google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
देवरिया

मूक-बाधिर बच्चों का कानपुर में होगा कॉक्लियर इम्प्लांट ; जिलाधिकारी की मौजूदगी में हुई 64 बच्चों की स्क्रीनिंग

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

इरफान अली लारी की रिपोर्ट

देवरिया। जिले के 0 से 5 वर्ष तक के जन्म से गूंगे-बहरे बच्चों की पहचान कर उनका इलाज कराने के लिए सीएमओ कार्यालय में जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया ।

स्क्रीनिंग कैंप में डॉ एसएन मेहरोत्रा मेमोरियल ईएनटी फाउंडेशन कानपुर द्वारा आवाज सुनने एवं बोलने में काफ़ी परेशानियों का सामना करने वाले 64 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई । इसमें से 26 बच्चों को कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए चिह्नित किया गया । उनकी ऑडियोलाजिस्ट द्वारा जाँच की गई।

इस मौके पर जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि एडीप योजना के तहत गंभीर मामलों वाले बच्चों को अभिभावक के साथ कॉक्लियर इम्प्लांट हेतु डॉ एसएन मेहरोत्रा मेमोरियल ईएनटी फाउंडेशन कानपुर भेजा जाएगा। जहाँ ऑपरेशन कराकर वे अपना सफल इलाज कराएंगे। उन्होंने कहा कि अबतक जिले के 16 मूक बाधिर बच्चों की कानपुर में सर्जरी कराई गई है।

जिलाधिकारी ने बताया कि 6 वर्षीय देव मौर्या की कॉक्लियर इम्प्लांट की सर्जरी मेहरोत्रा ईएनटी अस्पताल में कराई गई थी। सर्जरी के बाद दो वर्ष स्पीच थेरपी के बाद वह अब सामान्य बच्चों की तरह बोल सुन सकता है और स्कूल भी जाता है।

सीएमओ डॉ राजेश झा ने कहा कि आरबीएसके योजना अन्तर्गत बच्चों में होने वाली 43 तरह की बीमारियों का पता लगाने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों व सरकारी विद्यालयों पर स्क्रीनिंग कैंप लगाकर बच्चों की जाँच की जाती है। बहरेपन की समस्या से बच्चों को बचाने के लिए समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। इसके लिए माता- पिता दोनों को ध्यान देने की जरूरत है। बहुत सारे बच्चों में जन्मजात बहरेपन और नहीं बोल पाने की जानकारी माता- पिता को होती है। इसके बावजूद भी वो बच्चों के बड़ा होने का इंतजार करने लगते हैं। यही लापरवाही आगे चलकर गंभीर हो जाती व ठीक भी नहीं हो पाती है। बच्चों में जन्मजात बोलने और सुनने में होने वाली समस्या को दूर करने के लिए कॉक्लियर इंप्लाट सर्जरी की जाती है।

उन्होंने कहा कि बहुत सारे बच्चे छह महीने के बाद भी नहीं बोल और सुन पाते हैं। इसके निदान के लिए सर्जरी को चुना जा सकता है। कॉक्लियर इंप्लाट सर्जरी में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है। उसे अंदर और बाहर फिट करने के लिए सर्जरी की जाती है। सर्जरी के दौरान 4-5 घंटे का समय लगता है। मरीज को बेहोश कर सर्जरी होती है। इससे बच्चों में सुनने की क्षमता विकसित होती है। गूंगे और बहरे बच्चों के लिए सर्जरी किसी वरदान से कम नहीं है।

इस मौके पर आरबीएस के नोडल अधिकारी डॉ संजय चंद, एसीएमओ डॉ संजय गुप्ता, डॉ प्रदीप गुप्ता, ऑडियोलाजिस्ट राजेश, दुर्गेश कुमार, डीआईसी मैनेजर राकेश कुशवाहा, अभिषेक सरकार सहित सहित अन्य लोग मौजूद रहे। 

96 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close