बिजनौर में तलाक और हलाला के नाम पर महिला की हत्या की इन-डेप्थ रिपोर्ट। जानें कैसे धार्मिक रस्मों की आड़ में रची गई खौफनाक साजिश।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में घटित यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं है, बल्कि यह धार्मिक परंपराओं के गलत इस्तेमाल, रिश्तों के विकृत होने और सामाजिक व्यवस्था की कमजोरियों की खौफनाक तस्वीर भी पेश करता है। यह रिपोर्ट आपको इस पूरे मामले के हर पहलू से रूबरू कराएगी—तथ्यों, मानसिकता, प्रक्रियाओं और सवालों की गहराई में जाकर।
कैसे शुरू हुई यह त्रासदी?
2019 में आशिका की शादी बास्टा निवासी कामिल से हुई। शुरुआती साल सामान्य रहे, लेकिन जल्द ही रिश्तों में दरार आ गई। दो साल बाद कामिल ने आशिका को तीन तलाक दे दिया।
परंपरा के नाम पर अगला कदम हुआ हलाला, जिसमें कामिल के ही बड़े भाई आदिल ने आशिका से शादी की और फिर उससे “दुबारा” कामिल से निकाह कराने की योजना बताई गई। लेकिन यही वह मोड़ था, जहां से शुरू हुई एक गहरी साजिश।
धार्मिक प्रथा या शोषण का ज़रिया?
इस मामले में “हलाला” को एक रस्म नहीं, बल्कि हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया। जहां इसे एक वैवाहिक औपचारिकता माना जाना था, वहीं यहां इसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से महिला को एक वस्तु की तरह नियंत्रित करना था। आदिल और कामिल, दोनों भाइयों ने इस धार्मिक प्रक्रिया की आड़ में आशिका को पहले अपने जीवन में बांधा, फिर उसके चरित्र पर शक जताकर उसकी हत्या कर दी।
हत्या की कहानी: कबूलनामे की परतें
जब पुलिस ने आदिल से सख्ती से पूछताछ की, तो उसने बताया कि आशिका का “परिवार के ही युवक” से संबंध होने का शक था। इस आधार पर उसे ‘सबक सिखाने’ के लिए, 21 नवंबर 2023 को उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी गई।
चौंकाने वाली बात यह थी कि यह पूरी योजना पहले से बनाई गई थी और इसमें घर की बुजुर्ग सदस्य ‘चांदनी चाची’ भी शामिल थीं।
पुलिस जांच: तफ्तीश से सच तक
आसमा की शिकायत के बाद पुलिस ने जब कामिल और आदिल से पूछताछ की, तो पहले उन्हें गुमराह करने की कोशिश की गई। लेकिन जब पुलिस ने सबूतों का दबाव बढ़ाया, तो सच खुद सामने आ गया।
आदिल ने खुद कबूल किया कि शव को नाईवाला और हल्लूपुरा के बीच कूड़े के गड्ढे में दफनाया गया।
वहां से जब कंकाल निकाला गया, तो कानून भी स्तब्ध रह गया।
कानूनी सवाल और सामाजिक संदेश
क्या हलाला जैसी परंपरा को स्पष्ट और सीमित रूप में परिभाषित करने की ज़रूरत है?
क्या इस तरह के धार्मिक आडंबरों का दुरुपयोग रोकने के लिए कानून को और सख्त बनाया जाना चाहिए?
क्या इस केस में महिला के अधिकारों की रक्षा करने वाला कोई नहीं था?
यह केस इस बात की गवाही देता है कि कैसे धार्मिक या पारिवारिक व्यवस्थाओं का गलत इस्तेमाल कर महिलाओं को मानसिक, शारीरिक और अब तो जानलेवा शोषण का शिकार बनाया जा सकता है।
यह सिर्फ एक केस नहीं, एक चेतावनी है
बिजनौर का यह मामला सिर्फ एक परिवार की ट्रैजेडी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के उस अंधेरे कोने की तस्वीर है, जहां रिश्ते, धर्म और पितृसत्ता के गठजोड़ में इंसानियत दम तोड़ देती है।
यह जरूरी है कि ऐसे मामलों से सबक लेकर न केवल सामाजिक जागरूकता फैलाई जाए, बल्कि कानूनी स्तर पर भी कड़े कदम उठाए जाएं ताकि हलाला, तलाक और शादी जैसी धार्मिक प्रक्रियाएं किसी महिला की हत्या का कारण न बन सकें।
➡️अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
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Author: samachardarpan24
जिद है दुनिया जीतने की