दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
झांसी। रानी लक्ष्मीबाई त्याग व बलिदान की प्रतिमूर्ति रही। उन्होंने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए वीर गति प्राप्त की। देश व समाज को उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनका बलिदान हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।
विगत माह पूर्व भारत सरकार के उन्हीं वीरांगना बलिदानी रानी लक्ष्मीबाई की गाथाओं को पुनः देश के कोने कोने तक पहुंचाने के उद्देश्य से झांसी रेलवे स्टेशन का नाम “वीरांगना लक्ष्मीबाई” रेलवे स्टेशन के नाम से परिवर्तित किया जिसमें “झांसी” शब्द सम्मिलित नहीं था जिसको जुड़वाने हेतु अंदर सैयर गेट व्यापार मंडल एवं कर्म योगी संस्था के अध्यक्ष पंडित संतोष कुमार गौड़ ने प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय एवं रेल भवन के समक्ष नई दिल्ली जाकर भागीरथी प्रयास किया। उक्त विषय को सभी विभागों ने गंभीरता से समझा और डाक्यूमेंट्स पर विभागीय मोहर लगाकर रिसीविंग दी।
जिस के प्रतिउत्तर में रजिस्टर्ड डाक द्वारा पत्र संख्या…सी263/या. सु/उ. म. रे./रे. बो. C Cases संदर्भ/22, भारत सरकार रेल मंत्रालय के द्वारा पंडित संतोष कुमार गौड़, झांसी को पत्र प्रेषित किया।
उक्त पत्र के माध्यम से दो बातों का सनसनीखेज चौंकाने वाला खुलासा सामने आया कि “कर्म योगी संस्था” एवं एक और एनजीओ के अलावा ना ही किसी झांसी के नागरिक या संगठन द्वारा द्वारा रेल मंत्रालय को ना ही कोई पत्र लिखा गया और ना ही कोई व्यक्तिगत वार्ता संपन्न की गई। सोशल मीडिया पर रेल मंत्रालय के नाम से संबोधित वायरल संदेश हवा हवाई एवं ज्ञान में कमी को भी दर्शा रहा था।
रेल मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया कि स्टेशन के नाम में परिवर्तन का विषय गृह मंत्रालय से संबंधित है, यहां के स्थानीय उच्च वर्ग रेल मंत्रालय को पत्र लिख रहे थे.. जो 100% हवा हवाई था। खैर! अब गृह मंत्रालय के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा है। उक्त विषय पर अगर यह कहा जाए अतिशयोक्ति नहीं होगी..अगर प्रयास में झांसी की जनता हवा हवाई ना होती, तो फिर हार बड़ी न होती।
Author: samachar
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