चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
मेरठ के 52 वर्षीय नईम बाबा की कहानी किसी क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज से कम नहीं है। कक्षा पांच तक पढ़ाई करने वाले नईम का दिमाग आपराधिक योजनाओं में पुलिस से भी दो कदम आगे चलता था। उसने न केवल नौ बेगुनाहों की हत्या की, बल्कि पुलिस को चुनौती देते हुए अपनी आपराधिक दुनिया का विस्तार किया। नईम की कहानी में चार राज्य, चार नाम, चार निकाह, सात बच्चे और अपराध का खौफनाक सिलसिला जुड़ा हुआ है।
नईम बाबा 17 दिनों तक पुलिस की पकड़ से बचता रहा, लेकिन आखिरकार मुठभेड़ में मारा गया। इस दौरान उसने बेटे सलमान को भगाने और खुद पुलिस पर फायरिंग करते हुए अकेले मुकाबला करने की भी कोशिश की। इसके बावजूद, उसके मारे जाने के बाद परिवार के लोग लिसाड़ीगेट थाने पहुंचकर हंगामा करने लगे और उसकी हिमायत करते रहे।
पैसे की भूख और अपराध की शुरुआत
मेरठ के किठौर के शाहजहांपुर निवासी नसीर उर्फ काना के सात बेटों और दो बेटियों में से दूसरी संतान नईम बाबा बचपन से ही पैसा कमाने के लिए लालायित था। उसने कम उम्र में ही अपराध का रास्ता चुन लिया। पिता ने नईम का पहला निकाह लिसाड़ीगेट की सन्नो नाम की महिला से कर दिया, लेकिन कुछ ही साल बाद नईम ने सन्नो को छोड़ दिया और बुलंदशहर की जुबैदा से दूसरा निकाह कर लिया।
जुबैदा से निकाह के बाद खर्चों को पूरा करने के लिए नईम दिल्ली चला गया और वहां अपना नाम बदलकर गुड्डू रख लिया। 1999 में उसने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में दो बड़ी चोरी की वारदातों को अंजाम दिया। हालांकि, वह पकड़ में आ गया और जेल भेज दिया गया।
दिल्ली से मुंबई तक अपराध की दास्तान
जमानत पर छूटने के बाद नईम ने दिल्ली के खजूरी खास इलाके में दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया और फिर दिल्ली छोड़कर मुंबई के मुंब्रा पहुंच गया। वहां उसने अपना नाम बदलकर हुसैन उर्फ जमील रख लिया और पत्थर के कारोबार में जुट गया। इसी दौरान उसने तीन बच्चों की मां सलमा से तीसरा निकाह कर लिया। सलमा के पहले पति से तीन बेटे—जहांगीर, सलमान और अब्दुल्ला थे। नईम के साथ रहते हुए सलमा ने एक बेटी, अफसाना को जन्म दिया।
2005 में नईम ने दिल्ली के सरिता विहार में एक और चोरी की घटना को अंजाम दिया। 2006 में उसने मुंबई के मुंब्रा में एक और दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया।
परिवार के उधार ने बढ़ाई नईम की क्रूरता
मुंबई से नईम नासिक के मालेगांव चला गया, जहां उसने नूरी उर्फ नूरजहां से चौथा निकाह किया। नूरजहां से उसके तीन बेटे—मुजीम, फैजान और नावेद हुए। यहां नईम ने टाइल्स का काम शुरू किया, लेकिन यह धंधा भी घाटे में चला गया। जब उसने अपने भाई मोईन से उधार मांगा और भाई ने देने से इनकार कर दिया, तो नईम ने पूरे परिवार का कत्ल कर दिया।
पांच हत्याओं के बाद पुलिस के निशाने पर
आठ जनवरी 2025 को नईम ने मेरठ में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या की। इसके बाद वह और उसका बेटा सलमान नासिक में छिप गए। पुलिस की टीमें उन्हें तलाश करती रहीं, लेकिन नईम हमेशा उनसे आगे रहा। शुक्रवार की रात नईम और सलमान अपने परिवार से मिलने के लिए मेरठ पहुंचे और उधार की रकम लेने की कोशिश की। रकम नहीं मिलने पर उनकी हत्या करने की भी योजना बनाई थी।
चोरी की रकम से परिवार का कारोबार
नईम ने 2005 में दिल्ली में एक बड़ी चोरी की थी, जिसमें उसने परिवार की मदद की थी। इस रकम से उसके परिवार ने रुड़की में अपना कारोबार शुरू किया। हालांकि, परिवार के सदस्य नईम को ब्लैकमेल कर उससे पैसे भी वसूलते थे। उसे डराया जाता था कि अगर उसने रकम नहीं दी, तो उसकी जानकारी पुलिस को दे दी जाएगी।
पुलिस मुठभेड़ और अंत
नईम बाबा का अंत मेरठ पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में हुआ। मुठभेड़ के दौरान उसने बेटे सलमान को भगाने की कोशिश की और खुद पुलिस पर फायरिंग की। आखिरकार पुलिस ने उसे मार गिराया।
नईम बाबा की कहानी अपराध, लालच और खौफ की ऐसी दास्तान है, जो समाज के लिए एक सबक है। यह घटना बताती है कि आपराध की राह पर चलकर व्यक्ति कानून के शिकंजे से बच नही सकता

Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की