नौशाद अली की रिपोर्ट
गोंडा। पंचायती राज व्यवस्था, ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासन की प्रणाली है। जिस तरह से नगरपालिकाओं तथा उपनगरपालिकाओं के द्वारा शहरी क्षेत्रों का स्वशासन चलता है, उसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का स्वशासन चलता है। पंचायती राज संस्थाएँ तीन हैं-
(1) ग्राम के स्तर पर ग्राम पंचायत
(2) ब्लॉक (तालुका) स्तर पर पंचायत समिति
(3) जिला स्तर पर जिला परिषद
इन संस्थाओ का काम आर्थिक विकास करना, सामाजिक न्याय को मजबूत करना तथा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करना है, जिसमें ११वीं अनुसूची में उल्लिखित 29 विषय भी हैं।
अब अगर योजनाएं धरातल पर नहीं दिखाई दे रही हैं तो आम जनता क्या समझेगी? शायद यही न कि सरकारी फंड नहीं होगा! लेकिन अगर जनता को ये पता चल जाए कि सरकारी फंड था और वो पंचायत के प्रधान को मिल भी गया तो जरूर ही जनता जानना चाहेगी कि आखिर इस पैसे का इस्तेमाल कहां किया गया?
जी हां, हम बात कर रहे हैं यूपी के गोंडा जिलांतर्गत मुजेहना प्रखंड के दुलहापुर बनकट पंचायत की। यहां पर महिला प्रधान श्रीमती कुमारी के काले कारनामे का भंडाफोड़ किया है पंचायत के कुछ सजग लोगों ने।
पंचायत के निवासी ध्यान सिंह और अभिषेक सिंह उर्फ राहुल ने जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को चौपाल और समाधान दिवस पर शिकायत की है। शिक़ायत में इस बात पर सवाल उठाए गए हैं कि पंचायत में सामुदायिक शौचालय से पीडब्ल्यूडी रोड दुलहापुर बनकट तक इंटरलाकिंग के नाम पर दिनांक 22.8.2021 को 137165 रुपए का भुगतान हो गया लेकिन आज तक इंटरलाकिंग का कोई भी काम हुआ नहीं। आखिर ये लाखों रुपए कहां गए?
इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी पुलिया से भाजी के घर तक इंटरलाकिंग निर्माण कार्य हेतु भी भुगतान निकाल लिया गया लेकिन काम का कोई अस्तित्व आज तक नहीं दिखाई दे रहा है। आखिर इस भुगतान को किस प्रकार पारित किया गया? इस सवाल की जद में जिले के अधिकारियों की संलिप्तता से ही इंकार नहीं किया जा सकता।
पीडब्ल्यूडी रोड से ननके सिंह के खेत तक सीसी रोड निर्माण का भी एक भुगतान कर दिया गया है और उस रोड का भी हाल जस का तस है।
ये महज तीन उदाहरण बासबूत पेश किया गया है, आला अधिकारी इस पंचायत की गतिविधियों की जांच करें तो ऐसे बहुत सारे काले कारनामे सामने आ सकते हैं।
आखिर एक पंचायत प्रधान इस तरह सरकारी धन का दुरुपयोग बिना किसी अधिकारी के सहयोग से कैसे कर सकता है ? यह सवाल सीधा उच्चस्तरीय जांच का तलबगार है।
पंचायत के अधिकांश निवासियों का कहना है कि जब भी कोई प्रधान की गतिविधियों पर नज़र उठाता है तो उसके स्वघोषित प्रतिनिधि सामने आकर कहते हैं कि, मेरा जो मन करेगा वही होगा। कोई भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
सरकारी पेड़ की अवैध कटाई के संबंध में जिलाधिकारी गोंडा को विगत 16/8/2023 को एक शिकायत दर्ज कराई गई थी लेकिन अभी तक कोई भी अधिकारी उस मुद्दे पर सुरखुरु नहीं हो पाए हैं जो अपने आप में ही एक गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
बात इतनी ही नहीं है, प्रधान जी ने सरकारी जमीन पर लगे सरकारी पेड़ भी कटवाए और उसका भी कोई विवरण सरकारी पंजिओ में अंकित नहीं है। तो सवाल उठता ही है कि आखिर प्रधान पंचायत के समग्र विकास की जिम्मेदार हैं या सरकार की धन से अपनी संपत्ति बनाने की हकदार?
हर सवाल का जवाब जनता यही दे रही है कि प्रधान के स्वघोषित प्रतिनिधि के इशारे की गुलाम हो गई है प्रधान। उन्हें तो ये भी नहीं पता कि सरकार की किस योजना में पंचायत के किस भाग में कौन सा काम हुआ है अथवा चल रहा है ?
एक तरफ सरकार गांवों को मूलभूत सुविधाओं से लैस करना चाहती है तो दूसरी ओर पंचायत के जनप्रतिनिधियों का ऐसा रवैया…निस्संदेह गहन जांच के बाद इस पंचायत में ऐसे घोटाले सामने आ सकते हैं जो संभवतः जिले में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिख दे।
पंचायत के अधिकांश निवासियों से बात करने पर महसूस किया गया कि पंचायत प्रधान द्वारा अपने आरंभिक काल से ही घपलेबाजी की नीति अपनाई जा रही है लेकिन अब जनता बोलेगी तो प्रशासन को भी जागना होगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."