श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह: योगेश्वराचार्य महाराज ने बताया गीता का सार, भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

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जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर स्थित राधेश्याम पैलेस में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का भव्य आयोजन हुआ। कथा व्यास योगेश्वराचार्य महाराज ने गीता के निष्काम कर्म सिद्धांत पर प्रकाश डाला और सत्य-परमात्मा से जुड़ने का आह्वान किया।

जौनपुर । सच्चे अध्यात्म की राह दिखाते हुए जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर में राधेश्याम पैलेस के कथा स्थल पर संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। कथा व्यास योगेश्वराचार्य महाराज की आध्यात्मिक वाणी और संगीत मंडली की मधुर धुनों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।

संगीत संयोजन में, ऑर्गन: सगत, तबला: शुसील, पैड: राजेन्द्र, वायलिन: उपेन्द्र, वैंजो: रोहित।

इन कलाकारों की संगत में कथा का हर दिन एक नई ऊर्जा और आध्यात्मिक भाव लेकर आया।

मुख्य वक्तव्यों में कथा व्यास योगेश्वराचार्य महाराज ने कहा कि

“भागवत गीता केवल पंडितों और दर्शन शास्त्र के ज्ञाताओं के लिए नहीं, बल्कि हर इंसान के जीवन के लिए है। इसमें निष्काम कर्म का महान संदेश है।”

उन्होंने विशेष रूप से यह भी कहा कि

“अत्यधिक लोगों से प्रेम करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह जीवन को भटकाता है। हमें केवल परम सत्य और परमात्मा से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।”

समाज और सेवा का संदेश

पूर्व बाइस चेयरमैन रमेशचंद पांडे एडवोकेट, कैलाश पांडे, उमा पांडे, तारा पांडे, कंचन पांडे और अन्य गणमान्य जनों ने भागवत कथा को समाज के कल्याण के लिए एक आवश्यक मार्गदर्शक बताया।

समाजसेवी तारा पांडे व सुनीता पांडे ने बताया कि 

“गीता कर्म पर विशेष बल देती है। हमें अपने धर्म और कर्तव्य का पालन निष्ठा से करना चाहिए, न कि फल की चिंता करनी चाहिए।”

उपस्थित विशिष्टजन

पूर्व सांसद वी. पी. सरोज, राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी, पूर्व सूचना उपनिदेशक प्रमोद कुमार सहित अनेक अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

श्रद्धालुओं की सहभागिता

लखनऊ, बनारस, बाराबंकी, रुद्रपुर और रायबरेली से आए श्रद्धालुओं में संजय गौतम, शक्ति कृष्ण त्रिपाठी, प्रीति त्रिपाठी, सम्पादक संदीप कुमार, डॉ. दीपक, अर्जुन यादव आदि ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि सराहना की।

भंडारा और भजन

प्रत्येक दिन सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया, जिसमें पूड़ी, सूजी का हलवा, केले, सेव और आलू की सब्जी प्रमुख थे। वहीं, संगीतमय भजनों के दौरान कई श्रद्धालु नृत्य करने से स्वयं को रोक न सके।

यह आयोजन न केवल एक धार्मिक कार्यक्रम था, बल्कि समाज को सत्य, सेवा और निष्काम कर्म की ओर प्रेरित करने वाली एक अद्भुत पहल बन गया।

➡️ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

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