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November 23, 2024 9:49 am

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भारत के इतिहास के कई अनछुए रहस्य को उजागर करती है “द कश्मीर फाइल्स”

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अनिल अनूप की खास रिपोर्ट

कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और उनके दुख दर्द पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को खूब पसंद किया जा रहा है। जो लोग उस दौरान कश्मीर में प्रताड़ित होकर निकले वो इस फिल्म को अपने बहुत करीब पा रहे हैं। फिल्म में कश्मीर में उस भयावह समय को दर्शाया है जब लाखों कश्मीरी हिंदुओं को रातों रात पलायन करना पड़ा था। फिल्म निर्माता ने इस फिल्म के माध्यम से कश्मीरी पंडितों के दर्द को लोगों के सामने लाने की कोशिश की है।

इसमें 1990 के दशक में कश्मीर में हुए नरसंहार को दिखाया गया। फिल्म को देखकर लोग भावुक हो जाते हैं। इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार और पल्लवी जोशी लीड रोल में हैं। कोर्ट में ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए एक ‘प्रोपोगेंडा फिल्म’ है।

फिल्म को दर्शकों की भी काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। 11 मार्च को ये फिल्म रिलीज हो चुकी है। फिल्म के रिलीज होने के बाद से इस पर बड़े पैमाने पर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। देश के जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने भी इस फिल्म को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। उन्होंने भी अपने ट्विटर हैंडल से इस बारे में एक ट्वीट किया है। उन्होंने ये ट्वीट यशवंत देशमुख के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए किया है।

इस फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री है। सिनेप्रेमियों ने इस फिल्म को स्वागत किया है। जानकारी के अनुसार पहले दिन ही 3.25 करोड़ रुपये की अच्छी ओपनिंग की थी। उसके बाद दूसरे दिन के कलेक्शन में जबरदस्त उछाल आया है। दूसरे दिन 8.25 करोड़ रुपए की कमाई की है।

मालूम हो कि कुछ समय पहले ही फिल्म के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री, उनकी पत्नी और अभिनेत्री पल्लवी जोशी और निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। वैसे इस फिल्म की रिलीज से पहले, निर्माताओं को काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। मगर आखिर में फिल्म रिलीज हो गई और अब उसे अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, हर ओर फिल्म पसंद की जा रही है।

सच को जब 32 वर्षों तक छिपाया जाए और फिर अचानक से वो सामने आ जाए तो ये सच, इतना ज्यादा सच होता है कि झूठ ही लगने लगता है। अभी आई फिल्म #TheKashmirFiles की यही कहानी है। किसी महिला को उसके ही पति के खून से सने चावल खिलाना, किसी महिला को दो टुकड़ों में काट देना, लोगों को मार-मार कर पेड़ो पर लटका देना और गोली को बच्चों तक के सिर के आर-पार कर देना – सब सच है, लेकिन इतना सच है कि झूठ लगने लगेगा।

इस सच को हमें न सिर्फ स्वीकार करना होगा, बल्कि दुनिया को भी बताना होगा कि कश्मीरी हिन्दुओं का पलायन नहीं, बल्कि ‘नरसंहार’ हुआ था। हमें बॉलीवुड को बताना होगा कि मार्तण्ड सूर्य मंदिर ‘हैदर’ फिल्म के ‘डेविल डांस’ के लिए नहीं है, बल्कि हमारे उस इतिहास को याद करने के लिए है जिसने इस मंदिर की ये दुर्दशा की। माँ शारदा कश्मीरियों की देवी है, आज POK में इस मंदिर की क्या हालत है ये किसी से छिपा नहीं है।

मेरा आग्रह खासकर के 18-25 उम्र वर्ग के लोगों से है – आप जाइए और ‘द कश्मीर फाइल्स’ को देखिए। अभिभावकों को चाहिए कि वो युवाओं को ये फिल्म देखने के लिए प्रेरित करें। कई चीजें ऐसी हैं जो मुझे भी नहीं मालूम थीं, लेकिन मैंने देखा और जाना। जिस मीर शमशुद्दीन ऐराकी को सब ‘सूफी संत’ कहते हैं, वो असल में यहाँ शिया एजेंडा चलाने आया था, क्रूरता के बल पर। ललितादित्य कौन थे और कश्मीर से उनका क्या नाता है, ये फिल्म देख कर ही आपको पता चलेगा।

इतना ही नहीं, कई लोगों को ये भी पता नहीं है कि महर्षि कश्यप की तपस्या के कारण इस प्रदेश का नाम कश्मीर पड़ा और उन्होंने इसे रहने लायक ‘स्वर्ग’ बनाया, किसी मुग़ल बादशाह या इस्लामी शासक ने नहीं। शंकराचार्य ने केरल से पैदल चल कर कश्मीर पहुँच कर हिन्दू धर्म का पताका फिर से लहराया। जहाँ पंचतंत्र लिखा गया, वो कश्मीर है। ये विद्वानों की भूमि है, सूफियों और इस्लामी आक्रांताओं की तो बिलकुल भी नहीं।

दुनिया भर में इस तरह की हिंसा पर काफी फ़िल्में बनी हैं। रवांडा में हुए नरसंहार पर ‘100 Days (2001)’ से लेकर ’94 Terror (2018)’ तक एक दर्जन फ़िल्में बनीं। हिटलर द्वारा यहूदियों के नरसंहार पर तो ‘The Pianist (2002)’ और ‘Schindler’s List’ (1993) जैसी दर्जनों फ़िल्में बन चुकी हैं। कंबोडिया के वामपंथी खमेर साम्राज्य पर The Killing Fields (1984) तो ऑटोमोन साम्राज्य द्वारा अर्मेनिया में कत्लेआम पर Ararat (2002) और ‘The Cut (2014)’ जैसी फ़िल्में दुनिया को मिलीं। 

लेकिन अफ़सोस कि मुगलों द्वारा किए गए हिन्दुओं के नरसंहार से लेकर कश्मीरी पंडितों तक की व्यथा पर कोई फिल्म नहीं बनी। महमूद गजनी से लेकर यासीन मलिक तक की करतूतों को उलटा छिपाया ही गया, न तो हमने इतिहास में पढ़ा और न ही बॉलीवुड ने सच दिखाने की जहमत उठाई। कश्मीरी पंडितों पर विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म बना कर उलटा उन्हें ही सॉरी बोलने को कह दिया। उनकी समीक्षक पत्नी अनुपमा चोपड़ा ‘The Kashmir Files’ को नीचा दिखाने में लगी हैं। लेकिन नहीं, हम देखेंगे। लाजिम है कि हम देखेंगे!

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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