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45 मिनट, सात चोर और पांच करोड़ साफ… देश की सबसे बड़ी ट्रेन डकैती?

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सीमा शुक्ला की रिपोर्ट 

अंधेरी रात में चेन्नई-सेलम एक्सप्रेस धड़्र-धड़ करती अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही थी। यात्री खाना खाककर सोने को तैयार थे, लेकिन उन सात लोगों के दिमाग में हलचल मची थी। उन्हें आज अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी डकैती को अंजाम देना था। ऐसी डकैती जो उन्हें इतना अमीर बना दे कि फिर कभी कोई दूसरी डकैती न करनी पड़े। धड़धड़ाती ट्रेन आग बढ़ रही थी और ये 7 चोर उस पल का इंतजार कर रहे थे जब इस ट्रेन से करोड़ों रूपये साफ किए जाएं। रात करीब 9 बजे 11064 सेलम-चेन्नई इग्मोर एक्सप्रेस, सेलम से रवाना हुई थी और चेन्नई की तरफ तेजी से आगे बढ़ रही थी।

ट्रेन में 345 करोड़ रूपये

चार लोग ट्रेन की छत पर बैठे थे। रात गहरी होने लगी थी। ट्रेन सेलम से काफी आगे बढ़ चुकी थी, करीब डेढ़ सौ किलोमीटर आगे। विरधाचलम स्टेशन आया। ट्रेन रूकी लेकिन रात होने की वजह से यात्रियों की हलचल नहीं थी। तकरीबन सब लोग सोए हुए थे। ट्रेन ने अपना इंजन बदला। अब तक ट्रेन बिजली वाले इंजन पर थी, लेकिन इससे आगे डीजल इंजन ने जगह लेनी थी। सीटी बजी और फिर ट्रेन ने विरधाचलम स्टेशन छोड़ दिया। अब वक्त आ गया था ट्रेन को लूटने का। उस डिब्बे को लूटने का जिसमें रखे थे 345 करोड़ रूपये।

रिजर्व बैंक का था पैसा

हैरान मत होइए, ट्रेन में इंजन के ठीक पीछे वाली बोगी में रिजर्व बैंक के 345 करोड़ रूपये ले जाए जा रहे थे। जैसे ही इंजन बदला रूपयों से भरी ट्रेन की बोगी सबसे पीछे हो गई। मोहन सिंह पारदी और उसके चार साथी जो रेलगाड़ी की छत पर बैठे थे वो अब तैयार थे सबसे बड़ी लूट को अंजाम देने के लिए। इन चारों के पास सिर्फ 45 मिनट का वक्त था। ये ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुंचने में 45 मिनट लेती है। अगला स्टेशन चिन्नासलेम था।

बैटरी कटर से ट्रेन की छत काटी

ट्रेन धड़धड़ाती हुई आगे बढ़ रही थी और मोहर सिंह पारदी ने अपना काम शुरू कर दिया था। ‘जल्दी कटर इधर दो’… मोहर के कहने पर उसके एक साथी ने उसे बैटरी वाला कटर पास करवाया। मोहर ने जल्दी-जल्दी कटर की मदद से ट्रेन की छत को काटना शुरू किया। ‘क्या इतना छेद काफी है’… ‘हां काफी है, मैं जल्दी अंदर घुसता हूं’… मोहर का एक साथी छत में हुए छेद से बोगी के अंदर घुसता है। बोगी के अंदर 226 बॉक्स रखे हुए हैं। छत के ऊपर से छेद से अंदर तक रोशनी घुस रही थी। मोहर का साथी जल्दी बॉक्स देखता है और फिर चार बॉक्स को ऊपर से काटता है। 100, 500, 1000 की काफी सारी नोटो की गड्डियां उन बॉक्स में नज़र आती हैं। नोटों को देखकर इस लुटेरे की आंखें चमक उठती हैं।

