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घोसी उपचुनाव का नतीजा! दारा सिंह की हार में छिपे ‘जन-संदेश’ के मायने समझिए

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट 

मऊः उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर हाल उपचुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट के बावजूद समाजवादी पार्टी (सपा) के सुधाकर सिंह की भारी अंतर से जीत को मतदाताओं द्वारा ‘आया राम-गया राम’ की राजनीति को खारिज करने के रूप में देखा जा रहा है।

सिंह ने शुक्रवार को घोसी विधानसभा उपचुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के दारा सिंह चौहान को 42,759 मतों के भारी अंतर से हरा दिया। इस उपचुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जीत का अंतर 2022 के विधानसभा चुनाव की तुलना में काफी अधिक है। साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार रहे चौहान ने भाजपा उम्मीदवार विजय कुमार राजभर को 22,216 मतों के अंतर से हराया था। पर, इस बार उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चौहान 42,759 वोटों से हार गए।

निर्वाचन आयोग के अनुसार विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटकों से समर्थित सिंह को कुल 1,24,427 (57.19 प्रतिशत) मत मिले हैं, जबकि चौहान के पक्ष में 81,668 (37.54 फीसदी) मतदाताओं ने मतदान किया। इस उपचुनाव में 50.77 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2022 के उप्र विधानसभा चुनाव में इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदान प्रतिशत 58.59 दर्ज किया गया।

सपा के टिकट पर 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह सीट जीतने वाले चौहान के जुलाई में इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव जरूरी हो गया था।

चौहान की हार से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की राजनीतिक संभावनाओं को भी नुकसान हुआ, क्योंकि भाजपा के पक्ष में सकारात्मक परिणाम आने से भाजपा के साथ उनकी सौदेबाजी की शक्ति मजबूत हो जाती। लेकिन, घोसी में किस्मत उन पर मेहरबान नहीं हुई।

घोसी के मतदाता दारा सिंह चौहान द्वारा अपनी राजनीतिक निष्ठा बदलने से भी स्पष्ट रूप से नाराज थे और एक प्रकार से उन्होंने ‘आया राम, गया राम’ की राजनीति को खारिज कर दिया।

घोसी क्षेत्र के एक मतदाता और चिकित्सा प्रतिनिधि अरविंद कुमार चौहान ने कहा, “लोगों ने दलबदलुओं को खारिज कर दिया है, जो केवल अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए अपना दल बदलते हैं।”

घोसी के एक अन्य मतदाता एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कुमार राजभर ने कहा कि घोसी में हाल ही में संपन्न विधानसभा उपचुनाव में एक नारा देखा गया ‘बाहरी भगाओ-घोसी बचाओ।

राजभर ने कहा कि ‘जो लोग आया राम-गया राम की राजनीति करते हैं, उन्हें जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया क्योंकि यहां के लोग विकास चाहते हैं।

चौहान ने 15 जुलाई को उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। जनवरी 2022 में मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने और सपा में शामिल होने से पहले वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री थे। उन्होंने 15वीं लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य के रूप में घोसी सीट का भी प्रतिनिधित्व किया था। इसके पहले वह बसपा और सपा से एक-एक बार राज्यसभा के भी सदस्य रहे।

चौहान 2017 से 2022 तक मऊ जिले के मधुबन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक थे। उन्होंने 2022 के उप्र विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर घोसी सीट जीती थी, लेकिन इस उपचुनाव में उन्हें यह सीट गंवानी पड़ी। राजनीतिक हलकों में ‘आया राम, गया राम’ शब्द तब सुर्खियों में आ गया, जब हरियाणा के होडल से विधायक गया लाल ने 1967 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और कांग्रेस में शामिल हो गए। उसके बाद उन्होंने एक पखवाड़े में तीन बार पार्टियां बदलीं।

पहले राजनीतिक रूप से कांग्रेस से दल-बदल कर संयुक्त मोर्चे में चले गए, फिर दल-बदल कर वापस कांग्रेस में चले गए और फिर नौ घंटे के भीतर दल-बदल कर संयुक्त मोर्चे में चले गए। जब गया लाल ने संयुक्त मोर्चा छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए तो कांग्रेस नेता राव वीरेंद्र सिंह, जिन्होंने गया लाल को कांग्रेस में शामिल करने की योजना बनाई थी, चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन में गया लाल को लाए और घोषणा की कि “गया राम अब आया राम हो गये।”

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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