चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
कानपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि देश में ‘खटाखट…खटाखट’ विकास हो रहा है। कानपुर में इस बयान को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह सच साबित कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में न केवल रुके हुए कार्य तेजी से पूरे हो रहे हैं, बल्कि लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों पर भी ताबड़तोड़ एक्शन लिया जा रहा है। शहर के लोग अब मुस्कराकर कह रहे हैं, “साहब हो तो जितेंद्र प्रताप सिंह जैसे!”
डीएम का सफर: पीसीएस से आईएएस तक
फर्रुखाबाद निवासी जितेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 15 मार्च 1972 को हुआ था। उन्होंने एमए तक शिक्षा प्राप्त की और यूपीपीएससी परीक्षा पास कर 2013 में पीसीएस अधिकारी बने। 2019 में आईएएस पद पर प्रमोट होने के बाद, उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
कानपुर के डीएम बनने से पहले वे बागपत, देवरिया, और कानपुर देहात के जिलाधिकारी रह चुके हैं। हर जिले में उनकी कार्यशैली ने उन्हें जनता का चहेता बनाया।
नकली पानी कांड: बागपत में लिया सख्त एक्शन
जब डीएम बागपत में थे, तब उन्होंने तहसील समाधान दिवस के बाद पुलिस चौकी निवार्ड का निरीक्षण किया। यहां उन्हें नकली पानी की बोतल दी गई, जिसमें फूड लाइसेंस नंबर भी नहीं था। उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम से दो हजार से अधिक नकली पानी की बोतलें नष्ट करवाईं और अवैध धंधे पर बुलडोजर चलवा दिया।
कानपुर में डीएम का एक्शन मोड: जमीन पर उतरकर कर रहे निरीक्षण
कानपुर में पदभार ग्रहण करने के बाद, डीएम ने ऑफिस में बैठने की बजाय अस्पतालों, स्कूलों और गांवों में जाकर सीधे लोगों से मिलना शुरू किया। उनकी कार्यशैली इतनी प्रभावशाली है कि वे लापरवाह अधिकारियों की क्लास लगाने में भी देर नहीं करते।
स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा उजागर
स्वास्थ्य समिति की बैठक के दौरान डीएम ने चौबेपुर के मेडिकल ऑफिसर से पूछा कि उनकी टीम ने किस गांव में मरीजों का इलाज किया। जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो डीएम ने डॉक्टर से मोबाइल पर कॉल कर पुष्टि करनी चाही। फोन कॉल पर पता चला कि डॉक्टर ने गांव गए बिना ही फर्जी रिपोर्ट दर्ज कर दी थी। इस पर डीएम ने संबंधित डॉक्टर का वेतन रोकने और प्रतिकूल प्रविष्टि देने के निर्देश दिए।
इसके अलावा, डीएम ने बिरहाना रोड अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने मरीजों के नाम रजिस्टर से मिलाए और फोन करके पुष्टि की, जिससे पता चला कि सभी मरीज फर्जी थे। इस पर डीएम ने दोषी महिला डॉक्टर और चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ शासन को कार्रवाई की संस्तुति भेज दी।
बदहाल निर्माण कार्य पर डीएम की सख्ती
डीएम ने महाराजपुर मार्ग पर चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि नाली निर्माण में पीली ईंटों का इस्तेमाल हो रहा था, और प्लास्टर में सीमेंट-मौरंग का अनुपात भी गलत था। इस लापरवाही पर डीएम ने कार्यदायी संस्था को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और सड़क निर्माण की गुणवत्ता जांचने के लिए त्रिसदस्यीय समिति गठित की।
शिक्षा व्यवस्था पर डीएम की पैनी नजर
तहसील दिवस के बाद, डीएम ने एक प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। वहां छह दिन से कोई शिक्षक नहीं था, जबकि 37 छात्र पंजीकृत थे। इस पर उन्होंने खंड शिक्षाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया और स्कूल में सुधार के निर्देश दिए।
जनता के डीएम: ऑटो चालक को बनाया गणतंत्र दिवस का अतिथि
कानपुर कलक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन के दौरान एक ऑटो चालक ने इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी। जब डीएम ने वजह पूछी, तो उसने बताया कि ट्रैफिक पुलिस ने उसे बेवजह पीटा और अपमानित किया।
डीएम ने तत्काल पुलिस कमिश्नर को जांच के आदेश दिए और ऑटो चालक को 26 जनवरी के समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। गणतंत्र दिवस पर उसी ऑटो चालक ने तिरंगा फहराया।
डीएम का एक्शन मोड जारी
कानपुर में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की तेजी, पारदर्शिता और सख्त अनुशासन की नीति ने जिले में नई कार्यसंस्कृति विकसित कर दी है। स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासन और विकास कार्यों में उनकी सीधी निगरानी से सरकारी विभागों में फूल स्पीड में काम हो रहा है।
कानपुर के लोग अब गर्व से कह रहे हैं— “साहब हो तो जितेंद्र प्रताप सिंह जैसे!”
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की