नेपाल में राजशाही की गूंज: ‘महल खाली करो, हमारे राजा आ रहे!’ – क्या फिर बनेगा हिंदू राष्ट्र?

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मिश्री लाल कोरी की रिपोर्ट

नेपाल में हाल ही में राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना की मांग जोर पकड़ रही है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने काठमांडू में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया, जिसमें लगभग 10,000 लोग शामिल हुए। वे वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था से असंतोष व्यक्त करते हुए राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं।

नेपाल ने 2008 में राजशाही को समाप्त कर गणतंत्र की स्थापना की थी। तब से, देश में 13 सरकारें बदल चुकी हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार के आरोप बढ़े हैं। इस पृष्ठभूमि में, कुछ नागरिक पुराने राजशाही शासन को स्थिरता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखते हैं।

हालांकि, प्रमुख राजनीतिक दल और विश्लेषक राजशाही की वापसी को अव्यावहारिक मानते हैं। उनका कहना है कि वर्तमान असंतोष प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता को इंगित करता है, न कि राजशाही की पुनर्स्थापना की। पूर्व भारतीय राजदूत रंजीत राय के अनुसार, यह असंतोष परिवर्तन की मांग है, लेकिन यह नेपाल की राजनीतिक प्रगति को उलटने की इच्छा नहीं दर्शाता।

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग तेज, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में रैली

हाल ही में काठमांडू में करीब 10,000 लोगों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में रैली निकाली। प्रदर्शनकारी “राजा आओ, देश बचाओ” जैसे नारे लगा रहे थे और नारायणहिटी महल को खाली करने की मांग कर रहे थे।

राजशाही क्यों हुई खत्म?

नेपाल 2008 तक दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था और राजशाही का शासन था। लेकिन माओवादी आंदोलन और वामपंथी क्रांति के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और नेपाल संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। पिछले 16 वर्षों में नेपाल में 13 सरकारें बदल चुकी हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। इसी असंतोष के बीच पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की लोकप्रियता फिर से बढ़ रही है।

क्या नेपाल में फिर से राजशाही आ सकती है?

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग करने वालों को राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी (RPP) का समर्थन मिल रहा है। हालांकि, नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दल नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में हैं।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पूर्व राजा को मुख्यधारा की राजनीति में आने और चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। उनका कहना है कि राजा को जनता से सीधा समर्थन लेना चाहिए, न कि आंदोलन के जरिए सत्ता में लौटने की कोशिश करनी चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल में राजशाही की वापसी फिलहाल संभव नहीं लगती क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधन और व्यापक जनसमर्थन की जरूरत होगी, जो अभी मौजूद नहीं है। लेकिन अगर राजनीतिक अस्थिरता बनी रही, तो यह आंदोलन भविष्य में और मजबूत हो सकता है।

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Author: samachardarpan24

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