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2024 लोकसभा चुनाव : यूपी-बिहार में भाजपा को बड़ा झटका, इन छोरों ने तो कमाल कर दिया

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

जेपी आंदोलन से निकली तिकड़ी के तीन पुत्रों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जमीन हिला कर रख दी है। इन तीनों नेताओं के पिता, जो कभी जनता पार्टी में एक साथ राजनीति का ककहरा सीख रहे थे, अब अपने पुत्रों के माध्यम से नई राजनीति की दिशा तय कर रहे हैं। आइए इन तीनों पुत्रों और उनके चुनावी रण की सफलता पर एक नज़र डालते हैं:

अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस चुनाव में महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। उनके पिता, मुलायम सिंह यादव, भी जेपी आंदोलन से जुड़े रहे हैं और राजनीति में उनका गहरा प्रभाव रहा है। अखिलेश यादव ने अपनी युवा सोच और विकासवादी दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मजबूत स्थिति में ला दिया है।

तेजस्वी यादव 

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस चुनाव में बड़ा प्रदर्शन किया है। उनके पिता, लालू प्रसाद यादव, जेपी आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं और बिहार की राजनीति में उनका बड़ा दबदबा रहा है। तेजस्वी यादव ने अपनी युवावस्था और राजनीतिक कुशलता से आरजेडी को पुनः जीवंत किया है और बिहार में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है।

जयंत चौधरी 

राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी, जो चौधरी अजित सिंह के पुत्र हैं, ने भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके दादा, चौधरी चरण सिंह, भी जेपी आंदोलन से जुड़े रहे थे। जयंत चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की जड़ों को मजबूत किया है और किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है।

इन तीनों नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में जनता का विश्वास जीतकर भाजपा को चुनौती दी है और यह साबित कर दिया है कि उनकी राजनीतिक जमीन कितनी मजबूत है।

अब बात उस बेटे की, जिसे सियासत की विरासत तो मिली, लेकिन राजनीति की धार नहीं। इस बार उसने अपने आप को मांजा और अपने पिता की तरह राजनीति का सरल तरीका अपनाया। यह नेता है वरुण गांधी, जो भाजपा के प्रमुख नेता हैं और संजय गांधी के पुत्र हैं। पिछले एक दशक में उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा को मजबूती से आगे बढ़ाया है और अपने क्षेत्र में जनता का समर्थन प्राप्त किया है।

इस प्रकार, 2024 के चुनावों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक विरासत का प्रभाव आज भी बना हुआ है और जेपी आंदोलन से निकली तिकड़ी के पुत्रों ने अपनी पिता की तरह ही राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है।

2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक बड़ा झटका दिया है, और इसका श्रेय समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को जाता है। अखिलेश यादव ने न केवल अपनी पार्टी को मजबूती से खड़ा किया, बल्कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कांग्रेस को भी महत्वपूर्ण जीत दिलाई। इस चुनावी परिणाम ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर किया है:

समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने उत्तर प्रदेश की 37 सीटों पर जीत दर्ज की, जो भाजपा के वर्चस्व को तोड़ने में एक बड़ी कामयाबी है। यह परिणाम सपा के लिए ऐतिहासिक है और अखिलेश यादव के नेतृत्व की क्षमता को दर्शाता है। उनके इस प्रदर्शन ने भाजपा को भी अपने चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है।

गठबंधन की सफलता

अखिलेश यादव ने न केवल सपा को बड़ी जीत दिलाई, बल्कि गठबंधन धर्म निभाते हुए कांग्रेस को भी उत्तर प्रदेश में 6 सीटें दिलवाईं। यह कांग्रेस के लिए पिछले एक दशक में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है, और यह अखिलेश की रणनीतिक समझ और सहयोग की भावना को दर्शाता है।

राहुल गांधी की सफलता

राष्ट्रीय स्तर पर, राहुल गांधी ने कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत दिलाई। यह संख्या 100 के आंकड़े से भले ही एक कम है, लेकिन यह कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राहुल गांधी ने अपने पिता, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, की राजनीति को नए आयाम देते हुए इस सफलता को हासिल किया है। अब संसद में उनके नेतृत्व और उनके द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर सभी की नजरें होंगी।

इस प्रकार, 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी दोनों ने अपनी-अपनी पार्टियों को मजबूती से खड़ा किया और भाजपा को चुनौती दी। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के वर्चस्व को तोड़ा, जबकि राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को पुनर्जीवित किया। यह चुनावी परिणाम भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है और आने वाले समय में इन नेताओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार से भी बड़ा झटका मिला है। बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है, जबकि चिराग पासवान ने एनडीए के लिए बड़ा योगदान दिया। आइए इन चुनावी परिणामों पर विस्तृत नज़र डालते हैं:

तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन की सफलता

बिहार में इंडिया गठबंधन ने नौ सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें से चार सीटें खुद तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने जीतीं, जबकि दो सीटें कांग्रेस और दो सीटें वाम दलों को मिलीं। यह तेजस्वी यादव के नेतृत्व की सफलता को दर्शाता है, जो पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे हैं। लालू यादव वर्तमान में स्वास्थ्य के आधार पर जेल से बाहर हैं, और तेजस्वी ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को मजबूती से संभाला है।

शारीरिक चुनौतियों के बावजूद सफलता

तेजस्वी यादव ने चुनावी मैदान में अपनी रीढ़ की हड्डी में चोट के बावजूद, व्हीलचेयर पर रहते हुए भी, एक प्रभावी अभियान चलाया। उनकी दृढ़ता और समर्पण ने जनता का विश्वास जीता और उन्हें महत्वपूर्ण जीत दिलाई।

चिराग पासवान का करिश्मा

चिराग पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे, ने बिहार में एनडीए के लिए पांचों सीटों पर जीत हासिल की। एनडीए ने चिराग को पांच सीटें दी थीं, और उन्होंने सभी पर क्लीन स्विप कर दिया। यह चिराग की नेतृत्व क्षमता और उनके पिता की राजनीतिक विरासत को साबित करता है।

चुनाव से पहले चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ मतभेदों को सुलझाया और बिहार प्रथम, बिहारी प्रथम के नारे के साथ चुनाव में उतरे। यह सामंजस्य और नारे ने उन्हें महत्वपूर्ण जीत दिलाने में मदद की।

समग्र प्रभाव

बिहार में तेजस्वी यादव और चिराग पासवान की चुनावी सफलता ने राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। जहां एक ओर तेजस्वी यादव ने इंडिया गठबंधन के तहत भाजपा को कड़ी टक्कर दी, वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान ने एनडीए के लिए महत्वपूर्ण जीत हासिल की। इन दोनों नेताओं ने अपने-अपने पिता की राजनीतिक विरासत को मजबूती से आगे बढ़ाया और बिहार की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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