google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
हमीरपुर

अजीबोगरीब मांग लेकर ये महिला सालों से थाने की चौखट पर बैठी है ; महिला की समस्या सुनकर आप हंसेंगे भी और सोचेंगे भी

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

हमीरपुर(उत्तर प्रदेश)।  चौखट में तुम्हारी हम दम तोड़ जाएंगे, जब हम नहीं होंगे तुम्हें याद आएंगे। सन 1993 में रिलीज हुई फिल्म आंखें का यह गाना लगभग एक दशक से एक अजीबोगरीब फरियाद लेकर थाने पर बैठी विधवा महिला पर सटीक साबित हो रहा है। इस एक दशक में थाने में करीब एक दर्जन थानाध्यक्ष ने आकर यहां कुर्सी संभाली। परंतु कोई भी इसकी समस्या का समाधान नहीं कर सका। आज भी यह न्याय की आस में थाने पर बैठी हुई है।

जानकारी मुताबिक अप्रैल 1993 में गोविंदा एवं चंकी पांडेय अभिनीत आंखें फिल्म में गाना चौखट पर तुम्हारी दम तोड़ जाएंगे गोविंदा और चंकी पांडेय पर फिल्माया गया था। दोनों अभिनेता फिल्म अभिनेत्रियों के सामने शादी की गुजारिश करते दिखाए गए थे। ठीक ऐसी ही कुछ समस्या पिछले 10 वर्षों से थाने में बैठी पप्पी सिंह कुंडौरा की है। यह 10 वर्ष पूर्व सपा शासनकाल के दौरान अपनी शादी कराने की समस्या लेकर थाने में दाखिल हुई थी। तत्कालीन थानाध्यक्ष सुभाष यादव ने यह कहते हुए थाने में बैठने को कहा था कि बाद में तुम्हारी समस्या को फुर्सत में सुनेंगे। तब से यह थाने पर ही बैठी हुई है। 

बता दें कि फतेहपुर जनपद के चांदपुर थानाक्षेत्र के परसेढा निवासी पप्पी सिंह की शादी 30 वर्ष पूर्व कुंडौरा निवासी जितेंद्र सिंह के साथ हुई थी। दोनों से एक बेटा बउआ सिंह है। बताते हैं कि पप्पी सिंह मायके परसेढा में थी और जीतेंद्र सिंह इसको लेने ससुराल गया था। विदाई को लेकर जीतेंद्र सिंह और पप्पी सिंह के पिता शिवपाल सिंह के मध्य विवाद हो गया। विवाद के उग्र होने पर मारपीट हो गई। जिसमें जीतेंद्र सिंह की मौत हो गई। इस घटना में जितेंद्र सिंह के भाई जगतपाल सिंह ने पप्पी सिंह एवं शिवपाल सिंह को नामजद कराकर मुकदमा कायम करा दिया। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मुकदमा कायम करके पिता पुत्री को जेल भेज दिया। सजा होने पर पप्पी सिंह करीब 15 वर्ष जेल की सलाखों में बंद रहे और सजा काटकर 2011 में बाहर आई। तब तक यह कुछ मानसिक रूप से भी कमजोर हो गई।

जेल से छूटने के बाद इसको मायके में आसरा नहीं मिला। लिहाजा यह मायके से ससुराल आ गई। परंतु ससुराल जनों ने भी इसको पनाह नहीं दी और गांव से भगा दिया। भटकते हुए यह 2012 में थाने में आ गई और जेठ आदि की शिकायत करके बंटवारे के तहत हिस्सा दिलाने एवं किसी हैंडसम युवक से शादी कराने की समस्या रखी। तत्कालीन थानाध्यक्ष सुभाष यादव इसकी समस्या सुनकर भौचक रह गए और उसका मन भरमाने के उद्देश्य से समान्यतः बात कह दी। बैठो बाद में तुम्हारी समस्या सुनकर समाधान करेंगे। तब से पप्पी सिंह थाने की दहलीज पर ही डेरा जमाए हुई है। तब से अब तक यहां करीब एक दर्जन इंस्पेक्टर तैनात हो चुके है। सभी को उसने अपनी  व्यथा सुनाई। परंतु समस्या का समाधान कोई नहीं कर सका। तब से अब तक यहां करीब एक दर्जन इंस्पेक्टर तैनात हो चुके है। सभी को उसने अपनी व्यथा सुनाई। परंतु समस्या का समाधान कोई नहीं कर सका।

बताया जाता है कि विधवा महिला सर्दी,बरसात, गर्मी में यहां थाने कैंपस में मौजूद रहकर अपनी समस्या के समाधान की बाटजोह रही है। इस दौरान सरकारों ने मिशन शक्ति जैसी तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारा। परंतु कोई भी योजना पप्पी सिंह की समस्या का समाधान नहीं खोज सकी। यह थाने में मौजूद रहकर फरियादियों से 5-10 रुपए मांगकर पेट भर लेती है और अपनी समस्या के समाधान की आस में दिन-रात आसमान की ओर देखती रहती है। इसका एकलौता पुत्र कहां है। किसके पास रह रहा है इसको कुछ पता नहीं है। उसे बस एक ही धुन सवार रहती है कि उसे ससुराल वालों से हिस्सा दिलाकर किसी हैंडसम युवक से विवाह करा दिया जाए। वरना मैं यहीं पर बैठे-बैठे प्राण त्याग दूंगी। मगर यहां से वापस नहीं जाऊंगी।

74 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close