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11 February 2025 10:31 pm

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यूपी 2024: अपराध पर वार या कानून व्यवस्था लाचार?

72 पाठकों ने अब तक पढा

अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश (यूपी) की आपराधिक स्थिति का विश्लेषण करते हुए, प्रदेश में अपराधों की प्रवृत्ति, पुलिस की कार्रवाइयाँ, और न्यायिक प्रक्रियाओं की समीक्षा करना आवश्यक है।

अपराधों की प्रवृत्ति और आंकड़े

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 20 मार्च 2017 से 28 दिसंबर 2024 तक, प्रदेश में कुल 217 अपराधियों को पुलिस मुठभेड़ों में मार गिराया गया। इसके अतिरिक्त, 7,799 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से कई को मुठभेड़ों के दौरान गोली लगने के कारण घायल अवस्था में पकड़ा गया। इन कार्रवाइयों के दौरान, पुलिस ने गैंगस्टर अधिनियम के तहत 140 अरब रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की। साथ ही, 7,546 अपराधियों को प्रभावी पैरवी के माध्यम से सजा दिलाई गई।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि इन मुठभेड़ों के दौरान 17 पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 1,644 पुलिसकर्मी घायल हुए। यह दर्शाता है कि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय पुलिस को भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

प्रमुख आपराधिक घटनाएँ

वर्ष 2024 में यूपी में कई प्रमुख आपराधिक घटनाएँ सामने आईं, जिन्होंने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए। इनमें से कुछ घटनाएँ इस प्रकार हैं:

1. कानपुर डकैती कांड: मार्च 2024 में कानपुर के एक प्रमुख ज्वेलरी शोरूम में दिनदहाड़े डकैती की घटना हुई, जिसमें अपराधियों ने करोड़ों रुपये के आभूषण लूटे। इस घटना ने प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े किए।

2. लखनऊ गैंगवार: जून 2024 में लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। इस घटना ने राजधानी में गैंगवार की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर किया।

3. महिला सुरक्षा से संबंधित घटनाएँ: वर्ष 2024 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि देखी गई। विशेषकर, बलात्कार और घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई, जिसने महिला सुरक्षा के प्रति सरकार और समाज की जिम्मेदारियों को पुनः रेखांकित किया।

पुलिस की कार्रवाइयाँ और पहल

अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए यूपी पुलिस ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:

1. मुठभेड़ नीति: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया, पुलिस ने मुठभेड़ों के माध्यम से अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। हालांकि, इस नीति की आलोचना भी हुई, जिसमें मानवाधिकार संगठनों ने फर्जी मुठभेड़ों का आरोप लगाया।

2. गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्रवाई: पुलिस ने गैंगस्टर अधिनियम के तहत अपराधियों की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया तेज की, जिससे अपराधियों के आर्थिक स्रोतों पर चोट पहुंची।

3. साइबर अपराध इकाई की स्थापना: डिजिटल युग में बढ़ते साइबर अपराधों को ध्यान में रखते हुए, पुलिस ने एक विशेष साइबर अपराध इकाई की स्थापना की, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, और अन्य साइबर अपराधों की जांच में विशेषज्ञता रखती है।

4. महिला सुरक्षा के लिए पहल: महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, पुलिस ने ‘1090’ महिला हेल्पलाइन को और अधिक सक्रिय किया और महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई। साथ ही, स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

न्यायिक प्रक्रियाएँ और चुनौतियाँ

अपराधों की बढ़ती संख्या के साथ, न्यायिक प्रणाली पर भी दबाव बढ़ा। मुकदमों की बढ़ती संख्या के कारण अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हुई, जिससे न्याय मिलने में देरी हो रही है। इसके अलावा, पुलिस द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली चार्जशीट में त्रुटियाँ और सबूतों की कमी के कारण कई मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिल पाई।

इस समस्या के समाधान के लिए, सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की योजना बनाई है, ताकि गंभीर अपराधों के मामलों का त्वरित निपटारा हो सके। साथ ही, पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि वे जांच प्रक्रियाओं में सुधार ला सकें।

वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश की आपराधिक स्थिति मिश्रित रही। एक ओर, पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और कई महत्वपूर्ण पहल शुरू कीं, वहीं दूसरी ओर, प्रमुख आपराधिक घटनाओं और न्यायिक प्रक्रियाओं में देरी ने कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। आवश्यक है कि पुलिस, न्यायपालिका, और समाज मिलकर इन चुनौतियों का सामना करें, ताकि प्रदेश में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मुख्य व्यवसाय प्रभारी
Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी

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