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पटना

“लागा भगदड़ का रोग मनाऊं कैसे?”…. बिल्कुल इसी उहापोह में लगे जदयू को कौन सी घुट्टी पिलाएंगे नितीश ?

प्रशांत झा की रिपोर्ट 

पटना: बिहार की सियासत में इन दिनों गीतकार साहिर लुधियानवी का गाना बज रहा है। मन्ना डे की आवाज में गाया गाना ‘लागा चुनरी में दाग’ बिहार की राजनीति को सही तरीके से चित्रित कर रहा है। बस शब्द बदल गये हैं। चुनरी की जगह ‘भगदड़’ हो गया है। सियासी संदर्भ में गाने के बोल हो गये हैं ‘लागा भगदड़ का रोग मनाऊं कैसे’। उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू के लिए राजनीतिक चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। 

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अपनी नई पार्टी के गठन के बाद विरासत बचाओ यात्रा पर निकले उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू को टारगेट किए हुए हैं। लोकसभा चुनाव में अभी एक साल की देरी है। उससे पूर्व ही बिहार में अभी से ही पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है। नेताओं के दल बदल का सिलसिला और तेज होने की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि नेता अभी से ही भविष्य को लेकर अपनी गोटी फिट कर लेना चाहते हैं। 

वैसे, माना यह भी जा रहा है कि हाल के दिनों में इस पाला बदलने का लाभ अभी तक बीजेपी के लिए फायदेमंद हुआ है। मंगलवार जेडीयू के लिए ‘अ’मंगल साबित हुआ। जेडीयू के एक दर्जन से ज्यादा नेता पाला बदलकर उपेंद्र कुशवाहा की झोली में गिर गये हैं।

कुशवाहा ने शुरू की तोड़-फोड़ वाली कहानी

जेडीयू के 18 नेताओं ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को ज्वाइन कर लिया है। सियासी जानकारों की मानें तो उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू के विभिन्न प्रकोष्ठों को पहले तोड़ रहे हैं। जानकार मानते हैं कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आएगा, जेडीयू के बड़े नेता भी उपेंद्र कुशवाहा के पाले में गिरेंगे। विरासत बचाओ यात्रा के पहले चरण को पूरा करने के बाद, आरएलजेडी प्रमुख कुशवाहा पटना पहुंचे और जेडीयू के 18 नेताओं को पार्टी में शामिल कराया। आरएलजेडी में शामिल होने वाले नेताओं में गया जिले के किसान प्रकोष्ठ के पूर्व जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा (जदयू) शंभुनाथ सिन्हा, किसान प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष राज किशोर सिंह और शिक्षा प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष ई शशिकांत शामिल हैं। इसके अलावा जेडीयू में अन्य पदों को धारण करने वाले नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है। जानकार मानते हैं कि ललन सिंह की फाइव स्टार संस्कृति से नाराज जेडीयू नेता एक-एक कर उपेंद्र कुशवाहा के पाले में आएंगे।

ललन सिंह से नाराज कार्यकर्ता

जेडीयू में मची भगदड़ का मूल कारण ललन सिंह को बताया जा रहा है। सियासी जानकार मानते हैं कि ललन सिंह किसी भी कार्यकर्ता से मिलते नहीं हैं। उनके इर्द-गिर्द वैसे लोगों की जमात खड़ी है जो उनकी हां में हां मिलाती है। जेडीयू की जमीनी हकीकत से दूर ललन सिंह को उपेंद्र कुशवाहा लगातार झटका दे रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा की यात्रा के दौरान जिलों में जेडीयू के नेता भारी संख्या में पार्टी ज्वाइन कर रहे हैं। जानकारों ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा पूरी तरह जेडीयू को साफ करने में लगे हुए हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने फरवरी में जेडीयू छोड़ा। नई पार्टी का गठन किया। उसके बाद से जेडीयू को तोड़ने में जुट गये। कुशवाहा अपने टारगेट में सफल होते दिख रहे हैं। उन्होंने अपनी नई पार्टी का 19 फरवरी, 20 को दो दिवसीय खुला सत्र बुलाया था। वे सभी कार्यकर्ताओं को बराबर का हक दे रहे हैं। उनसे सलाह ले रहे हैं। पूरी तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था कर जेडीयू के नेताओं को लुभा रहे हैं। इधर, जेडीयू के असंतुष्टों को कुशवाहा नाम का एक ऐसा लीडर मिल गया है, जो नीतीश को उनके पद से हटाना चाहते हैं।

जेडीयू में मची भगदड़

सियासी जानकारों की मानें तो जेडीयू में अब लोकतंत्र नहीं बचा है। जेडीयू में हाल कुछ वन मैन आर्मी टाइप हो गया है। खाता न बही जो नीतीश और ललन कहें वही सही। इस परंपरा से जेडीयू के जमीनी कार्यकर्ता काफी नाराज हैं। उससे खफा कार्यकर्ता उपेंद्र कुशवाहा में भविष्य का नेता देख रहे हैं। उधर, बीजेपी भी जेडीयू में सेंधमारी कर रही है। जेडीयू की वरिष्ठ नेता रहीं पूर्व सांसद मीना सिंह और उनके बेटे विशाल सिंह ने दो दिन पहले बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। पाला बदलने वालों में मुजफ्फरपुर जिले के कांटी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मंत्री अजीत कुमार एवं पश्चिमी चंपारण जिले के राजेश सिंह भी हैं, जिन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है। पूर्व विधान पार्षद सुमन कुमार महासेठ, वैश्य भारतीय सूड़ी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व प्रत्याशी मनोज पूर्वे भी बीजेपी में शामिल हुए हैं। इस दौरान एक खबर जेडीयू के लिए राहत भरी रही कि बीजेपी के उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने जदयू की सदस्यता ग्रहण की।

पाला बदलने का खेल शुरू

बिहार में चल रहे पाला बदलने के इस खेल को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल बड़ी बात कहते हैं। उन्होंने कहा कि जेडीयू का हर नेता आज अंदर ही अंदर काफी व्यथित है। जिन्होंने दशकों तक जंगलराज के खिलाफ राजद से लड़ाई लड़ी, उसी राजद के हाथों में नीतीश ने पार्टी को गिरवी रख दिया है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में और भी कई नेता बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। वैसे बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के रणनीतिकार ने साफ कह दिया है कि किसी शर्त या भविष्य की उम्मीद के साथ कतई किसी को पार्टी में शामिल नहीं कराएं। कहा यह भी जा रहा है कि कई नेता पाला बदलने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जेडीयू के राजद के साथ जाने के बाद वैसे विधायक असमंजस में हैं जिन्होंने राजद प्रत्याशी को चुनाव में हराकर विधानसभा पहुंचे।

बहरहाल, बिहार में पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है, अब देखने वाली बात होगी कि इसका कितना लाभ राजनीतिक दलों को कितना मिलता है।

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