12 लोगों का परिवार, मौत के बाद नहीं उठेगी किसी की अर्थी, ना होगा अंतिम संस्कार!

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अनोखी पहल: परिवार के 12 सदस्यों ने किया देहदान

राजस्थान के बाड़मेर में समाज सेवा की अनूठी मिसाल! एक ही परिवार के 12 सदस्यों ने सामूहिक रूप से देहदान किया, जिससे अंतिम संस्कार की परंपरा को नया रूप मिला। पढ़ें इस प्रेरणादायक पहल की पूरी कहानी।

समय के साथ समाज में बदलाव की लहर देखी जा रही है। कई कुप्रथाएं और अंधविश्वास धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के बाड़मेर से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां एक परिवार की तीन पीढ़ियों ने सामूहिक रूप से देहदान करने का निर्णय लिया। यह कदम समाज के लिए एक अनूठी मिसाल बन चुका है।

परिवार ने दिखाया समाज सेवा का जज़्बा

बाड़मेर के अमी मोहम्मद शाह बस्ती में रहने वाले धोखलोनी और कानाणी परिवार के बारह सदस्यों ने मृत्यु के बाद अपने शरीर को चिकित्सा क्षेत्र के लिए दान करने का संकल्प लिया। इनमें परिवार के वरिष्ठ सदस्य से लेकर युवा पीढ़ी तक सभी शामिल हैं। महिलाओं ने भी इस पहल में सक्रिय भागीदारी निभाई।

अस्पताल में कराया देहदान का रजिस्ट्रेशन

राजकीय अस्पताल में पहुंचकर इस परिवार ने देहदान की प्रक्रिया पूरी की। परिवार के सदस्यों ने अस्पताल प्रबंधन को देहदान के घोषणा पत्र सौंपे। खास बात यह है कि इस निर्णय में 72 वर्षीय बुजुर्ग से लेकर 28 वर्षीय युवा तक सभी पीढ़ियों के लोग शामिल हैं। जैसे ही यह खबर फैली, पूरे जिले में इस परिवार की जमकर सराहना होने लगी।

समाज को देना चाहते थे सकारात्मक संदेश

परिजनों का मानना है कि मृत्यु के बाद जब शरीर जलकर या मिट्टी में मिल जाता है, तो उसका कोई उपयोग नहीं रह जाता। लेकिन यदि वह चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा के लिए काम आ सके, तो यह समाज के लिए बहुत बड़ी सेवा होगी। उनके अनुसार, यह कदम दूसरों को भी प्रेरित करेगा और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।

पहले भी हो चुके हैं समाज सुधार के प्रयास

बाड़मेर में इससे पहले भी समाज सुधार के कई उदाहरण देखने को मिले हैं। कुछ परिवारों ने मृत्यु के बाद भोज आयोजित करने की बजाय उन पैसों को समाज के हित में दान कर दिया। इसी तरह, अब देहदान जैसी पहल भी समाज में नई सोच को जन्म दे रही है।

राजस्थान में पहली बार हुआ ऐसा मामला

जिला अस्पताल के अधीक्षक त्रिलोकराम सेजू के अनुसार, राजस्थान में पहली बार किसी परिवार ने सामूहिक रूप से देहदान किया है। यह घटना न केवल चिकित्सा जगत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज को एक नई दिशा देने का भी कार्य कर रही है।

बाड़मेर के इस परिवार का निर्णय समाज में एक नई लहर पैदा कर सकता है। इससे प्रेरित होकर यदि और भी लोग देहदान के लिए आगे आते हैं, तो चिकित्सा क्षेत्र को बड़ी सहायता मिलेगी। साथ ही, यह पहल समाज के विकास और मानवीय सेवा का बेहतरीन उदाहरण बन सकती है।

➡️सुरेंद्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

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