ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
कानपुर देहात के भोगनीपुर इलाके के पिपरी गांव में सोमवार रात एक बेहद खौफनाक घटना घटी। एक युवक ने अपनी प्रेमिका और उसके परिवार पर सोते समय फावड़े से हमला कर दिया।
इस घटना में एक बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। सूचना मिलते ही एसपी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भारी बल के साथ मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी जुटाई। आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है।
घटना के विवरण के अनुसार, पिपरी गांव के निवासी सुरेंद्र संखवार की करीब सात साल पहले मौत हो चुकी थी। उनकी पत्नी पूजा (36) और उनके दो बच्चे सूरज (14) और उमंग (12) अकेले रह रहे थे।
पूजा का एक औरैया जिले के मुरलीपुर गांव के निवासी दीपू से प्रेम संबंध हो गया था। दीपू पूजा के घर में पति के रूप में रहने लगा था, जिससे पूजा के देवर महेंद्र (34) को काफी आपत्ति थी। इस वजह से उनके बीच अक्सर विवाद होते रहते थे।
सोमवार रात दीपू ने महेंद्र के परिवार पर हमला कर दिया। उसने महेंद्र, उसकी पत्नी बीना (30), उनके बेटे सूर्यांश (8) और बेटी काव्या (6) पर सोते समय फावड़े से कई वार किए। काव्या की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए। इसके बाद, दीपू ने बगल के घर में सो रही पूजा, उसके बच्चों सूरज और उमंग पर भी हमला किया।
घटना के बाद इलाके में चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों ने यूपी 112 को सूचना दी, और पुलिस ने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी।
एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति, एएसपी राजेश कुमार पांडेय, और सीओ संजय सिंह ने भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों से भी घटना के बारे में जानकारी प्राप्त की।
घायल व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और मृतक बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
पूजा और दीपू के रिश्ते के कारण गांव में तरह-तरह की टिप्पणियां होती थीं, जिससे महेंद्र का गुस्सा बढ़ता जा रहा था।
महेंद्र ने पूजा से कई बार कहा था कि अगर वह दीपू के साथ रहना चाहती है तो भाई के घर को छोड़ दे और दीपू के घर जाकर रहे। उसने यह भी कहा था कि भाई की संपत्ति ईमानदारी से उसके बेटों को मिल जाएगी और वह उनकी देखभाल करने को तैयार है।
इस विवाद के कारण महेंद्र, पूजा और दीपू के बीच तनाव बढ़ता गया था, जो सोमवार की रात के खौफनाक हमले में परिणत हुआ।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."