सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
वैसे तो सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर जाते ही रहते हैं, लेकिन इस बार सीएम योगी का अपनी विधानसभा का दौरा विशेष हो गया। ढोल नगाड़ों की थाप पर श्रीराम चित्रांकित केसरिया ध्वजा लहराते, झूमते-नाचते युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे।
सीएम की सवारी पर अहर्निश फूलों की बारिश। जगह-जगह सत्कार का नयनाभिराम नजारा पेश करते लोक कलाकारों के दल, मानव श्रृंखला बनाकर खड़े और जय श्रीराम, योगी जी को है धन्यवाद का गगनभेदी उद्घोष करते अगणित लोग।
दयांकित भावनाओं का आवेग समेटकर, मंद मंद मुस्कनिया के बीच हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। सबकुछ अभूतपूर्व, अनिर्वचनीय और अविस्मरणीय।
दरअसल ये वह मौका था जब कि सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार गोरखपुर पहुंचे थे। सीएम योगी जैसे ही शहर में दाखिल हुए तो उनके स्वागत में जन सैलाब उमड़ पड़ा। सीएम योगी सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर के लिए निकले। गाड़ी से उतरने के बाद सीएम योगी जब मंदिर की तरफ बढ़े तो जनता को देखकर धीरे से मुस्कुराए फिर हाथ उठाकर अभिवादन किया। इसके बाद उनके ऊपर फूलों की बारिश शुरू हो गई।
जगह-जगह हुआ सीएम योगी का अभिनंदन
अयोध्याधाम के नव्य, भव्य दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला नूतन विग्रह की अलौकिक, अविस्मरणीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सुफल आयोजन कराकर पहली बार गोरखधाम पधारे गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभूतपूर्व अभिनंदन का। यूं तो गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी बीते करीब सात साल से अपने गृह क्षेत्र गोरखपुर में प्रतिमाह औसतन चार-पांच बार आते ही रहते हैं। शनिवार को उनका आगमन उपलब्धि के उस शिखर को स्पर्श करने के बाद हुआ, जिसकी परिकल्पना, संघर्ष और परिणाम तक गोरक्षपीठ की केंद्रीय भूमिका रही। यह उपलब्धि है करीब पांच सौ सालों की संघर्षमय प्रतीक्षा के बाद अयोध्याधाम में नव्य, भव्य, दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह की।
श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन को रणनीतिक रूप देना हो, आंदोलन को विश्वव्यापी बनाकर निर्णायक दिशा देनी हो या फिर मंदिर को मूर्त रूप देकर श्रीरामलला के नूतन विग्रह की प्रतिष्ठा, हर विषम-सम स्थिति-परिस्थिति में नेतृत्व गोरक्षपीठ का ही रहा। 1949 में श्रीरामलला के प्राकट्य की दैवीय घटना के समय ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ की पूर्वाभासी उपस्थिति तो नब्बे के दशक में परिणामजन्य आंदोलन का नेतृत्व व मार्गदर्शन ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने किया। श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ के आजीवन अध्यक्ष रहे महंत अवेद्यनाथ का सपना और जीवन की आखिरी इच्छा ही श्रीराम मंदिर निर्माण की रही। उनकी इस इच्छा को, राम मंदिर आंदोलन की प्रेरणा से सन्यास मार्ग चुनने वाले उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने अपने जीवन का मिशन ही बना लिया।
अपने संसदीय कार्यकाल में योगी ने सड़क से सदन तक राम मंदिर के लिए अलख जगाई तो मुख्यमंत्री बनने के बाद और राम मंदिर के लिए सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद अपने गुरु के सपने को पूरा करने में प्राणपण से कार्य किया। उनकी ही देखरेख में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हुआ तो 22 जनवरी 2024 को श्रीरामलला अनुष्ठानपूर्वक इस मंदिर में विराजमान भी हुए। इसके साथ ही साकार हुआ गोरक्षपीठ की पीढ़ियों का सपना।
फूलों की इतनी बारिश, सुरक्षा कर्मियों को करनी पड़ी सफाई
प्राण प्रतिष्ठा के बाद से गोरखवासी जिस क्षण का इंतजार कर रहे थे शनिवार को वह पूरा हो गया।
सीएम योगी का एयरपोर्ट से लेकर उनके आवास तक जगह-जगह स्वागत किया गया। स्वागत में फूलों की बारिश तो इतनी हो रही थी कि सुरक्षा कर्मियों को बार-बार सीएम की सवारी को साफ करना पड़ रहा था। स्वागत में खड़े सबकी जुबां पर जय श्रीराम का उद्घोष था तो रामकाज के सुफल परिणाम के लिए धन्यवाद योगी जी का नारा। एयरपोर्ट गेट के सामने, मोहद्दीपुर चौराहा, विश्वविद्यालय चौराहा, यातायात तिराहा, तरंग क्रासिंग, झूलेलाल मंदिर और श्रीरामजानकी हनुमान मंदिर के सामने लोक कलाकारों ने गायन व नृत्य के बीच लोक परंपरा जीवंत कर मुख्यमंत्री का जोरदार अभिनंदन किया। कई जगहों पर एनसीसी व स्काउट के कैडेट्स ने बैंड की धुन के बीच स्वागत के इस समारोह को नई ऊंचाई दी।
गुरु की प्रतिमा समक्ष भावुक हो गए सीएम योगी, गुरु प्रतिमा को अर्पित की श्रीराम नाम की पट्टिका
गोरखनाथ मंदिर पहुंचने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के गर्भगृह में शंख ध्वनि, वेदपाठी विद्यार्थियों के मंगलाचरण के बीच शीश नवाकर गुरु गोरखनाथ जी का दर्शन पूजन किया। इसके बाद वह ब्रह्मलीन पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ की समाधि स्थल पर आए और श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा के समक्ष योगी काफी भावुक हो गए। यूं लगा मानो गुरुदेव के सूक्ष्म शरीर से यह कहकर आशीर्वाद ले रहे हों कि देखिए अयोध्याधाम में आपका संकल्प सिद्ध हो गया, आपका सपना साकार हो गया। इन्हीं भावों के साथ सीएम योगी ने अयोधयाधाम से धारण किए श्रीराम नाम की पट्टिका गुरु प्रतिमा पर श्रद्धाभाव से समर्पित कर दी।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."