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बिलासपुर

इन 6 सीटों पर भाजपा का किला भेदने की पढिए क्या है कांग्रेस का तैयारी?

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हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट में से 6 बीजेपी का गढ़ कही जाती हैं। साल 2000 में राज्य गठन के बाद से यह पार्टी एक बार भी इन सीट पर नहीं हारी है। कांग्रेस को भरोसा है कि वह इस बार भाजपा के किलों को भेदने में कामयाब होगी, जबकि भाजपा आश्वस्त है कि वह अपनी जीत बरकरार रखेगी और राज्य की अन्य लोकसभा सीट पर भी कब्जा जमाएगी।

इन 6 सीट में अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कांकेर, सरगुजा और रायगढ़, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर-चांपा और सामान्य वर्ग की रायपुर तथा बिलासपुर सीट शामिल है।

राजनांदगांव से भूपेश बघेल मैदान में

राजनांदगांव लोकसभा सीट पर भाजपा 2000 से लगातार जीत रही है लेकिन 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस विजयी हुई थी। इस बार कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यहां से मैदान में उतारा है। 

मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ के विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा है। भाजपा ने 2003 से 2018 तक 15 वर्षों तक राज्य में लगातार सत्ता संभाली और 2023 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद चौथी बार सत्ता में आई।

बीजेपी के 6 गढ़ों को भेदने का प्लान

भाजपा ने 2004, 2009 और 2014 में 10 लोकसभा सीट जीती थीं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा नौ सीट जीतने में कामयाब रही। दोनों दलों ने राज्य में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और सात मई को तीन चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। 

कांग्रेस ने भाजपा के छह गढ़ों को भेदने के लिए एक मौजूदा विधायक, दो पूर्व विधायकों जिनमें एक मंत्री भी रहे, दो नये चेहरों और एक अनुभवी नेता पर दांव लगाया है।

कांग्रेस ने रायपुर से विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा

रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने निवर्तमान सांसद सुनील सोनी को हटाकर आठ बार के विधायक एवं विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली वर्तमान राज्य सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। वर्ष 2019 में सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को 3,48,238 मतों के अंतर से हराया था। महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल रमेश बैस ने भाजपा के टिकट पर सात बार (1989, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में) जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने इस बार रायपुर सीट से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है।

मोहन मंडावी का टिकट कटा

कांकेर लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने निवर्तमान सांसद मोहन मंडावी को टिकट नहीं दिया है और पूर्व विधायक भोजराज नाग को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। ठाकुर पूर्व में पंचायत निकायों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ठाकुर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांकेर 6,914 मतों के अंतर से मंडावी से हार गए थे।

सरगुजा में बीजेपी ने बदला प्रत्याशी

भाजपा ने जांजगीर-चांपा सीट से निर्वतमान सांसद गुहाराम अजगले को भी टिकट नहीं दिया है और नये चेहरे के तौर पर महिला नेता कमलेश जांगड़े को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से प्रदेश के पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया चुनाव लड़ेंगे। सरगुजा में भाजपा ने हर चुनाव में अपना उम्मीदवार बदला और सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है। इस बार इस सीट से पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज को टिकट मिला है।

बिलासपुर सीट पर दिलचस्प मुकाबला

कांग्रेस ने अपनी युवा नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को मैदान में उतारा है। रायगढ़ सीट से भाजपा ने नये चेहरे राधेश्याम राठिया को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने मेनका देवी सिंह पर भरोसा दिखाया है। सिंह राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पूर्व सारंगढ़ शाही परिवार से हैं। 

बिलासपुर सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक तोखन साहू और कांग्रेस के निवर्तमान विधायक देवेन्द्र यादव के बीच मुकाबला होगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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