कॅरियर के लिए जरूरी है कि आपके पास प्रशिक्षण हाे या रंगमंच पर काम करने का अनुभव हाे।

प्रशिक्षण के लिए देश में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली में है। इसके साथ ही देश के चार स्थानाें पर इसकी शाखाएं हैं। फिल्म एवं टीवी के लिए पुणे में संस्थान है। यहां से ही अलवर के अमित बिमराेत जैसे अभिनेता ने प्रशिक्षण लेकर नाम कमाया है। इसके साथ ही देश के विभिन्न राज्याें में विभिन्न महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में नाटकाें से जुड़े विभाग है जहां डिग्री व डिप्लाेमा काेर्स है।

देशराज मीणा
देशराज मीणा

अपने ग्रुप के साथ विभिन्न स्थानाें पर नाट्य प्रस्तुति देने नाट्य विधा से जुड़े देशराज मीणा ने बताया कि नाट्य विद्या के प्रति युवाओं में अपना क्रेज है। इसमें कॅरियर बनाना चाहते है। क्याेंकि नाट्य विद्या का उपयाेग आईएएस तक के साक्षात्कार की तैयारी के लिए भी हाेता है।

इसमें बैठना कैसे बातचीत करनी है किस तरह से व्यवहार करना है। ये सब सिखाया जाता है।

मीणा का कहना है कि इस तरह विभिन्न तरह के कॅरियर बनाने में यह विद्या काम आती है। उन्हाेंने यहां नाटकाें के विशेष कार्यक्रमाें की शुरुआत की। फिल्माें के अभिनेता पुनीत इस्सर, अखिलेंद्र मिश्रा, जयंत खाडेकर, अशाेक बाटिया जैसे कलाकार यहां आएं। इन कार्यक्रमाें में शहर ने विभिन्न क्षेत्राें की नाट्य कलाओं के बारे में जाना।

रंगकर्मी महेश चंद्र शर्मा
रंगकर्मी महेश चंद्र शर्मा
 

नाट्य विधा का प्राचीन रूप अलवर में
राजर्षि अभय समाज के महामंत्री एवं रंगकर्मी महेश चंद्र शर्मा ने बताया कि शहर में उस समय स्वांग निकलते थे। उसी के बाद से साै साल से भी अधिक समय पहले ही स्वांग की कला का रूप बदला और रंगमंच पर नाट्य विद्या का पारसी रूप अलवर में आया। उन्हाेंने बताया कि यह आज भी अलवर में देखने काे मिलता है।

पारसी शैली के बाद अलवर में आधुनिक रंगमंच की भी शुरुआत हुई। उन्हाेंने बताया कि पारसी मंच से जुड़े कई कलाकाराें ने शहर से बाहर भी अपना नाम कमाया। इनमें जयशिव लाल भास्कर व गिरिराज जैमिनी सहित अन्य कई कलाकार शामिल है।

जगदीश प्रसाद शर्मा
जगदीश प्रसाद शर्मा

 

अलवर के सीरियल भी दूरदर्शन पर आए

इप्टा के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश प्रसाद शर्मा ने बताया कि शहर में रंगमंच की गतिविधियां शुरू से ही जारी रही है। अशाेक राही, देवदीप मुखर्जी सहित अन्य कलाकाराें ने नाटक की गतिविधियाें काे आगे बढ़ाया। अलवर के कलाकाराें के विषघट व लालदास सीरियल दूरदर्शन जयपुर से प्रसारित हुए है।

अलवर के कलाकार साक्षी तंवर, अमित बिमराेत, आस्था फाैजदार सहित अन्य कई कलाकाराें ने फिल्माें में भी अपना कॅरियर बनाया है। इप्टा अलवर के कलाकाराें ने भी देश के विभिन्न स्थानाें पर अपनी प्रस्तुतियां दी है। नाट्य के क्षेत्र में काेई इंसान तभी सफल हाेता है जब वह इसे पूरी तरह कॅरियर के रूप में अपनाए और पूरे समर्पण के साथ जुड़े।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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