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हाथरस

बाबा का कैमरे वाला अंदाज…भयावह घटना से अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश करते दिखे सूरजपाल उर्फ साकार हरि, 👇वीडियो

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

हाथरस में मंगलवार, 2 जुलाई को एक भयावह घटना घटी। इसमें कई लोग मौत की तरफ दौड़ लगाते नजर आए और इस पूरे घटनाक्रम में आयोजक मूकदर्शक बने रहे। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे दौड़ती मौतों को रोकने का कोई इंतजाम ही नहीं किया गया था। 

इस घटना का मुख्य जिम्मेदार देवप्रकाश मधुकर को ठहराया गया और दिल्ली से उसकी गिरफ्तारी हो गई। इसके तुरंत बाद, जिस व्यक्ति के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था, वह सामने आ गया।

स्क्रिप्टेड प्रतिक्रिया

मीडिया के सामने आए सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि ‘भोले बाबा’ ने काफी दुख जताने की कोशिश की। उन्होंने अपने चेहरे पर दुख के भाव लाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे। 31 सेकंड तक मानो वह कुछ याद करने की कोशिश कर रहे थे, ऐसा प्रतीत हुआ कि वह साक्षात्कार के बजाय किसी स्क्रिप्ट को याद कर रहे थे, जो शायद उनके वकील एपी सिंह द्वारा लिखी गई थी।

भोले बाबा ने विश्व हरि की जय-जयकार करते हुए कहा कि उन्हें इस घटना से काफी दुख पहुंचा है और वह 2 जुलाई की घटना के बाद से ही व्यथित हैं। हालांकि, इस व्यथा को सामने आने में उन्हें 5 दिन लग गए। जब मामला कुछ ठंडा होता दिखा, तो बाबा मीडिया के सामने आकर अपने बचाव में बातें करने लगे। 

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उन्होंने सीधे तौर पर अपने भक्तों के जरिए पीड़ितों तक मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया और सरकार और प्रशासन की जांच पर भरोसा भी दिखाया। हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर दर्ज कराई गई पहली एफआईआर में सूरजपाल ‘भोले बाबा’ का कहीं जिक्र नहीं है।

घटना का कारण

2 जुलाई की सुबह, हाथरस के सिकंदरामऊ स्थित फुलरई मुगलगढ़ी गांव में लोग क्यों जुटे थे? इस सवाल का एक ही जवाब है, ‘भोले बाबा’ का प्रवचन सुनने के लिए। दावा किया जा रहा है कि बाबा के सत्संग में 80,000 लोगों के आने की अनुमति ली गई थी, लेकिन वहां करीब ढाई लाख लोग आए। 

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बाबा के कार्यक्रम से निकलते ही बाबा के सेवादार भी वहां से खिसक लिए, जिसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई और मौत की तरफ दौड़ पड़ी।

जिम्मेदारी का सवाल

यदि भोले बाबा ने सुरक्षा इंतजामों को बिना जांचे ही सत्संग किया तो जिम्मेदारी उन पर भी बनती है। अगर उन्हें पहले से पता था कि इतनी भारी भीड़ को नियंत्रित करने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं, तो उन्हें लोगों को पंडाल से निकालने के बाद निकलना चाहिए था। लेकिन उन्होंने अपनी गाड़ी दौड़ा दी और उनकी गाड़ी की धूल लेने की ऐसी दौड़ मची कि लोग मौत के आगोश में समाते गए।

पीड़ितों का दर्द

जो लोग 2 जुलाई की सुबह अपने घर से प्रवचन सुनने निकले थे, वे सिर्फ प्रभु चरणों में अपना सिर नवाकर अपने दुखों और परेशानियों से निजात पाने की आस लिए आए थे। यही उनकी गलती बन गई और उन्हें मौत नसीब हुई। 

मरने वालों में 112 महिलाएं शामिल हैं, जिसका मतलब है कि 112 परिवारों की खुशियां लुट गईं। दूसरी तरफ, वकील का दिया हुआ रटा-रटाया पर्चा पढ़कर भोले बाबा खुद को निर्दोष बताने की कोशिश कर रहे हैं।

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सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने इस घटना के बाद न्यायिक जांच कमिटी बना दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गठित कमिटी आज हाथरस के घटनास्थल का जायजा लेगी। अब देखना होगा कि इस घटना के लिए आयोग किसे जिम्मेदार ठहराती है। वैसे, भोले बाबा ने तो खुद को पाक-साफ बता दिया है।

पाखंड और वास्तविकता

भोले बाबा अपने प्रवचनों में मानव सेवा और मानव कल्याण की बातें करते हैं। वह लोगों को मानवता का संदेश देते हुए एक-दूसरे के दुखों में साझीदार बनने की भी बात करते हैं। पाखंड पर हमला करते हुए मानवता को सबसे बड़ा भगवान बताते हैं। लेकिन जब उनके ही सत्संग कार्यक्रम में 123 लोगों की मौत हो गई, तो वह गायब हो गए। दुखद हादसे के बाद पीड़ितों का दर्द बांटने के बजाय अंडरग्राउंड हो गए। अब जब कैमरे के सामने आए, तो खुद के बचाव में ही बातें कीं। उन्होंने मौतों पर सिर्फ दुख जताकर इस भयावह घटना से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।

हाथरस की घटना एक बड़ी त्रासदी है, जिसमें 123 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग प्रभावित हुए। इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमी और आयोजकों की लापरवाही को उजागर किया है। भोले बाबा की प्रतिक्रिया ने भी कई सवाल खड़े किए हैं।

अब देखना होगा कि न्यायिक जांच कमिटी इस घटना के लिए किसे जिम्मेदार ठहराती है और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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