दीपक गौतम की रिपोर्ट
जौनपुर । 26 साल पहले आज के दिन पहली बार जौनपुर में AK-47 की गोलियां तड़तड़ाई थी। माफिया मुन्ना बजरंगी ने तीन लोगों को सरेआम भून दिया था। इस वारदात से पूर्वांचल दहल गया था। घटना में 3 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद जरायम की दुनिया मे मुन्ना बजरंगी की तूती बोलने लगी थी।
फ़िल्मी स्टाइल में हुई थी वारदात
जौनपुर के रामपुर थाना का जमालापुर तिहरा हत्याकांड जरायम की दुनिया में सनसनीखेज वारदात थी। पहली बार वारदात में जौनपुर में AK-47 का इस्तेमाल हुआ था। 24 जनवरी 1996 को शाम में जमालापुर में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजकुमार सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख कैलाश दुबे और समाजसेवी बांके तिवारी बैठे हुए थे। फिल्मी स्टाइल में मारुति वैन में सवार होकर 6 बदमाश वहां पहुंचे थे। बदमाश अत्याधुनिक हथियार AK-47 से लैस थे। मारुति वैन से उतरते ही बदमाशों ने निशाना साध कर फायरिंग शुरू दी। गोलियों की तड़तड़ाहट से बाजार में दहशत फैल गयी।
40 राउंड से अधिक हुई फायरिंग
बदमाशों ने इस दौरान 40 राउंड से अधिक गोलियां चलाईं। मौके पर ही पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजकुमार सिंह, पूर्व ब्लाक प्रमुख कैलाश दुबे और समाजसेवी बांके तिवारी ने दम तोड़ दिया। बाज़ार में भगदड़ की स्थिति हो गयी थी। दुकानदारों ने अपनी दुकानों का शटर बंद कर दिया था। दहशत फैलाने के बदमाश गाड़ी में बैठते हुए बनारस की तरफ निकल गए थे।
जमीन पर लेट गए थे दारोगा
वारदात कितनी सनसनीखेज थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन थानाध्यक्ष लोहा सिंह जमीन पर लेट गए थे। घटनास्थल से कुछ दूर खड़े होकर दरोगा लोहा सिंह किसी से बात कर रहे थे। गोलियों की आवाज़ सुनकर दारोगा सकते में आये। जमीन पर लेटकर किसी तरह दारोगा ने अपनी जान बचाई थी।
बैरियर काट कर फरार हुए बदमाश
घटना को अंजाम देने के बाद माफिया मुन्ना अपने साथियों के साथ भागने लगा। अपराधी वाराणसी मार्ग पर बाबतपुर रोड की तरफ भाग रहे थे। इस दौरान वहां का बैरियर बंद किया जा रहा था। अपने आप को फंसता देख बदमाशों ने बैरियर पर भी गोलियां चलाई। बैरियर की रस्सी काटकर बदमाश बनारस की तरफ भाग गए थे।
कैलाश दुबे की हत्या के लिए आये थे बदमाश
कुख्यात माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी पूर्व ब्लाक प्रमुख कैलाश दुबे की हत्या के लिए आया था। स्थानीय राजनीति में वर्चस्व को लेकर रंजिश बढ़ गयी थी। उसी शाम तिलकधारी महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजकुमार से अपने गांव जा रहे थे। बाजार में कैलाश दुबे को देखकर वो रुक गए थे। वहीं पर समाजसेवी बांके तिवारी भी मिल गए। चाय की दुकान पर रुक कर तीनो लोग चाय पी रहे थे। इस दौरान मारुति वैन में आए बदमाशों ने एके-47 से तीनों को मौत के घाट उतार दिया।
साक्ष्य के अभाव में बरी हो गया था मुन्ना
पुलिस ने इस मामले में मुन्ना बजरंगी, गजराज सिंह, आलम समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गजराज सिंह की मौत हो गई थी। वहीं साक्ष्य के अभाव में पुलिस ने मुन्ना बजरंगी को इस मामले से बरी कर दिया था।
कौन था मुन्ना बजरंगी
प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी उत्तर प्रदेश में एक कुख्यात माफिया डॉन के नाम से जाना जाता था। मुन्ना बजरंगी का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में 1967 में हुआ था।
