दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
तिलहर, शाहजहांपुर। ‘मैं स्वर्गीय ओमप्रकाश हूं…अफसरों ने मुझे जीते जी मार दिया। वृद्धावस्था पेंशन रोक दी, बैंक का खाता भी होल्ड कर दिया। अब न कोई आर्थिक मदद आ रही है, खाते का भी पैसा निकाल नहीं पा रहा हूं। मैं जिंदा उनके सामने खड़ा गुहार करता हूं मगर अफसर मुझे जिंदा मानने को तैयार नहीं हैं। मुझे जीवन जीने के लिए पैसों की जरूरत है। सिस्टम की अनसुनी मुझे सचमुच ही मार डालेगी’। ये दर्द है फत्तेपुर बुजुर्ग गांव के ओम प्रकाश का।
पीड़ित ओम प्रकाश ने अफसरों की करतूत बताते हुए कहा, सरकारी कागजों में अफसरों ने एक साल पहले ही उन्हें मार दिया था। तब से स्वर्गीय हो चुके ओमप्रकाश की वृद्धावस्था पेंशन रुक गई। यहां तक कि उनके बैंक खाते को होल्ड कर दिया गया। वे चक्कर काटकर थक गए हैं बैंक वाले उनका पैसा निकालकर देने को तैयार नहीं हैं। ब्लॉक से लेकर समाज कल्याण विभाग तक उनकी कोई नहीं सुन रहा है।
कागजों पर विश्वास, नजर नहीं आ रहे ओमप्रकाश
ओमप्रकाश से बताया कि उन्होंने अपने जिंदा होने के सबूत दिखाए, लेकिन बैंक अफसरों ने नहीं सुनी और रिपोर्ट सही लगाकर समाज कल्याण को भेजने की बात कहकर टरका दिया। कागजों के अनुसार ओमप्रकाश मर चुके हैं। इसलिए अफसरों को कागजों पर अधिक भरोसा है। ओमप्रकाश सामने जिंदा खड़े नजर नहीं आ रहे हैं।
बिना पैसों के कैसे जिंदा रहें
ओम प्रकाश ने बताया कि एक साल पहले वृद्धावस्था पेंशन आती थी उसके सहारे जीवन कुछ आसान था मगर जब से अफसरों ने गलत सत्यापन करके उसको कागजों में मार डाला है तब से जीवन बहुत ही कठिन हो गया है। उसे इस समय रुपये की जरूरत है। बैंक खाते में जो थोड़े से रुपये पड़े थे वह भी नहीं निकल पा रहे हैं। बुढ़ापे में बिना पैसे के जीना मुश्किल है।
मुझे जिंदा कराएं, लापरवाह पर हो कार्रवाई
ओमप्रकाश ने एसडीएम सहित उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर फर्जी रिपोर्ट लगाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने फिर से उन्हें कागजों में जिंदा कराने और उनकी दोबारा पेंशन बहाल कराने की मांग की।
Author: samachar
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