इंदौरमध्य प्रदेश

बड़ी दर्दनाक मौत दिया भोले बाबा ने…. बालेश्वर महादेव मंदिर हादसे में मृत परिवार के सदस्यों का यह दर्द इतिहास में दर्ज हो गया 

सुहानी परिहार की रिपोर्ट 

इंदौरः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार सुबह इंदौर पहुंचे हैं। उन्होंने गुरुवार को बेलेश्वर महादेव मंदिर में हुए हादसे में घायलों से मुलाकात की है। शिवराज घायलों के परिजनों से मिले और उन्हें ढाढस बंधाया। मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि घायलों के इलाज में कोई कमी नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर हादसे के दोषियों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने पूरे प्रदेश में कुओं की जांच के आदेश दिए हैं। ऐसे सभी कुएं जिन्हें ढंका गया है, उनकी जांच की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों।

शिवराज सुबह करीब साढ़े नौ बजे इंदौर पहुंचे और सीधे एप्पल हॉस्पिटल गए। इसके बाद उन्होंने घटनास्थल का भी दौरा किया और रेस्क्यू अभियान के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कुएं में फंसे लोगों को निकालने के लिए जरूरी निर्देश अधिकारियों को दिए। इस दौरान कई विधायक और शीर्ष अधिकारी उनके साथ थे।

रामनवमी के मौके पर पटेल नगर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में बावड़ी की छत ढहने से कई लोग इसमें गिर गए थे। स्थानीय प्रशासन के साथ एनडीआरएफ और सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक 35 शव निकाले जा चुके हैं। कुएं में अब भी कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका है और रेस्क्यू का काम अब भी जारी है। राज्य सरकार ने मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है। सीएम ने गुरुवार को कहा कि मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

इस कारण हुआ हादसा

बेलेश्वर महादेव झुलेलाल मंदिर के पास एक पुरानी बावड़ी थी, इसके ऊपर लोहे की जाली पर स्लैब डालकर इसके ढक दिया गया था। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, बावड़ी करीब 40 फीट गहरी थी, जिसपर टीन शेड से एक कमरा बना दिया गया था।

रामनवमी के अवसर पर बावड़ी के ऊपर ही हवन कराया जा रहा था, जिसमें एक साथ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। ज्यादा लोगों के वजन के कारण बावड़ी की छत भरभराकर ढस गई और उसके ऊपर मौजूद सभी लोग अंदर गिर गए।

अवैध रूप से बनाया गया मंदिर

स्नेह नगर के निवासी का कहना है कि मंदिर का निर्माण अवैध रूप से किया गया था। इसके निर्माण में कुछ नेताओं का भी समर्थन था। मंदिर के ज्यादातर हवन इस बावड़ी के ऊपर ही हुआ करते थे। इसको लेकर पहले भी कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी। वहीं, अधिकारियो का कहना है कि उन्हें इस हादसे से पहले बावड़ी के होने की कोई भी जानकारी नहीं थी।

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