पिता का सपना था कि बेटा बड़ा होकर बड़ा आदमी बने लेकिन उसने 5वीं पास करने के बाद ही पढ़ाई को अलविदा कह दिया। और फिल्म 17 साल की उम्र में ही जुर्म की दुनिया में दस्तक दे दी।
17 साल की उम्र में रखा जुर्म की दुनिया में कदम
मुन्ना बजरंगी को बचपन से ही हथियारों का शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। पहली बार 17 साल की उम्र में उनसे जुर्म किया और नाबालिग मामले में केस दर्ज हुआ। मारपीट और अवैध असलहा रखने के मामले में केस दर्ज हुआ। उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कहते हैं कि जौनपुर के दबंग गजराज सिंह साथ मिला तो 1984 में मुन्ना ने एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद फिर वो गैंगस्टर की लिस्ट में शामिल हो गया और उसके बाद वो बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया था। वहां भी उसने अपनी देहशत को बनाए रखा।
लेकिन वक्त बदला और डॉन फिर जेल या राजनीति में शामिल होने लगे। मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक चुने गए। तो उसकी ताकत और भी ज्यादा बढ़ गई। इसके बाद वो नेताओं को भी धमकी देने लगा।
बीजेपी नेता की हत्या और बीएसपी नेता को धमकी का आरोप
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की 2005 में हत्या कर दी गई। जिसका आरोप मुन्ना बजरंगी पर लगा और उसके बाद शिकंजा कसता गया और एक दिन बीएसपी नेता को भी धमकी देने के आरोप में उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ।
मुंबई से दिल्ली पुलिस ने किया था गिरफ्तार
मुन्ना बजरंगी के खिलाफ सिर्फ यूपी ही नहीं दिल्ली समेत कई राज्यों में मामले दर्ज थे। जिसके बाद उसके खिलाफ तलाशी अभियान शुरू हुआ और साल 2009 में दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई से गिरफ्तार किया। जिसके बाद से वो जेल में ही रहा और कोर्ट में अपनी पेशी के लिए जाता रहा।
कम ही लोग जानते होंगे कि कई राज्यों की पुलिस की नाम में दम कर रखने वाला और लोगों में दहशत फैलाने वाला मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में 250 रुपये का तमंचा लेकर घुसा था।
14 की उम्र में खरीदी 250 रुपये की पिस्टल
मुन्ना बजरंगी ने 14 साल की उम्र में 250 रूपये की पिस्टल खरीद कर पहली हत्या की थी और इस तरह जुर्म की दुनिया में हुई थी उसकी एंट्री। 1965 में किसान परिवार में जन्मे प्रेम प्रकाश को किसानी में मन नहीं लगा तो वह कालीन का काम सिखने लगा। 14 साल की उम्र में घरवालों ने उसकी शादी कर दी। शादी के 4-5 दिन बाद ही पैसे को लेकर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी के चाचा का गांव के ही एक शख्स भुल्लन सिंह से विवाद हो गया।
भुल्लन ने बजरंगी के चाचा को गालियां दीं जो बजरंगी को चुभ गईं। बस उसने 250 रूपये में पिस्टल खरीदी और सीधा पहुंच गया भुल्लने के यहां। मुन्ना बजरंगी ने उस 250 रुपये की पिस्टल से भुल्लन पर फायर कर दिया। भुल्लन मारा गया और मुन्ना बजरंगी का जरायम की दुनिया में दाखिला हो गया।
जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद प्रेम प्रकाश ने खुद अपना नाम रख लिया मुन्ना बजरंगी. बस यहां से मुन्ना बजरंगी ने ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देना शुरू किया और ऐसा कोहराम मचाया कि लोग इसके नाम से दहशत खाने लगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."