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November 23, 2024 1:35 am

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यूक्रेन में महोबा, बांदा, इटावा और हमीरपुर समेत आसपास जिलों के फंसे, छात्रों ने फोन पर परिवार को बताए हालात

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

कानपुर,  रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात बदतर होते जा रहे हैं। युद्ध का असर जीवन पर दिखने लगा है। वहां मेडिकल की पढ़ाई करने गए भारतीय छात्र-छात्राओं की मुश्किल बढ़ गई है। बंकर और मेट्रो टनल में रात काटनी पड़ रही है। खाने-पीने की चीजों की कमी से जूझना पड़ रहा है। कोई बिस्किट खाकर काम चला रहा तो कोई ब्रेड खाकर। अब पीने का पानी भी मिलना मुश्किल हो रहा है। नहाने का पानी मजबूरी में पीना पड़ रहा। धमाकों और सायरन की आवाज दहशत से भर दे रही है।

पहले बंकर में खाना मिल रहा था, अब नहीं 

महोबा के पनवाड़ी से यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसे राज द्विवेदी ने शुक्रवार रात घर फोन कर बताया कि उसके साथ करीब ढाई सौ छात्र बंकर में हैं। पहले खाना भी मिल रहा था, मगर अब नहीं। बिस्कुट व ब्रेड खाकर पेट भर रहे हैं। बम धमाके और सायरन बजने से दो दिन से सो भी नहीं सके। दो दिन पहले तक मशीन में 22 ग्रेडियन (साठ रुपये) डालने पर पांच लीटर पीने का पानी मिल जाता था। अब वह भी सुविधा समाप्त है। नहाने का पानी मजबूरी में पी रहे हैं, जिससे गले में सूजन आ गई है।

भारतीयों को सामान नहीं दे रहे दुकानदार 

खारकीव से बांदा के हेमेंद्र सिंह ने शनिवार सुबह घर फोन पर बातचीत में बताया कि तीन दिनों का ही राशन बचा है। कम खाकर काम चला रहे हैं। एटीएम भी खाली हो गए हैं। यहां दुकानदार भारतीयों को सामान नहीं दे रहे हैं। दलिया बची है, जिसे खाकर पेट रहा हूं। एक कंबल लेकर टनल में खड़ी मेट्रो में रात बिताता हूं और सुबह खाने के लिए हास्टल के कमरे में चला जाता हूं। ज्यादातर दुकानें सामान से खाली हो चुकी हैं। अपने दुलारे की चिंता में मां शकुंतला फफक पड़ीं।

यहां दुकानें बंद हैं…राशन नहीं है

“पापा, मैं ठीक हूं। हमले के बाद से यहां दुकानें बंद हैं। राशन नहीं है। बंकर में शरण ले रखी है। आगे समस्या हो सकती है। कीव में फंसी जालौन की आकृति की इस वाकए ने उनके घरवालों के होश उड़ा रखे हैं। जिस बिल्डिंग में वह रहती थी, उसके बगल वाली बिल्डिंग बमों के हमले में तहस-नहस हो गई। बंकर में रह रही बेटी की सकुशल वापसी के लिए पूजा-अनुष्ठान चल रहा है। यही हाल यूक्रेन में फंसे विकास गुप्ता और छाया यादव के घर पर भी है।

यूक्रेन में फंसे बच्चे और यहां परिवार चिंतित 

फतेहपुर से यूक्रेन के टेरनोपिल शहर मेडिकल की पढ़ाई करने गए आशुतोष मिश्र ने शनिवार को फोन कर हालात बताए। कहा, आज ही एक मिसाइल इलाके में गिरी तो दशहत फैल गई है। बंकर में रहकर समय काटा जा रहा है। इटावा के बकेवर कस्बे के शुभ पाठक ने भी यूक्रेन से फोन कर घर पर अपना हालचाल दिया। सबके स्वजन परेशान हैं और लगातार फोन कर हालात की जानकारी ले रहे हैं। हमीरपुर के भरुआ सुमेरपुर कस्बे की मेडिकल छात्रा प्रतिष्ठा गुप्ता यूक्रेन के कीव शहर में फंसी है। उसने शनिवार दोपहर घर फोन कर खुद के सुरक्षित होने की जानकारी दी।

इसी तरह फर्रुखाबाद जनपद के चौरसिया मझोला निवासी डा. राजेंद्र सिंह 2017 से हमीरपुर में टेढ़ा के राजकीय माडल इंटर कालेज में प्रधानाचार्य हैं।उनकी पुत्री पायल सिंह रूस के अाधीन क्रीमिया में बीते तीन वर्षों से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और तृतीय वर्ष की छात्रा है। राजेंद्र ने बताया कि पुत्री से अंतिम बार शुक्रवार को बात हुई थी, शनिवार को उसने मैसेज भेजकर सकुशल होने की जानकारी दी थी। रविवार को उसकी कोई खबर नहीं मिली है। यूनिवर्सिटी ने छात्र-छात्राओं के बाहर जाने रोक लगा दी है और वे छात्रावास में शरण लिए हुए हैं। पूरा परिवार बिटिया के लिए चिंतित है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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