टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
कमाठीपुरा। मुम्बई वैसे तो सपनों का शहर माना जाता है लेकिन इस सपनों की दुनिया में कई काले चेहरे भी छुपे हुए हैं। भारत की आर्थिक राजधानी व सबसे अमीर शहर होने के बावजूद भी मुम्बई में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां बेहद गरीबी है।
भारत का दूसरा रेड लाइट एरिया है कमाठीपुरा। कमाठीपुरा का नाम यहां काम करने वाले कामती कर्मचारियों के नाम पर रखा गया था। यहां केवल 200 कमरे हैं जिनमें 5000 से अधिक वैश्याएं रहती हैं।
दरअसल, इस जगह को 1924 में ब्रिटिशर्स द्वारा अपने सैनिकों के आराम क्षेत्र के तौर पर बनाया गया था। इस जगह इन सैनिकों के लिए विदेशों से वेश्याओं को बुलाया जाता था।
साल 1928 में यहां काम करने वाली सभी वेश्याओं को इस कार्य के लिए लाइसेंस दे दिया गया था।
लेकिन साल 1950 में भारत सरकार द्वारा इस काम पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके कारण यहां काम करने वाली सभी वेश्याओं का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। उसके बाद से आज तक लड़कियों को लोभ देकर व नशीली दवाईयां और ड्रग्स के ज़रिए यहां लाया जाने लगा और उनसे वेश्याओं वाले काम करवाए जाने लगे।
अपनी देह का व्यापार करना आज भी पूरे विश्व में महिलाओं की दैहिक स्वतंत्रता पर कलंक है। भारत में जहां महिलाओं को पूज्य माना गया है, वहां भी लंबे समय से महिलाएं देह व्यापार जैसे घिनौने धंधे में उतरने को मजबूर हैं। 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता दी गई, परंतु 1956 में इसमें संशोधन करके नई शर्ते जोड़ दी, जिससें सार्वजनिक सेक्स को अपराध की श्रेणी में माना गया और यहां तक कि इसमें सजा का भी प्रावधान किया गया लेकिन इसे विडंबना या दुर्भाग्य ही कहें, आज भी देश में कई ऐसे सुनसान इलाके हैं, जहां लड़कियां जिस्मफरोशी करने पर मजबूर हैं।
आज देश के महानगरों में देह व्यापार अन्य धंधों से सबसे ज्यादा फायदे का साबित होता दिखाई दे रहा है। लड़कियों को यह लालच रहता है, जो काम वह महीने भर किसी ऑफिस में घंटों सिर खपाने के बाद भी उतना वेतन नहीं पा सकती, जितना कि वे एक दिन में कुछ घंटे में कमा लेती हैं। यह कड़वा सच है कि महानगरों में कई लड़कियां अपने शरीर को हवस के भूखों को सौंपकर न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर रही हैं बल्कि वे पूरा घर ही नहीं चला रही है बल्कि घर में रहने वाले बच्चों की फीस तक का इंतजाम कर रही हैं। हवस के पुजारी आते हैं और अपनी गर्मी कुछ मिनटों में खत्म करके चले जाते हैं, बदले में उनका पर्स हजारों नोटों से भर जाता है।
तकनीक के नए उपकरण आने के बाद सेक्स का धंधा भी हाईटेक हो गया है। व्हाट्सऐप पर ग्रुप तक बने हुए हैं और जरूरत के मुताबिक देहव्यापार का धंधा जोरशोर से चल रहा है। एस्कॉर्ट सर्विस जहां पर हाईप्रोफाइल कॉलगर्ल्स और खुशनुमा समय बिताने के लिए खूबसूरत और मॉर्डन युवतियां ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं। भारत ही नहीं कई विदेशी मुल्कों से बाकायदा लड़कियां ऑन डिमांड बुलाई जाती हैं और उन्हें मोटी रकम अदा की जाती हैं। सबसे ज्यादा डिमांड रूसी, उज्बेकिस्तान और यूक्रेन की गोरी लड़कियों की होती है, जो बाकायदा पांच सितारा होटलों में अपने चाहने वालों का बिस्तर गर्म करती हैं। बदले में इतनी ज्यादा रकम अपने घर ले जाती है, जिससे उनके घरों की जरूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं। भारत के ऐसे 10 रेड लाइट एरिया हैं जिनकी चर्चा एशिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में होती है।
पार्ना एनजीओ की एक रिपोर्ट की मानें तो पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की गरीब और मजबूर महिलाओं को काम दिलान का लालच देकर मुम्बई लाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार इन महिलाओं को नशीली दवाईयों का सेवन कराया गया था, जिसके कारण यह महिलाएं वेश्याओ वाला कार्य करने को विवश हो गईं थीं।
यूएनडीसीओ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि मानव तस्करी का सबसे बड़ा बिजनेस एशिया में चलता है जिसमें भारत, चीन, रशिया जैसे कई बड़े देश शामिल हैं। हर साल भारत के आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक से 1.5 लाख से भी अधिक मानव तस्करी की रिपोर्ट आती हैं।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."