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November 23, 2024 1:28 am

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जानना जरूरी है ; लखनऊ और गाजीपुर के नाम बदलने के पीछे क्या है ऐतिहासिक तर्क ?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत राज्य के कुछ शहरों के नाम बदलने की चर्चा तेज हो गई है।

प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखते हुए लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुरी करने की माँग की है। वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के प्रमुख ओपी राजभर ने गाजीपुर का नाम बदलकर विश्वामित्र नगर करने की सिफारिश की है।

रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता ने अपने पत्र में कहा कि यदि मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किया जा सकता है, तो लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुरी या लक्ष्मणपुरी क्यों नहीं रखा जा सकता ? उन्होंने कहा कि मुगल काल के नाम आज के दौर में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने अपने पत्र में इस नाम को जल्द से जल्द बदलने की माँग की है। सांसद ने पत्र में लिखा कि, ‘स्थानीय मान्यता के मुताबिक, यूपी की राजधानी लखनऊ को त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अयोध्या नरेश रहते समय अपने छोटे भ्राता श्री लक्ष्मण को भेंट किया था। उसी वजह से उसका नाम लखनपुर और लक्ष्मणपुर रखा गया था। 18वीं सदी में नवाब आसुफदौला ने इस शहर का नाम बदलकर लखनऊ कर दिया था। अब इसे अपना वास्तविक नाम वापस लौटाया जाए।’

क्या है लखनऊ और ग़ाज़ीपुर का इतिहास

बता दें कि, सन 1290 ईस्वी तक लखनऊ नाम का उल्लेख कहीं नहीं मिलता है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों के मुताबिक, त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने अयोध्या से 30 किमी दूर कौशल राज्य का एक हिस्सा अपने भाई लक्ष्मण को दे दिया था, जिसका नाम लक्ष्मणपुरी रखा गया था, जो बाद में आम बोलचाल की भाषा में लखनपुर हो गया। मुगलकाल में अकबर ने लखनपुर की जागीर बिजनौर के गर्वनर शेख अब्दुला को सौंपी थी। जिसका नाम वर्ष 1775 में लखनपुर की गद्दी संभालने वाले नवाब आसफुद्दौला ने लखनऊ कर दिया।

वहीं, भारतीय ग्रंथों में गाजीपुर का प्राचीन नाम गाधिपुर बताया गया है, जिसे महर्षि विश्‍वामित्र के पिता महाराजा गाधि ने बसाया था। लेकिन, मुस्लिम शासन के दौरान शासक मसूद गाजी ने इसका नाम गाधिपुर से बदलकर गाजीपुर कर दिया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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