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6 March 2025 8:53 am

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DM के पास पहुंचा 75 साल का बुजुर्ग, पूछा- साहब मैं जिंदा हूं या मुर्दा, हैरान रह गए साहब!

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 75 वर्षीय बुजुर्ग पुत्तीलाल को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया। इस त्रुटि के कारण वह वृद्धावस्था पेंशन, किसान सम्मान निधि जैसी सरकारी योजनाओं से वंचित हो गए। प्रशासन से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने 70 किलोमीटर पैदल चलकर जिलाधिकारी के जनता दरबार में न्याय की फरियाद लगाई।

बुजुर्ग की व्यथा: जिंदा होने के बावजूद मृत घोषित

हरदोई जिले के भरखनी विकासखंड के कैथा नेवादा गांव निवासी पुत्तीलाल पिछले कई वर्षों से सरकारी कागजों में मृत घोषित हैं। उन्होंने ग्राम विकास अधिकारी समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों से इस गलती को सुधारने की अपील की, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।

इस वजह से उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था। अंततः थक-हारकर, वह बांस की लाठी के सहारे और फटी धोती पहने हुए, जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के जनता दरबार पहुंचे और रोते हुए अपनी समस्या बताई।

प्रशासन की गलती से छीना हक

पुत्तीलाल ने आरोप लगाया कि लेखपाल और पंचायत अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें कागजों में मृत दिखा दिया गया। इससे वह किसान सम्मान निधि, वृद्धावस्था पेंशन और अन्य सरकारी लाभ से वंचित हो गए। उनकी स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि जीवित रहने के बावजूद खुद को जिंदा साबित करने की गुहार लगानी पड़ी।

डीएम ने दिए त्वरित कार्रवाई के आदेश

बुजुर्ग की मार्मिक अपील सुनने के बाद हरदोई जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए समाज कल्याण अधिकारी और खंड विकास अधिकारी को तुरंत गलती सुधारने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, पुत्तीलाल की पेंशन और किसान सम्मान निधि की राशि जल्द जारी करने के आदेश दिए गए।

खुशी के आंसू लेकर लौटे पुत्तीलाल

प्रशासन द्वारा तुरंत कार्रवाई किए जाने के बाद, पुत्तीलाल खुशी के आंसू लिए घर लौटे। अब जल्द ही उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है, जहां एक जीवित व्यक्ति को वर्षों तक मृत मानकर उसके अधिकारों से वंचित कर दिया गया। हालांकि, डीएम द्वारा त्वरित निर्णय लेने से पुत्तीलाल को न्याय मिल पाया। यह मामला सरकार और प्रशासन के लिए एक सबक है कि दस्तावेजों में किसी भी प्रकार की त्रुटि आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर सकती है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

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