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अपराध

प्यार, प्रेग्नेंसी और कत्ल की खौफनाक दास्तां ; पैसे के लिए बुझा दिया गया एक परिवार का चिराग

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट 

‘एक बार तुम साथ दे दो तो साल 2024 तक घर, गाड़ी, पैसा सब कुछ होगा’… ‘बताओ दोगी न मेरा साथ’…. एक खौफनाक मर्डर की साजिश की पहली सीढ़ी यहीं से शुरू हुई। एक अमीर घर में पार्टी चल रही थी तो किसी के दिमाग में अमीर बनने का क्रिमिनल प्लान। जहां किडनैपिंग, फिरौती और मर्डर सब कुछ होना बाकी था। ये कहानी आगे बढ़े उससे पहले उस घर में आपको ले कर चलते हैं जहां पिछले एक हफ्ते सन्नाटा पसरा है।

प्यार, लालच और कत्ल की कहानी है कुशाग्र हत्याकांड

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कानपुर का एक घर सूना हो गया। मां रो-रोकर बेहोश हो रही है, पिता अपना दर्द संभाल नहीं पा रहे। कोई खुद को संभाले तो संभाले कैसे, जिस घर का बेटा मौत की नींद सो गया हो उन माता-पिता के लिए किसी और चीज के मायने ही कहां रह जाते हैं। कानपुर के कुशाग्र मर्डर केस के बारे में जिसने भी सुना उसके होश उड़ गए। कानपुर के साड़ी कारोबारी मनीष कनोडिया का परिवार बेटी होने की खुशियां मना रहा था, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी में भूचाल आने वाला है। कोई है जो उनसे उनका बेटा छीनने वाला है।

अमीर बनने के लालच में बुझाया एक घर का चिराग

मनीष कनोडिया के घर में बेटी पैदा होने की खुशी में पार्टी चल रही थी। इस पार्टी में कुशाग्र की एक ट्यूशन टीचर रचिता और उसके दो साथी भी शामिल हुए थे। इसी पार्टी में इन तीनों ने मनीष कनोडिया के बेटे कुशाग्र को किडनैप करने का प्लान बनाया। इन्हें लगा कि अमीर परिवार है और फिरौती में मोटी रकम की मांग करेंगे और जल्द से जल्द अमीर बन जाएंगे।

कुशाग्र कानपुर के अमीर परिवार का बेटा था

दरअसल रचिता और उसके एक साथी प्रभात के बीच काफी समय से रिश्ता था, लेकिन प्रभात के परिवार वाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। रचिता प्रभात के बच्चे की मां भी बनने वाली थी, लेकिन परिवार वाले फिर भी शादी के लिए राजी नहीं हुए। रचिता को इस वजह से अबॉर्शन करवाना पड़ा। इस अबॉर्शन के बाद रचिता और उसके बॉयफ्रेंड ने अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने का प्लान किया, लेकिन इस प्लान के लिए इन्हें पैसा चाहिए था। बस इसलिए इनके दिमाग में ऐसी खौफनाक साजिश ने जन्म लिया जिसने एक हंसता खेलता परिवार खत्म कर दिया।

पैसे के लिए किया गया कुशाग्र का किडनैप

कुशाग्र के पिता मनीष कनोडिया अपने बिजनेस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते थे। इसी का फायदा उठाया रचिता, प्रभात और इनके साथी शिवा ने। कुशाग्र प्रभात को पहले से ही जानता था। 30 अक्टूबर की शाम वो कोचिंग के लिए निकला तो प्रभात ने उसे अपने घर नाश्ते के लिए चलने के लिए कहा। वो मान गया, लेकिन घर पहुंचते ही प्रभात ने रस्सी से उसके पैर में फंदा लगा कर उसे गिरा दिया। उसके बाद कुशाग्र के हाथ-पैर बांध दिए गए। इस पूरी घटना के दौरान रचिता वही पर थी। रचिता यानी वो ल़ड़की जिसने कई सालों तक कुशाग्र को ट्यूशन पढ़ाया था, लेकिन लालच में वो इतनी अंधी हो गई कि उसका कत्ल करने के लिए तैयार थी।

कोठरी के अंदर गला दबाकर ली गई जान

इसके बाद प्रभात ने कुशाग्र के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया। अपने घर की कोठरी में ये सब किया गया। कुशाग्र इन दोनों के सामने बेबस पड़ा था। बस फिर क्या था कोठरी के अंदर ही गला दबाकर प्रभात ने कुशाग्र की जान ले ली। इसके बाद इन दोनों ने कुशाग्र का एक वीडियो भी बनाया। इस वीडियो को इस तरह से बनाया गया कि वो जिंदा लगे। इसके बाद इन्होंने फिरौती मांगने के लिए एक खत लिखा और इनके तीसरे साथी शिवा ने इस खत को कुशाग्र के घर तक पहुंचाया। इस खत के जरिए 30 लाख की फिरौती की मांग की गई।

सलाखों के पीछे हैं कुशाग्र के हत्यारे

हत्या के बाद कातिल शव को टुकड़ों में काटकर पॉलीथिन में भरकर नदी में फेंकने की तैयारी में थे। पॉलीथिन और बोरे की व्यवस्था भी कर ली गई थी, लेकिन सीसीटीवी कैमरा ने इनका प्लान चौपट कर दिया। कुशाग्र के गायब होने के बाद परिवार ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई। सीसीटीवी की जांच हुई प्रभात पकड़ा गया और इनका पूरा खेल सामने आ गया। पुलिस ने प्रभात के घर के बाहर से कुशाग्र की लाश बरामद की जबकि उसके घर से कुशाग्र का बैग, हेलमेट, मोबाइल, शर्ट, रजिस्टर और पेन भी बरामद किए गए। आरोपियों को गिरफ्तार किया गया तो पुलिस पूछताछ में सारी हकीकत सामने आई। पैसे के लालच में इन लोगों ने एक घर का चिराग बुझा दिया।

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"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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