बोगी के अंदर से निकाले पैसे

‘पैसा मिला, थोड़ा जल्दी करो.. दस मिनट का वक्त है’… ट्रेन की छत से जैसे ही ये आवाज़ आती है, ट्रेन के अंदर घुसा ये लुटेरा सचेत हो जाता है। कुछ अंडरगारमेंट्स जो ये ऊपर से लेकर आया था उनमें ये 1000 और 500 के नोटो की गड्डी भरता है और फिर बंडल को ऊपर फेंकने लगता है। दस मिनट में वो चारों बॉक्स खाली कर ये ऊपर आ जाता है। अगला स्टेशन आने में अभी भी करीब 25 मिनट का वक्त है। गाड़ी अपनी स्पीड से आगे बढ़ रही है। मोहर किसी से मोबाइल पर बात करता है। करीब दस मिनट बाद ये लोग नोटों के बंडलों को नीचे फेंकना शुरू करते हैं। इनके तीन साथी वहां खड़े होते हैं और फिर वो सारे पैसे लेकर फरार हो जाते हैं। स्टेशन के करीब आने पर ट्रेन की गति धीमी होती है तो ये चारों भी छत से नीचे कुदकर गायब हो जाते हैं।

हथियारों से लैस 18 गार्ड थे तैनात

सिर्फ चालीस मिनट में सात चोर मिलकर को अंजाम देते हैं और किसी को कुछ पता भी नहीं चलता। जब ट्रेन यार्ड में पहुंचती है तो सिक्योरिटी गार्ड अंदर आता है। ट्रेन की छत में बड़ा छेद देखकर वो दंग रह जाता है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि ट्रेन की छत को काटकर इस तरह से कोई लूट को अंजाम दिया जा सकता है। रिजर्व बैंक ने ये पूरी बोगी कैश ट्रांस्फर के लिए बुक करवाई थी। पैसे की सुरक्षा के लिए 18 गार्ड बोगी के गेट पर तैनात थे, लेकिन उन चालीस मिनट में जो हुआ उसका अंदाजा किसी को न था।

सीआईडी को सौंपा गया केस

ये खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई। पैसों से भरी पेटियां खोली गईं, नोटों की गिनती शुरू हुई तो पता चला कि करीब पांच करोड़ अस्सी लाख रुपये चोरी हो चुके हैं। पुलिस ने जांच शुरू की। कई दिन बीत गए, लेकिन डकैतों का पता नहीं चला। न कोई चोरी के निशान, न ही लुटेरों की कोई खबर। कई महीने बीत जाने के बाद भी जब पैसों का कोई पता नहीं चल पाया तो केस सीआईडी को सौंपा गया।

नासा की भी ली गई मदद

सीआईडी ने इस काम में नासा की मदद ली। ये चेक किया गया कि आखिर सेलम और चेन्नई के बीच किस जगह पर ये डकैती को अंजाम दिया गया। लोकेशन का पता चलने के बाद उस इलाके के मोबाइल टावर से लिंक करके उस वक्त में हुई कॉल की डीटेल निकाली गई। करीब 2 लाख फोन कॉल्स के बीच ये कुछ कॉल्स सीआईडी की टीम को संदिग्ध दिखीं। ये नंबर थे मध्यप्रदेश के। इन सभी नंबरों के आधार पर हज़ारों लोगों से पूछताछ हुई और फिर आखिरकार 730 दिन बाद एक दिन सीआईडी ने केस को सुलझाने का दावा किया।

मध्यप्रदेश के गैंग ने की डकैती

मोहर सिंह और उसके सात अन्य साथियों को गिरफ्तार किया गया। मोहर के चार साथी तमिलनाडू के ही थे जबकि मोहर समेत तीन मध्यप्रदेश के। जैसे ही मोहर सिंह पादरी के गैंग को इस बात की खबर मिली थी कि 8 अगस्त 2016 को चेन्नई-सेलम एक्सप्रेस से रिजर्व बैंक के करोड़ों रूपये जा रहे हैं तो उसने अपने साथियों के साथ ट्रेन को लूटने का प्लान बनाया। इस काम के लिए इस गैंग ने अच्छी-खासी रेकी भी की। आठ दिन तक मोहर सिंह रोज इस ट्रेन से सफर करता रहा और ये देखता रहा कि किस जगह पर ट्रेन को लूटा जाए।

नोटबंदी ने फेरा मंसूबों पर पानी

मोहर सिंह के गैंग ने ट्रेन से करीब साढे पांच करोड़ रूपये लूटे, लेकिन जिस वक्त देश की ये सबसे बड़ी ट्रेन डकैती हुई उसके चंद महीनों बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के आदेश जारी किए। नोटबंदी के एलान के बाद पुरानी करंसी बेकार हो गई। मोहर सिंह का गैंग के पास इतना था, लेकिन वो उनका इस्तेमाल नहीं कर सकते थे और फिर सीआईडी ने थोड़े ही दिनों में पूरे गैंग को गिरफ्तार कर लिया।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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