Explore

Search
Close this search box.

Search

November 23, 2024 5:23 am

लेटेस्ट न्यूज़

मर्डर का यह कैसा ट्रेंड ? वकील के वेष में आया खूनी अदालत में गैंगस्‍टर संजीव जीवा को खुलेआम गोलियों से उड़ा दिया

16 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

आप भूले तो नहीं होंगे जब दो महीने पहले 15 अप्रैल को प्रयागराज का कॉल्विन हॉस्पिटल गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था। उस वक्‍त माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ (Atique Ahamd Murder) की सरेआम विदेशी पिस्‍टल से गोलियां बरसाकर हत्‍या कर दी गई थी। पुलिस अतीक और अशरफ को मेडिकल के लिए अस्‍पताल लेकर जा रही थी। मीडिया का पूरा हुजूम लगा हुआ था। अतीक और अशरफ पत्रकारों के सवालों का जवाब देने के लिए जैसे ही रुके, 20 से 25 साल की उम्र के तीन शूटर अचानक भीड़ से निकले और फिर जो हुआ वह इतिहास के पन्‍नों पर दर्ज हो चुका है। खास बात यह रही कि तीनों शूटर पत्रकारों की वेशभूषा में आए थे। उनके पास कैमरे थे और प्रेस आईडी भी। इस हत्‍याकांड के करीब दो महीने बाद 6 जून को लखनऊ की कचहरी भी कुछ ऐसी ही वारदात की गवाह बन गई। लखनऊ जेल में लंबे अरसे से बंद पश्चिमी यूपी का कुख्‍यात गैंगस्‍टर संजीव जीवा पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था। अचानक वकील की ड्रेस में आए 24 साल के एक लड़के ने उसको ताबड़तोड़ पांच गोलियां मारीं। जीवा की मौके पर ही मौत हो गई। इन दोनों घटनाओं में समानता यह है कि न तो अतीक के हत्‍यारे मौके से भागे और न ही संजीव जीवा का कातिल। इन सबको पुलिस ने घटनास्‍थल से पिस्‍टल के साथ गिरफ्तार कर लिया। उत्‍तर प्रदेश में एक के बाद जिस नए अंदाज में अपराधियों की हत्‍या हो रही है, उसको लेकर ढेर सारे सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्‍या (Umesh Pal Murder Case) कर दी गई। हत्‍या का आरोप अतीक अहमद गैंग पर लगा। आरोप तब और पुख्‍ता हो गए जब इस घटना के वायरल वीडियो में अतीक अहमद का तीसरा बेटा असद अहमद गोलियां चलाता साफ नजर आया। इसके बाद प्रयागराज पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर असद अहमद समेत हत्‍याकांड में शामिल कई शूटरों को एनकाउंटर में मार गिराया। इस मामले में पूछताछ के लिए अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रोडक्‍शन वॉरंट पर प्रयागराज लाया गया। उमेश पाल हत्‍याकांड की साजिश रचने में अतीक की पत्‍नी शाइस्‍ता परवीन भी शामिल है। शाइस्‍ता और अतीक का खास गुर्गा गुड्डू मुस्लिम अब तक फरार चल रहे हैं। गुड्डू मुस्लिम उमेश पाल की हत्‍या के समय मौके पर बम बरसाता नजर आया था। शाइस्‍ता और गुड्डू मुस्लिम की तलाश में यूपी एसटीएफ की टीम न जाने कितने राज्‍यों में छापा मार चुकी है पर नतीजा सिफर रहा। अतीक अहमद और अशरफ की हत्‍या करने वाले शूटरों सनी, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य का आपराधिक इतिहास रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पुलिस पूछताछ में तीनों शूटरों ने कहा कि वे कब तक छोटे मोटे शूटर रहेंगे। इसलिए कुछ बड़ा काम करने के लिए उन्‍होंने अतीक अहमद और अशरफ की हत्‍या की है। ये तीनों आरोपी प्रतापगढ़ की जेल में बंद चल रहे हैं।

अतीक अहमद और अशरफ की हत्‍या के लिए तीनों शूटरों ने ढेर सारी प्‍लानिंग की थी। उनके पास से विदेशी पिस्‍टल बरामद हुए हैं जो लाखों की कीमत के हैं। अब तक ये खुलासा नहीं हो पाया है कि शूटरों को ये पिस्‍टल किसने मुहैया कराए। अतीक हत्‍याकांड के पीछे उनका क्‍या मकसद है, इसका सच भी सामने नहीं आ पाया है। पूछताछ में उन्‍होंने बताया कि 15 अप्रैल से पहले भी उन्‍होंने अतीक को निपटाने का प्‍लान बनाया था पर सफल नहीं हो पाए। ये तीनों शूटर यूपी के अलग अलग जिलों के रहने वाले हैं। लवलेश तिवारी बांदा का है तो अरुण मौर्य हमीरपुर का। इसी तरह तीसरा आरोपी सनी कासगंज जिले का निवासी है। तीनों कब और कैसे एक दूसरे के संपर्क में आए, इसकी भी जांच चल रही है। लवलेश ने 12वीं करने के बाद बीए में एडमिशन लिया था पर पढ़ाई में मन नहीं लगा तो कॉलेज जाना बंद कर दिया था।

किसान परिवार का है विजय यादव

अब लखनऊ की अदालत में गैंगस्‍टर संजीव जीवा की हत्‍या करने वाले विजय यादव के बारे में जानिए। सिर्फ 24 साल का विजय जौनपुर के केराकत क्षेत्र में पड़ने वाले सुल्‍तानपुर सर्की गांव का रहने वाला है। वह दो महीने से लखनऊ में रह रहा है। वह यहां सीवर और पेयजल पाइप लाइन डालने का काम कर रहा था। उसके पिता श्‍यामा यादव ने बताया कि उनके चार बेटे हैं। दूसरे नंबर का विजय यादव लखनऊ में काम करने से पहले मुंबई में टाटा कंपनी में मजदूर था। पिछले 15 दिनों से उसका मोबाइल फोन बंद था। वह परिवार वालों के संपर्क में नहीं था जिसकी वजह से घर में सब परेशान थे। विजय की पढ़ाई जौनपुर में ही हुई है। उसने मोहम्‍मद हसन पीजी कॉलेज से 2016 में बीकॉम पास किया है। आजमगढ़ में एक लड़की के अपहरण और दुष्‍कर्म के मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। दो महीने पहले ही इस केस में समझौता हुआ था। सामान्‍य परिवार से आने वाले विजय यादव के घरवालों को नहीं पता था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा। उसके पिता खेती कर परिवार का खर्चा चलाते हैं। अभी तक की जांच में यह नहीं पता चल पाया है कि आखिर विजय यादव की संजीव जीवा से क्‍या दुश्‍मनी थी। उसने जीवा की हत्‍या किसने कहने पर किया?

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़