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15 January 2025 1:37 pm

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झटके में अमीर बनने की लालच में लुटतें पिटते लोग ; दुगनी रकम का झांसा देने वाले की करतूत हिला देगी आपको

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राम कुमार सोनी की रिपोर्ट

लखनऊ में एक अनोखा ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें एसटीएफ ने एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। 

यह गिरोह असली नोटों के बदले दोगुना नकली नोट देने का झांसा देकर लोगों से ठगी कर रहा था। 

गुरुवार को एसटीएफ ने इस गिरोह के दो सदस्य, राजस्थान के राम स्वरूप विश्नोई और विष्णु शर्मा, को लखनऊ से गिरफ्तार किया। 

उनके पास से नकली 500 रुपए के 50 गड्डे, तीन मोबाइल फोन, रबर स्टैंप, आईडीबीआई बैंक की स्लिप, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और नगदी भी बरामद की गई।

पुलिस को कई दिनों से लखनऊ और आसपास के जिलों में नकली नोटों के माध्यम से ठगी करने की सूचना मिल रही थी। 

पुलिस उपाधीक्षक दीपक कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई और जांच शुरू की गई। 

इस दौरान सूचना मिली कि एक सक्रिय गिरोह असली नोटों के बदले नकली नोटों का दोगुना देने के नाम पर ठगी कर रहा है। 

गिरोह के सदस्य स्कॉर्पियो क्लब के पास गढ़ी तिराहा पर मिलने वाले थे। इसी सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वे असली नोटों के बदले नकली नोटों का दोगुना देने का लालच देकर ठगी करते थे। वे लोगों को नकली नोट देने के लिए उनसे कुछ पैसे लेते और फिर असली नोटों का दोगुना नकली नोट दे देते। लोग जब इन नोटों को बाजार में चलाते, तो वे आसानी से स्वीकार कर लिए जाते क्योंकि ये नोट असली के समान दिखते थे। इसके बाद लोग इन पर विश्वास कर लेते थे और अधिक नोटों की मांग करने लगते। तब आरोपी उनसे ज्यादा पैसे लेकर अपने द्वारा तैयार किए गए नकली नोट देते थे।

एसटीएफ के अनुसार, ये नकली नोट कलर प्रिंटर की मदद से सफेद कागज पर तैयार किए जाते थे। इन गड्डियों के ऊपर और नीचे असली नोट लगाए जाते थे और बीच में सफेद कागज को इस तरह से तैयार किया जाता था कि यह असली नोटों की गड्डी जैसा लगे। 

इसके अलावा, बैंक की पर्चियों को स्कैन कर नकली पर्चियां तैयार की जाती थीं और उन पर बैंक जैसी तारीख और मुहर लगाई जाती थी। बंडलों को सफेद पन्नी से लैमिनेट कर दिया जाता था। 

गिरोह के सदस्य बंडल देने के बाद मौके से फरार हो जाते थे और जब लोग बंडल खोलकर सच्चाई का पता लगाते और उन्हें फोन करते, तब तक आरोपी अपना फोन बंद कर चुके होते थे। ये लोग कभी भी अपना असली नाम और पता नहीं बताते थे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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