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अपराध

संभल मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: मस्जिद कमिटी को कानूनी विकल्प का अधिकार

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद से जुड़े एक विवाद में उत्तर प्रदेश पुलिस और संभल ज़िला प्रशासन को तटस्थ रहकर शांति बनाए रखने का आदेश दिया।

यह मामला एक ऐतिहासिक विवाद से जुड़ा हुआ है, जिसमें 16वीं सदी के एक ध्वस्त मंदिर पर मस्जिद बनने के आरोप लगे थे।

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब संभल की सिविल कोर्ट ने वहां सर्वे करने का आदेश दिया, जिसके बाद हिंसा भड़क गई और इसमें पांच लोग मारे गए। हालांकि, पुलिस ने चार मौतों की पुष्टि की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद पर सुनवाई करते हुए सिविल कोर्ट की सभी आगे की सुनवाई रोकने का आदेश दिया। साथ ही, कोर्ट ने सिविल कोर्ट के एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह भी कहा कि मस्जिद कमिटी के पास कई कानूनी विकल्प हैं, जिनमें वह सिविल कोर्ट के आदेश को चुनौती दे सकती है। मस्जिद कमिटी के लिए यह रास्ता खुला था कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकती थी।

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इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर मस्जिद कमिटी कोई याचिका दायर करती है तो हाई कोर्ट को उसे तीन दिन के भीतर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना होगा।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि शांति और एकता बनी रहे और पुलिस पूरी तरह तटस्थ रहे।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सिविल कोर्ट को अब इस मामले में और कोई दस्तावेज दाखिल नहीं किया जाएगा और इस पर आगे कोई सुनवाई नहीं की जाएगी, जब तक कि मस्जिद कमिटी की याचिका हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए नहीं आ जाती।

इस विवाद में कई स्थानीय राजनेताओं और समाजिक नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने अदालत के फैसले का सम्मान करने की बात की और कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

वहीं, संभल के सांसद ज़िया उर्र रहमान बर्क ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए विश्वास जताया कि मस्जिद कमिटी को इंसाफ मिलेगा और जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, उन्हें भी न्याय मिलेगा।

समाजवादी पार्टी ने भी इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने 30 नवंबर को एक प्रतिनिधिमंडल संभल भेजने का निर्णय लिया है। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे करेंगे।

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यह मामला न केवल संभल बल्कि देशभर में बढ़ते मंदिर-मस्जिद विवादों की कड़ी का हिस्सा बन चुका है। मथुरा, वाराणसी और अजमेर शरीफ जैसे स्थानों पर भी इसी तरह के विवादों को लेकर अदालतों में मामले चल रहे हैं।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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