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बस्ती

‘डूबके जाना है स्कूल, राह में दरिया है….बरसाती मौसम में सरकारी विद्यालय का है ये हाल 

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट 

बस्तीः मूसलाधार बारिश के बाद आम जनजीवन तो प्रभावित हुआ ही है साथ ही साथ सरकारी विद्यालय भी जलमग्न हो गए हैं। सदर ब्लॉक के थरौली गांव में बने प्राइमरी स्कूल में चारो तरफ से बाहरी जल जमाव हो गया है, जिस वजह से टीचर और बच्चों का स्कूल जाना दूभर हो गया है। स्कूल में पानी भर जाने के कारण कोई रास्ता नहीं बचा है जिस वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और जो स्कूल के टीचर हैं वह पानी में घुसकर स्कूल पहुंच रहे हैं।

वैसे तो सरकार सर्व शिक्षा अभियान पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है ताकि गांव में बने प्राइमरी स्कूल की स्थिति सुधर सके लेकिन कुछ जगहों पर हालात बद से बदतर हैं। इसका खामियाजा वहां के टीचर और बच्चे उठा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय थरौली का जीर्णोद्वार आज तक नहीं हो सका। स्कूल में आने के लिए कोई सड़क नहीं है। गर्मी और ठंडी में तो किसी तरीके से बच्चे स्कूल परिसर में पहुंच जाते हैं लेकिन जब बरसात आती है तो यह विद्यालय पूरी तरीके से टापू बन जाता है।

स्कूल परिसर में आने के लिए बच्चों को पानी के दरिया से होकर गुजरना पड़ता है, स्थिति भयावह होने पर बच्चे भी स्कूल आना बंद कर देते हैं लेकिन यहां तैनात अध्यापकों को मजबूरी में पानी में घुसकर आना जाना पड़ता है।

पानी में घुसकर स्कूल में जाते हैं टीचर-बच्चे

स्कूल के अध्यापकों के जानकारी के अनुसार प्राथमिक विद्यालय थरौली गांव के ही किसी संपन्न परिवार के द्वारा दान में दी गई जमीन पर बनाया गया है, जिस वजह से आज तक इस स्कूल का कभी कायाकल्प नही हो सका। स्कूल लोलैंड में है जिस वजह से यहां बारिश का पानी आसानी से जमा हो जाता है और तो और स्कूल में आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है, तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते है कि किस तरह से स्कूल का स्टाफ पानी में घुस जा रहे है और फिसल कर गिर जाते हैं बहरहाल देखना यह होगा कि बरसात में इस टापू नुमा स्कूल की सुधि लेने अधिकारी कब आते है और बच्चो सहित स्कूल के टीचरों की समस्या का स्थाई हल निकल पता है।

इस मामले में प्राइमरी स्कूल के बारे में जानकारी देने के बाद बस्ती के नवागत बीएसए अनूप कुमार ने दो टूक जवाब दिया कि आपके द्वारा जानकारी मिली है जांच करा ले रहे हैं अगर लो लैंड होगा तो मिट्टी लाकर ऊंचा कराया जाए मगर यहां सवालिया खड़ा होता है कि आखिर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद प्राइमरी स्कूलों की दशा आखिर सुधर क्यों नहीं पा रही।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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