इरफान अली लारी की रिपोर्ट
हाथरस हादसे पर सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि ने अपना पहला बयान जारी किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वह हादसे से पहले ही सत्संग स्थल से चले गए थे। साथ ही, उन्होंने बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील ए.पी. सिंह को इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए हायर किया है।
जानकारी के लिए बता दें कि ए.पी. सिंह, सीमा हैदर और सचिन के भी वकील हैं। नारायण साकार हरि के नाम से जारी किए गए इस लेटर में कहा गया कि हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति उनकी संवेदना है और उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की।
लेटर में आगे लिखा गया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ए.पी. सिंह को सत्संग समाप्त होने के बाद कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा भगदड़ मचाने के मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए नियुक्त किया है। सूरजपाल ने कहा कि वह सिकंदराराऊ के गांव फुलारी से 2 जुलाई को ही रवाना हो गए थे।
हाथरस जिले के सिकंदराराऊ के गांव फुलारी में मंगलवार को हुए भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
हादसा कैसे हुआ?
जानकारी के मुताबिक, सत्संग स्थल पर ‘रंगोली’ बनाई गई थी, जिस पर से बाबा को चलकर निकलना था। जब सूरजपाल उर्फ बाबा साकार हरि पंडाल से निकले, तो भक्तों का बड़ा हुजूम उनके चरणधूल लेने के लिए उमड़ पड़ा।
उस रंगोली को बाबा का आशीर्वाद मानकर लोग दंडवत प्रणाम कर रहे थे। इसी दौरान भगदड़ मच गई और लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। इस भगदड़ में लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए और यह बड़ा हादसा हो गया।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में धार्मिक समागम में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 121 हो गई है। मामले में सिकंदराराऊ थाने की पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
खास बात यह है कि धार्मिक समागम के पीछे के व्यक्ति स्वयंभू संत नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम एफआईआर में नहीं है। बाबा घटना के बाद से ही फरार है।
इस बीच, छानबीन में बाबा की निजी जिंदगी के कई राज उजागर हुए हैं। जैसे कि कैसे एक हेड कॉन्सटेबल बाबा बनते ही करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा। बाबा के यूपी में कई ठिकाने हैं, जहां पुलिस छापेमारी कर रही है। आइए आपको रूबरू कराते हैं बाबा की संपत्ति से लेकर पत्नी तक पूरा चिट्ठा?
कौन है ये बाबा सूरजपाल?
स्वयंभू संत नारायण साकार हरि उर्फ बाबा साकार हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। उनके पैतृक गांव कासगंज जिले के पटियाली क्षेत्र तहसील क्षेत्र के गांव बहादुर नगर है। वह अभिसूचना इकाई (LIU) में सिपाही के रूप में तैनात था।
सूरज पर खुफिया सूचनाओं के संग्रह का जिम्मा था। इसके बाद हेड कांस्टेबल पद पर प्रोन्नत हुए। सूरज पाल करीब 28 साल पहले छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण विभाग से बर्खास्त कर दिए गए। 1997 में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
….तो ऐसे लिया बाबा का अवतार!
पुलिस से बर्खास्तगी के बाद सूरज पाल ने सत्संग और कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू कर दिया। बाबा के सत्संग में लोग अपनी परेशानियां लेकर पहुंचने लगे। वहीं, बाबा अपने हाथ फरियादियों पर हाथ फेर कर बीमारियां दूर करने का दावा करते रहे। इसी बीच, सत्संग और चमत्कार का कारवां आगे बढ़ता गया और बाबा फेमस होते गए। खुद को सुर्खियों से बचाने के लिए सोशल मीडिया से दूर रखा।
कासगंज, एटा, बदायूं, फर्रुखाबाद, हाथरस, आगरा, मैनपुरी, इटावा, अलीगढ़ समेत यूपी के कई जिलों में बाबा के सत्संग का आयोजन किया जाने लगा।
परिवार में कौन-कौन? पत्नी क्यों फेमस?
बहादुर नगर के ग्राम प्रधान नाजिश खानम के पति जाफर अली के मुताबिक, 58 साल के सूरजपाल तीन भाई थे। जिसमें से सबसे बड़े भाई भगवान दास की मौत हो चुकी है।
छोटा भाई राकेश कुमार अभी भी गांव में ही रहकर खेती-बाड़ी करता है। जबकि, सूरजपाल ने पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद उसने भोले बाबा का नाम धारण कर लिया। सूरजपाल की पत्नी ‘माताश्री’ के नाम से गांव में फेमस हैं। हालांकि, सूरजपाल की कोई संतान नहीं है।
कहां कहां आश्रम ? कितनी संपत्ति के मालिक?
1999 में पैतृक गांव बहादुर नगर में सूरजपाल ने अपनी 30 बीघे जमीन पर आश्रम बनवाया है। उसका आशीर्वाद लेने के लिए दूसरे जिलों के साथ-साथ दूसरे राज्यों से भी लोग पहुंचने लगे। लोगों को ठहराने की पूरी व्यवस्था भी रहती। हालांकि, सूरजपाल ने 5 साल पहले गांव छोड़ दिया। जाफर बताते हैं कि सूरजपाल आजकल राजस्थान में कहीं रहता है। पिछले साल ही, गांव वापस लौटा था और अपनी संपत्ति को ट्रस्ट के नाम कर दिया। संपत्ति की देखरेख एक मैनेजर करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोएडा सेक्टर-87 इलाबांस गांव में भी बाबा का आश्रम है। इसके साथ ही, बाबा के आश्रम राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में हैं। ये आश्रम कई एकड़ जमीन में फैले हुए हैं। जिनकी कीमत करोड़ों में है। पुलिस छापेमारी कर रही है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."