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1 February 2025 9:23 am

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किन्नर समाज का भव्य सम्मेलन: आध्यात्म, मनोरंजन और संस्कृति का अनूठा संगम

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वल्लभ लखेश्री की रिपोर्ट

फलोदी में महात्मा ज्योतिबा फुले शिक्षण संस्थान में सोमवार को अखिल भारतीय किन्नर समाज का 10 दिवसीय भव्य सम्मेलन शुरू हुआ। 60 वर्षों के बाद आयोजित इस ऐतिहासिक सम्मेलन में 600 से अधिक किन्नर शामिल हुए, जिनकी संख्या आगामी दो दिनों में बढ़कर 3000 तक पहुंचने की संभावना है।

राजस्थान के फलोदी में किन्नर समाज द्वारा आयोजित एक भव्य सम्मेलन इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस ऐतिहासिक आयोजन में आध्यात्मिकता, मनोरंजन और पारंपरिक मान्यताओं का त्रिवेणी संगम देखने को मिल रहा है। सम्मेलन में देश के कोने-कोने से किन्नर समाज के लोग पहुंचे हैं, जो अपनी संस्कृति और परंपराओं को सहेजते हुए सामाजिक एकता का संदेश दे रहे हैं।

सम्मेलन का उद्देश्य और महत्व

फलोदी किन्नर समाज की गादीपति व्हिस्की बाई ने बताया कि इस सम्मेलन का आयोजन समाज की समृद्ध परंपराओं को जीवंत बनाए रखने और देश की खुशहाली व अमन-चैन की प्रार्थना के लिए किया गया है। यह आयोजन पिछले दस दिनों से चल रहा है और इसमें धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सामाजिक चर्चाओं के माध्यम से किन्नर समाज की विशिष्ट पहचान को उजागर किया जा रहा है।

देशभर से जुटे किन्नर समुदाय के लोग

इस महा सम्मेलन में भारत के विभिन्न राज्यों से किन्नर समाज के प्रमुख प्रतिनिधि और अनुयायी भाग ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, और बिहार जैसे राज्यों से आए किन्नरों ने इस आयोजन को भव्यता प्रदान की है। उनके पारंपरिक नृत्य, गीत और अनुष्ठान इस आयोजन को विशेष बना रहे हैं।

स्थानीय समुदाय का सहयोग

बाहरी राज्यों से आए मेहमानों के लिए फलोदी के स्थानीय लोगों ने भी अपनी ओर से हरसंभव सहयोग दिया है। गादीपति व्हिस्की बाई और उनकी टीम ने सम्मेलन की भव्यता बनाए रखने के लिए शानदार व्यवस्थाएं की हैं, वहीं स्थानीय जजमानों ने खुले दिल से इस आयोजन में भागीदारी निभाई है। मेहमानों के ठहरने, भोजन और अन्य व्यवस्थाओं में किसी तरह की कमी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया है।

संस्कृति और परंपरा का जश्न

सम्मेलन में किन्नर समाज की परंपराओं, मान्यताओं और संस्कृति को नए आयाम दिए जा रहे हैं। पारंपरिक नृत्य-गान, विशेष पूजा-पाठ और आशीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। यह आयोजन किन्नर समाज की सामाजिक और आध्यात्मिक भूमिका को मजबूत करने के साथ ही उनके अधिकारों और सम्मान की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी साबित हो रहा है।

फलोदी में आयोजित यह महा सम्मेलन किन्नर समाज की ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के साथ-साथ समाज में उनके योगदान को रेखांकित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस भव्य आयोजन ने पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना दिया है और आने वाले वर्षों में इसे और बड़े स्तर पर आयोजित करने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।

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