जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान पार्षद (एमएलसी) शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने गुड्डू जमाली पर झूठे साक्ष्य देने का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
साल 2022 में आज
मगढ़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। इस दौरान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी रहे गुड्डू जमाली ने आरोप लगाया था कि जब वह चुनाव प्रचार से लौट रहे थे, तभी कोर्ट चौराहे के पास उन पर जानलेवा हमला हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि रात करीब एक बजे समाजवादी पार्टी के 30 से 40 कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेरकर हमला किया। इस घटना के बाद राजनीति गर्मा गई थी, और जमाली की शिकायत पर नगर कोतवाली में 10 नामजद और 30-40 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
गुड्डू जमाली की तहरीर पर पुलिस ने जिन 10 लोगों को आरोपी बनाया था, उनमें आजम एबाद खान, अबू जफर आजमी, अफजल, मोहम्मद आजम, असफर खान, मोहम्मद जकारिया, खुरदिल उर्फ मिर्ज़ा फराज, अबू बकर और अब्दुल्ला शामिल थे। पुलिस ने जांच के बाद इन सभी के खिलाफ चार्जशीट अदालत में पेश कर दी थी।
कोर्ट में गवाहों ने बदल दिया बयान
अदालत में जब मुकदमे की सुनवाई हुई, तो अभियोजन पक्ष की ओर से गुड्डू जमाली समेत छह गवाह पेश किए गए। लेकिन अदालत में गुड्डू जमाली और अन्य सभी गवाह अपने पहले दिए गए बयानों से मुकर गए। गवाहों के बयान बदलने के बाद अदालत ने पर्याप्त सबूतों के अभाव में सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया।
इसके साथ ही, अपर सत्र न्यायाधीश (कोर्ट नंबर-3) जैनेंद्र कुमार पांडेय ने गुड्डू जमाली के खिलाफ झूठा साक्ष्य देने का मामला दर्ज करने और उन्हें नोटिस भेजने का आदेश दिया है। अदालत ने निर्देश दिया कि गुड्डू जमाली नियत तिथि पर अदालत में उपस्थित होकर इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
गुड्डू जमाली का राजनीतिक सफर और पलटते बयान
गुड्डू जमाली 2022 के उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार थे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली। इसके बाद सपा ने उन्हें एमएलसी बनाया। दिलचस्प बात यह है कि जब वह बसपा में थे, तब उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमला करने का आरोप लगाया था। लेकिन सपा में शामिल होने के बाद उन्होंने इन आरोपों से इनकार कर दिया।
इस घटना को लेकर विवाद इसलिए भी बढ़ा, क्योंकि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई थी, जो अभी तक कोर्ट में लंबित है। अदालत के ताजा फैसले के बाद गुड्डू जमाली को अब अपने झूठे साक्ष्य देने के मामले में कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा।
आजमगढ़ अदालत का यह फैसला राजनीति और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए एक अहम घटनाक्रम है। इससे न केवल यह स्पष्ट होता है कि गवाहों के बयान बदलने से न्याय प्रभावित हो सकता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप के खेल में कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग होता है। अब देखना होगा कि गुड्डू जमाली इस मामले में कोर्ट के समक्ष क्या सफाई देते हैं और इस कानूनी लड़ाई का आगे क्या नतीजा निकलता है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की