नवलपुर में सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन। आचार्य डॉ. अन्तर्यामी जी महाराज ने कथा के अंतिम दिन श्रीकृष्ण के स्वधाम गमन और राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाई। जानिए कथा का आध्यात्मिक महत्व और जीवन में इसकी भूमिका।
अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
नवलपुर, देवरिया, नवलपुर चौराहे पर आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आज समापन हुआ। कथा के अंतिम दिन वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य डॉ. अन्तर्यामी जी महाराज ने शुकदेव जी द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई कथा का अंतिम प्रसंग सुनाया और श्रोताओं को श्रीकृष्ण के स्वधाम गमन तथा राजा परीक्षित के मोक्ष प्राप्ति की दिव्य गाथा से भावविभोर कर दिया।
कथा व्यास ने कहा कि “श्रीमद्भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिसकी छाया में बैठने मात्र से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पापों, समस्त दुखों और कष्टों का विनाश हो जाता है।”
कलियुग की शुरुआत का वर्णन और मोक्ष की प्राप्ति
आचार्य जी ने बताया कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं का समापन कर गोलोकधाम प्रस्थान किया, तभी से धरती पर कलियुग का प्रवेश हुआ। राजा परीक्षित ने जब तक्षक नाग के डसने से पहले सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया, तब उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
भागवत कथा का प्रभाव और जीवन में इसकी सार्थकता
उन्होंने आगे कहा कि केवल कथा सुनने से नहीं, जब हम उसे अपने जीवन में उतारते हैं तभी इसकी सार्थकता सिद्ध होती है। कथा आत्मकल्याण का मार्ग है और यह जीवन को आनंदमय एवं मंगलमय बना देती है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि हर व्यक्ति को गुरु दीक्षा अवश्य लेनी चाहिए, ताकि जीवन में आध्यात्मिक मार्गदर्शन बना रहे।
विश्राम और श्रद्धा का संगम
कथा के समापन अवसर पर पूर्व सांसद रविंद्र कुशवाहा ने आचार्य जी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया और प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर यजमान गोरख प्रसाद चौरसिया, भाजपा लोकसभा मीडिया प्रभारी अजय दूबे वत्स, विधानसभा मीडिया प्रभारी अनुप उपाध्याय, सन्नी चौरसिया, इंद्रासन प्रसाद चौरसिया, दिनेश चौरसिया, रवि कुशवाहा, छेदी जायसवाल, राजेश शाह, शेषनाथ चौरसिया, सुरेंद्र चौरसिया समेत कई गणमान्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।